अमेरिका स्टूडेंट वीज़ा 2025: संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.) में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों के लिए अब मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने हाल ही में एक नया प्रस्ताव जारी किया है, जिसके तहत छात्रों के वीज़ा की अवधि को निश्चित समय सीमा (Fixed Duration) से बाँध दिया जाएगा।
अब तक छात्र F-1 स्टूडेंट वीज़ा और J-1 एक्सचेंज वीज़ा के तहत तब तक अमेरिका में रह सकते थे, जब तक वे किसी मान्यता प्राप्त कोर्स में नामांकित (Enrolled) रहते थे। इसे Duration of Status (D/S) प्रणाली कहा जाता था। लेकिन DHS का कहना है कि यह व्यवस्था निगरानी और वीज़ा ओवरस्टे (Overstay) को ट्रैक करने में कठिनाई पैदा करती है।

अमेरिका स्टूडेंट वीज़ा 2025: क्या बदलेगा नए प्रस्ताव के तहत?
DHS द्वारा जारी ड्राफ्ट के अनुसार, अगर यह नियम लागू होता है तो:
- अधिकांश छात्रों के लिए अधिकतम 4 साल का वीज़ा दिया जाएगा।
- कुछ देशों के छात्रों (जहाँ ओवरस्टे रेट अधिक है) को केवल 2 साल का वीज़ा मिलेगा।
- पढ़ाई पूरी होने के बाद का ग्रेस पीरियड 60 दिनों से घटाकर 30 दिन कर दिया जाएगा।
- पढ़ाई आगे बढ़ाने या नया कोर्स शुरू करने के लिए छात्रों को Form I-539 भरकर वीज़ा एक्सटेंशन लेना होगा, जिसे USCIS (यू.एस. सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज) मंज़ूर या नामंज़ूर कर सकती है।
- छात्र बीच में कोर्स बदलने या लोअर लेवल प्रोग्राम (जैसे मास्टर्स से बैचलर) में शिफ्ट होने पर प्रतिबंध झेल सकते हैं।
- OPT और STEM OPT (पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी का अवसर) पर भी असर पड़ सकता है।
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किन छात्रों पर सबसे अधिक असर पड़ेगा?
- भारतीय छात्र: अमेरिका में 2 लाख से अधिक भारतीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं, इसलिए इन बदलावों का सीधा प्रभाव उन पर पड़ेगा।
- लंबे कोर्स वाले छात्र: जैसे PhD या दो-दो मास्टर्स डिग्री करने वाले छात्रों को बार-बार वीज़ा एक्सटेंशन लेना होगा।
- नौकरी तलाशने वाले छात्र: जो OPT और STEM OPT के ज़रिए नौकरी पाना चाहते हैं, उन्हें दिक़्क़त हो सकती है।
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पहले से पढ़ रहे छात्रों के लिए क्या होगा?
- जो छात्र पहले से अमेरिका में पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें भी उनके I-94 रिकॉर्ड के आधार पर निश्चित समय सीमा दी जाएगी।
- अगर उनका कोर्स तय सीमा से लंबा है, तो उन्हें नया एक्सटेंशन लेना होगा।
विश्वविद्यालयों और संगठनों की प्रतिक्रिया
अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संगठनों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है।
- President’s Alliance on Higher Education and Immigration ने इसे “अनावश्यक और बोझिल” बताया है।
- विशेषज्ञों का कहना है कि यह बदलाव अमेरिका की छवि को स्टूडेंट-फ्रेंडली डेस्टिनेशन के रूप में नुकसान पहुंचाएगा, जबकि कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया पहले से ही छात्रों के लिए नीतियां आसान बना रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह नियम लागू हुआ तो अमेरिका में पढ़ाई की कुल लागत भी बढ़ सकती है। बार-बार वीज़ा एक्सटेंशन की प्रक्रिया न केवल समय लेने वाली होगी, बल्कि इसमें अतिरिक्त फीस और कागज़ी औपचारिकताएँ भी शामिल होंगी। ऐसे में छात्र और उनके परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ने की संभावना है। इसके अलावा, नए नियम से अनिश्चितता का माहौल बनेगा जिससे अमेरिका की आकर्षक “स्टूडेंट डेस्टिनेशन” छवि को सीधा झटका लग सकता है। |
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कब लागू हो सकता है नया नियम?
- DHS ने इस प्रस्ताव पर 27 अक्टूबर 2025 तक सुझाव और आपत्तियाँ मांगी हैं।
- अगर इसे मंज़ूरी मिलती है, तो नया नियम 2026 की शुरुआत या मध्य तक लागू हो सकता है।
अमेरिका की पढ़ाई और करियर को लेकर सपना देखने वाले लाखों भारतीय छात्रों के लिए यह नियम गेम-चेंजर साबित हो सकता है। हालांकि फिलहाल यह केवल प्रस्ताव है, लेकिन अगर लागू हुआ तो छात्रों को अधिक कागज़ी कार्यवाही, इंटरव्यू और अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है।
भारतीय छात्रों को अभी से विकल्प तलाशने और बैकअप प्लान बनाने की सलाह दी जा रही है।