महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय ने सरकार के उस फैसले के खिलाफ बड़ा आंदोलन शुरू करने की तैयारी कर ली है, जिसमें मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र देने की बात कही गई है। ओबीसी समुदाय को आशंका है कि इस फैसले से मराठा समुदाय भी ओबीसी आरक्षण का लाभ ले सकेगा, जिससे वास्तविक पिछड़े वर्गों के अधिकारों पर असर पड़ेगा। इस मुद्दे को लेकर ओबीसी संगठनों ने 10 अक्टूबर को नागपुर में महामोर्चा निकालने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री से मुलाकात और मांगों का ज्ञापन
4 अक्टूबर 2025 को ओबीसी नेताओं ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और तीन पन्नों का एक ज्ञापन सौंपा। इसमें नौ प्रमुख मांगें शामिल थीं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण थी, 2 सितंबर को जारी आदेश को तुरंत रद्द करने की मांग। नेताओं ने सरकार से मराठा समुदाय को कथित तौर पर फर्जी कुनबी प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया रोकने और इस मुद्दे पर श्वेत पत्र (व्हाइट पेपर) जारी करने की मांग की।
नेताओं की प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा:
मुख्यमंत्री ने बैठक बुलाई थी, लेकिन हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं। इसलिए हम 10 अक्टूबर को नागपुर में महामोर्चा निकालेंगे। वहीं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आश्वासन दिया कि सरकार सभी समुदायों को न्याय देगी और कुनबी प्रमाणपत्र से संबंधित फैसला ओबीसी समुदाय के हितों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
महाज्योति योजना के लिए फंड की मांग
बैठक में ओबीसी नेताओं ने ओबीसी समुदाय के उत्थान के लिए बनी महाज्योति योजना के लिए 1,000 करोड़ रुपये के बजट की मांग की। इस पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि सरकार इस योजना के लिए 1,500 करोड़ रुपये का फंड उपलब्ध कराएगी।
उपमुख्यमंत्रियों का आश्वासन
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि सरकार ओबीसी, एससी और एसटी समुदायों के अधिकारों की पूरी तरह रक्षा करेगी और फर्जी प्रमाणपत्र जारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि ओबीसी समुदाय अभी भी पिछड़ा है, इसलिए सरकार इसके विकास के लिए आवश्यक योजनाएं और कदम उठा रही है।