इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति द्वारा युवा पेशेवरों को 70 घंटे प्रति सप्ताह काम करने की सलाह देने के बाद उठे विवाद पर अब उनकी पत्नी और प्रख्यात लेखिका सुधा मूर्ति ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विचार उनके पति की जीवनशैली और अनुशासन का प्रतिबिंब है, जिसे उन्होंने स्वयं अपनाया और सफलता हासिल की।
सुधा मूर्ति ने बताया कि नारायण मूर्ति कड़ी मेहनत और अनुशासन को सफलता की कुंजी मानते हैं। उनके अनुसार, भारत को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं को ज्यादा मेहनत करनी होगी। इंफोसिस की सफलता में भी उनके लंबे कार्य घंटे और प्रतिबद्धता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
हालांकि, सुधा मूर्ति ने यह भी स्वीकार किया कि हर व्यक्ति की परिस्थितियां अलग होती हैं और हर पीढ़ी का वर्क-लाइफ बैलेंस को लेकर अपना दृष्टिकोण होता है। उन्होंने कहा कि वह अपने पति के विचारों का सम्मान करती हैं, लेकिन यह भी मानती हैं कि हर किसी को अपने जीवन और करियर के बीच सही संतुलन बनाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
नारायण मूर्ति के इस बयान पर देशभर में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आईं। कुछ लोगों ने इसे देश की आर्थिक तरक्की के लिए ज़रूरी बताया, तो कुछ ने इसे अन्यायपूर्ण और अव्यावहारिक करार दिया। अब सुधा मूर्ति की इस स्पष्ट और संतुलित प्रतिक्रिया के बाद यह बहस एक नए दृष्टिकोण की ओर बढ़ रही है।