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नोट जला, कानून पिघला: खास की मौज, आम को सज़ा

इस लेख में भारतीय मुद्रा (नोट) के कानूनी महत्व और इससे जुड़े सख्त नियमों की चर्चा की गई है। लेख जज के घर ₹500 के नोटों के जलने और इस पर कोई कार्रवाई न होने जैसे गंभीर मुद्दे को उजागर करता है। साथ ही, राजनीतिक और धार्मिक हस्तियों की खुलेआम कानून की अनदेखी और व्यवस्था की चुनिंदा चुप्पी पर तीखा कटाक्ष करते हुए सत्ता के दोहरे मापदंडों पर सवाल उठाता है।

भारतीय नोट सरकार की प्रतिभूति होती है ,एक सकारी दस्तावेज होता है जिसमें सरकार का नोट के धारकों को दिया वचन लिखा होता है। उसमें देश का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का चित्र होता है।

नोट को लेकर पूरी एक संहिता है ,भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), धारा 489बी[3] के तहत भारतीय करेंसी को नुक्सान पहुंचाने पर तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।

जज साहब के घर से बोरे बोरे ₹500 की नोट जलते हुए मिले हैं, उनके घर के अगल बगल ₹500 के नोट के जले हुए टुकड़े मिले हैं।

इस मामले में कानूनी प्रावधानों के अनुसार चार अलग-अलग FIR दर्ज की जानी चाहिए, जो इस प्रकार हैं:

  1. आयकर अधिनियम की धारा 276(C) – कर अपवंचन (Tax Evasion) के मामले में।
  2. प्रवर्तन निदेशालय (ED) – धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के तहत मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के मामले में।
  3. केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) – भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 एवं भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम, 2018 की धारा 12 के तहत भ्रष्टाचार (Corruption) के मामले में।
  4. भारतीय दंड संहिता की धारा 489बी (3) – भारतीय प्रतिभूति को नष्ट करने (Destruction of Indian Securities) के मामले में।

इस प्रकार उपरोक्त प्रकरण में विधिसम्मत कार्रवाई सुनिश्चित करने हेतु ये FIR दर्ज करना आवश्यक है।

दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पास 15 मार्च को ही जज साहब के घर से नोटों के जलने की जानकारी आई और उन्होंने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस खन्ना को इसे उसी दिन भेज दिया और यह जानकारी दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस उपाध्याय को भी प्राप्त हुई।

दोनों मुख्य न्यायाधीश महोदय अगले 8 दिन चुपचाप बैठे रहे। मामला जब टाईम्स ऑफ इंडिया में छपा तो उच्चतम न्यायालय के बयान जारी होना शुरू हो गये और फिर उच्चतम न्यायालय ने बयान और वह वीडियो प्रेस को जारी किया।

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एक भी FIR अभी तक नहीं हुई।

लोनी के भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर प्रशासन की बिना अनुमति के बैंड बाजा और डीजे के भड़काऊ कानफाड़ू शोर के बीच “कलश यात्रा” निकलते हैं, पुलिस द्वारा बिना अनुमति के ऐसे आयोजन को रोके जाने पर पुलिस के बड़े अधिकारियों से आन कैमरा हाथापाई करते हैं, सार्वजनिक मंच से पुलिस के बड़े अधिकारियों, अन्य अधिकारियों समेत मुख्यमंत्री के खिलाफ अपशब्दों के साथ बयानबाजी करते हैं।

वही बगल में डासना मंदिर के एक बाबा यति नरसिंहानंद , राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, के खिलाफ गाली-गलौज करते हैं, गाजियाबाद के पुलिस अधिकारियों को कुत्ता कहते हैं इसके साथ साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धमकी देते हैं।

   इन सभी उपरोक्त मामलों में कोई कार्रवाई नहीं होती।

  बड़े लोगों की दुनिया ऐसी ही होती है,सब सेट कर लेते हैं।

आप बस औरंगज़ेब में उलझे रहो।

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अनिल यादव एक वरिष्ठ पत्रकार हैं जो Anil Yadav Ayodhya के नाम से जाने जाते हैं। अनिल यादव की कलम सच्चाई की गहराई और साहस की ऊंचाई को छूती है। सामाजिक न्याय, राजनीति और ज्वलंत मुद्दों पर पैनी नज़र रखने वाले अनिल की रिपोर्टिंग हर खबर को जीवंत कर देती है। उनके लेख पढ़ने के लिए लगातार OBC Awaaz से जुड़े रहें, और ताज़ा अपडेट के लिए उन्हें एक्स (ट्विटर) पर भी फॉलो करें।

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