अगर आप रासायन-मुक्त और टिकाऊ खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद उपयोगी है। भारत सरकार ने हाल के वर्षों में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई जैविक खेती अनुदान योजनाएं शुरू की हैं, ताकि किसान बिना रासायनिक खाद और कीटनाशकों के भी अच्छी पैदावार और मुनाफा कमा सकें। देशभर में बदलती जलवायु और बढ़ती जागरूकता के चलते जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि जैविक खेती के लिए कौन-कौन से सरकारी अनुदान उपलब्ध हैं, कौन इसके लिए पात्र है, और आवेदन कैसे करें वो भी सरल भाषा में।

सूची
सरकारी सहायता क्यों जरूरी है
- किसान जब जैविक खेती की शुरुआत करते हैं, तो उन्हें शुरुआत में ज्यादा खर्च करना पड़ता है।
- जैविक प्रमाणीकरण करवाने के लिए भी उन्हें अतिरिक्त राशि चुकानी होती है।
- कई किसान और उत्पादक अभी भी जैविक फसलों के फायदों के बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते।
- खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, किसानों को जैविक बीज, खाद और अन्य संसाधन आसानी से नहीं मिल पाते।
- सबसे बड़ी चुनौती यह है कि किसान अपनी जैविक उपज को सही बाजार और सही कीमत तक नहीं पहुंचा पाते।
जैविक खेती को बढ़ावा देने में भारत सरकार की भूमिका
- केंद्र और राज्य सरकारें अनुदान के माध्यम से किसानों को जैविक खेती के लिए तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान कर रही हैं।
- ये योजनाएं किसानों को जैविक प्रमाणीकरण की सुविधा देती हैं और जैविक खाद्य के लाभों को लेकर जागरूकता फैलाती हैं।
- सरकार के ये कार्यक्रम किसानों को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक अपनी जैविक उपज पहुंचाने में भी मदद करते हैं।
केंद्र और राज्य सरकार के अनुदान का उद्देश्य
- सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों तक, देशभर में जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाए।
- जैविक खेती अनुदान रसायन मुक्त भोजन को बढ़ावा देते हैं और मृदा स्वास्थ्य व पर्यावरण की रक्षा सुनिश्चित करते हैं।
- इन प्रयासों से भारत के जैविक उत्पादों के निर्यात को भी मजबूती मिलती है।
केंद्र सरकार की अनुदान योजना
PKVY – परंपरागत कृषि विकास योजना
इस योजना का उद्देश्य क्लस्टर आधारित जैविक खेती को बढ़ावा देना है, जिससे किसान समूह बनाकर जैविक खेती को अपना सकें और साझा रूप से लाभ उठा सकें।
इसमें क्या शामिल है:
- किसानों को जैविक खेती अनुदान योजना के तहत प्रति हेक्टेयर ₹50,000 तक की सहायता मिलती है।
- यह वित्तीय सहायता तीन वर्षों तक दी जाती है।
- यह योजना किसानों को जैविक प्रमाणीकरण दिलाने और उनकी उपज के विपणन में मदद करती है।
- इसके तहत किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण भी मिलता है, जिससे वे आधुनिक जैविक खेती के तरीकों को बेहतर ढंग से अपना सकें।
आवेदन करें और अनुदान प्राप्त करें
- जैविक खेती अनुदान योजना का लाभ उठाने के लिए आप अपने नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय से संपर्क करें।
MOVCDNER – उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देने की खास योजना
भारत सरकार का मकसद है कि उत्तर पूर्वी राज्यों में जैविक खेती को बढ़ावा मिले और वहां के किसान, उद्यमी और कृषि से जुड़े व्यवसायी इससे बेहतर आमदनी कमा सकें।
इस योजना में क्या मिलता है?
- इस योजना के तहत किसानों को जैविक प्रमाणपत्र लेने और अपनी जैविक फसल को बाजार तक पहुंचाने के लिए मदद दी जाती है।
- इसके अलावा, जो अनुदान मिलता है, उसका इस्तेमाल किसान कोल्ड स्टोरेज बनाने और पैकेजिंग यूनिट लगाने के लिए भी कर सकते हैं, ताकि उपज लंबे समय तक सुरक्षित रहे और अच्छे से बिक सके।
- कौन ले सकता है इसका लाभ: उत्तर पूर्वी राज्यों के किसान, स्टार्टअप उद्यमी या कृषि से जुड़े बिज़नेस करने वाले लोग इस योजना के लिए योग्य हैं।
- कैसे करें आवेदन:अगर आप इस योजना का फायदा लेना चाहते हैं, तो अपने राज्य के स्थानीय कृषि विभाग या कार्यालय से संपर्क करें। वहां से आपको आवेदन की पूरी जानकारी मिल जाएगी।

एनएमएसए – राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना है।
- क्या शामिल है: यह योजना जैविक कीटनाशकों, जैव उर्वरकों, खाद और वर्मीकम्पोस्ट के उपयोग के लिए अनुदान देती है। साथ ही, यह एकीकृत कृषि प्रणाली जैसे कि पशुपालन और जैविक खेती के संयोजन को भी वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- सहायता कैसे प्राप्त करें: किसान इस योजना के लिए अपने राज्य के कृषि विभाग के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं और इसका लाभ उठा सकते हैं।
जैविक किसानों के लिए राज्य स्तरीय अनुदान योजनाएँ
TNOFP – तमिलनाडु जैविक खेती नीति
- तमिलनाडु सरकार की यह नीति किसानों को सब्सिडी और जैविक खेती से जुड़ा तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करती है।
- इस योजना के तहत 1 से 5 एकड़ भूमि वाले छोटे किसान और महिलाएं विशेष अनुदान की पात्र हैं।
SIM – सिक्किम ऑर्गेनिक मिशन
- भारत सरकार के समर्थन से सिक्किम देश का पहला पूरी तरह जैविक राज्य बन चुका है।
- यह मिशन किसानों को नि:शुल्क जैविक प्रमाणीकरण, जैव उर्वरक और कम्पोस्ट खाद के लिए सब्सिडी देता है।
- साथ ही यह योजना भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में जैविक उत्पादों के विपणन में भी किसानों की मदद करती है।
MPOFPP – मध्य प्रदेश जैविक खेती प्रोत्साहन कार्यक्रम
- यह योजना उन किसानों को प्रोत्साहन देती है जो जैविक खेती अपनाना चाहते हैं।
- इसके तहत किसान जैविक उत्पादों की प्रदर्शनियों और मेलों का आयोजन भी कर सकते हैं,
- जिससे उन्हें अपने उत्पादों के प्रचार-प्रसार में मदद मिलती है।
RPOF – राजस्थान जैविक खेती प्रोत्साहन योजना
- राजस्थान सरकार की यह योजना किसानों को जैविक खेती की तकनीकों और पद्धतियों को अपनाने के लिए वित्तीय सहायता देती है।
- कई किसानों को इस योजना के तहत प्रशिक्षण और जैविक प्रमाणपत्र भी प्रदान किए जाते हैं।
कैसे करें आवेदन: इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किसान अपने स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं। वहां से आवेदन प्रक्रिया, पात्रता और अन्य जरूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
केंद्र और राज्य सरकार की जैविक खेती अनुदान योजनाओं के लिए पात्रता
अगर आप एक किसान हैं और जैविक खेती में रुचि रखते हैं, तो सरकार की अनुदान योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आपको कुछ आवश्यक योग्यताएं पूरी करनी होंगी:
- सबसे पहले, आपको जैविक खेती अपनाने के लिए तैयार और प्रतिबद्ध होना चाहिए।
- आपको उस क्षेत्र का निवासी होना चाहिए जहाँ योजना को लागू किया जा रहा है।
- आपके पास भूमि का स्वामित्व प्रमाण या कानूनी पट्टे (लीज़) का दस्तावेज़ होना अनिवार्य है।
- साथ ही, आपको सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त जैविक खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम में पंजीकरण कराना होगा या उसका हिस्सा बनना होगा।
जैविक खेती अनुदान प्राप्त करने की आवेदन प्रक्रिया
- योजना का चयन करें: सबसे पहले अपने क्षेत्र और फसल के प्रकार के अनुसार उपयुक्त सरकारी योजना को पहचानें।
- दस्तावेज़ तैयार रखें: भूमि स्वामित्व प्रमाण, निवास प्रमाण, बैंक खाता विवरण, आधार कार्ड और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ तैयार रखें।
- व्यवसाय योजना बनाएं: एक अच्छी प्रोजेक्ट रिपोर्ट या व्यवसाय योजना तैयार करें जिसमें आपकी भूमि, खेती की योजना, उपयोग किए जाने वाले जैविक इनपुट आदि का विवरण हो।
- आवेदन फॉर्म भरें: अपने स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क करें, फॉर्म प्राप्त करें और सभी जरूरी जानकारी के साथ उसे भरकर जमा करें।
- दस्तावेज़ संलग्न करें: आवेदन के साथ सभी ज़रूरी दस्तावेज़ जैसे पहचान पत्र, बैंक पासबुक की कॉपी, भूमि कागजात और प्रोजेक्ट प्लान लगाएं।
- भूमि सत्यापन में सहयोग करें: जब विभाग की ओर से कोई अधिकारी भूमि सत्यापन के लिए आए, तो मौके पर उपस्थित रहें और जानकारी दें।
- आवेदन की स्थिति जांचें: समय-समय पर अपने आवेदन की स्थिति की जानकारी लेते रहें और यदि कोई सुधार मांगा जाए तो तुरंत पूरा करें।
- अनुदान प्राप्त करें: आवेदन स्वीकृत होने पर, अनुदान की राशि किश्तों में आपके बैंक खाते में भेजी जाती है।
- निर्देशों का पालन करें: योजना से जुड़ी भारत सरकार की जैविक खेती गाइडलाइनों का पालन सुनिश्चित करें, ताकि भविष्य में भी योजनाओं का लाभ मिलता रहे।
जैविक खेती अनुदान का लाभ अधिकतम करने के लिए सुझाव
- विभिन्न सरकारी योजनाओं से जुड़े अपडेट्स के लिए स्थानीय कृषि कार्यालयों और आधिकारिक वेबसाइटों पर नियमित रूप से नज़र रखें।
- अपने क्षेत्र के कृषि समूहों या किसान संगठनों से जुड़ें, ताकि संसाधन, जानकारी और अनुभव साझा किए जा सकें।
- सरकारी योजनाओं के तहत आयोजित जैविक खेती प्रशिक्षण और कार्यशालाओं में सक्रिय रूप से भाग लें — यह न केवल आपकी जानकारी बढ़ाएगा बल्कि आवेदन में भी मदद करेगा।
- बेहतर मुनाफे के लिए जैविक औषधीय पौधों जैसे तुलसी, अश्वगंधा या जैविक केसर और मसालों की खेती पर भी ध्यान दें।

भारत में जैविक खेती अनुदान प्राप्त करना इतना मुश्किल क्यों है?
- जानकारी की कमी: आज भी कई किसान सरकार द्वारा दी जा रही जैविक खेती अनुदान योजनाओं और सब्सिडी के बारे में जागरूक नहीं हैं।
- लाभ नहीं उठा पाते: योजनाओं की जानकारी न होने के कारण किसान इनका लाभ नहीं ले पाते और मौके चूक जाते हैं।
- जटिल आवेदन प्रक्रिया: जो किसान आवेदन करते हैं, उन्हें लंबी और जटिल मंजूरी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है, जिससे काफी समय और ऊर्जा की बर्बादी होती है।
- प्रमाणीकरण की कठिनाई: जैविक प्रमाणीकरण प्राप्त करना भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इसके लिए बहुत ऊंचे मानकों और कठोर नियमों का पालन करना पड़ता है।
- छोटे किसानों के लिए मुश्किल: सीमित संसाधनों वाले छोटे किसान इन प्रक्रियाओं को समझने और पूरा करने में अक्सर पीछे रह जाते हैं।
भारत सरकार जैविक खेती अनुदान प्रक्रिया में कैसे सुधार कर सकती है?
- आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाना चाहिए: हर योजना की आवेदन प्रक्रिया को किसान-फ्रेंडली बनाया जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्र के किसान भी आसानी से आवेदन कर सकें।
- जागरूकता अभियान चलाए जाएं: केंद्र और राज्य सरकारों के कृषि विभागों को गांव-गांव जाकर जैविक खेती और अनुदानों के लाभों के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए।
- समर्पित हेल्पलाइन की व्यवस्था हो: प्रत्येक राज्य में एक कृषक सहायता हेल्पलाइन होनी चाहिए, जो किसानों को आवेदन से लेकर अनुदान स्वीकृति तक की पूरी प्रक्रिया में मार्गदर्शन दे।
- डिजिटल सुविधा को बढ़ावा दें: आवेदन और फॉलोअप की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाए, ताकि किसान घर बैठे स्टेटस चेक कर सकें और समय की बचत हो।

निकट भविष्य में जैविक खेती से क्या उम्मीद कर सकते हैं?
- रसायन-मुक्त भोजन के प्रति जागरूकता बढ़ रही है: लोग अब सेहत को लेकर ज्यादा सजग हो रहे हैं और जैविक भोजन को प्राथमिकता दे रहे हैं।
- जैविक उत्पादों की मांग बढ़ रही है: हर साल भारत और दुनियाभर में जैविक फलों, सब्ज़ियों और अनाज की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे किसानों के लिए नए बाज़ार खुल रहे हैं।
- टिकाऊ विकास की दिशा में बड़ा कदम: जैविक खेती पर्यावरण को कम नुकसान पहुँचाती है, इसलिए इससे सस्टेनेबल (टिकाऊ) विकास की उम्मीद की जा सकती है।
- तकनीक और नवाचार से खेती और बेहतर होगी: आने वाले समय में नई तकनीकों और इनोवेशन की मदद से जैविक खेती और भी ज्यादा प्रभावशाली, सस्ती और मुनाफेदार बन सकती है।

निष्कर्ष
भारत में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई जैविक खेती अनुदान योजनाएं चलाई जा रही हैं, जो किसानों को वित्तीय सहायता के साथ-साथ टिकाऊ और रसायन-मुक्त खेती अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं। ये योजनाएं किसानों की आय बढ़ाने, मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और स्वस्थ भोजन उत्पादन में अहम भूमिका निभा रही हैं।
जैविक खेती अनुदान की मदद से किसान न केवल अपनी आजीविका बेहतर बना सकते हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे सकते हैं। इसलिए, किसानों को चाहिए कि वे इन योजनाओं और सब्सिडी में समय-समय पर होने वाले अपडेट्स पर नज़र रखें और सही समय पर आवेदन कर इन अवसरों का पूरा लाभ उठाएं।
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