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बिहार में बड़ा राशन घोटाला: भ्रष्टाचार का खुलासा, गरीबों के हक पर डाका!

बिहार के मुजफ्फरपुर में राशन घोटाले का खुलासा हुआ, जिसमें गरीबों से रिश्वत वसूली और अनाज में कटौती के गंभीर आरोप लगे हैं। प्रशासन ने भ्रष्ट डीलरों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की खामियों और राशन कार्ड में अनियमितताओं का एक बड़ा घोटाला सामने आया है। गरीबों को मिलने वाले अनाज में कटौती, रिश्वतखोरी और अधिकारियों की लापरवाही ने इस भ्रष्टाचार को और गहरा कर दिया है। मुजफ्फरपुर के कंपनीबाग स्थित टाउन हॉल में इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई, जिसमें पार्षदों ने प्रशासन की आंखें खोलने वाला खुलासा किया।

राशन कार्ड में गड़बड़ी: गरीबों से वसूली जा रही रिश्वत

बैठक में पार्षदों ने गंभीर आरोप लगाए कि राशन कार्ड में सुधार और नए कार्ड बनवाने के नाम पर गरीबों से 700 से 1000 रुपये तक की रिश्वत ली जा रही है। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि जब कोई इस भ्रष्टाचार की शिकायत करता है, तो अधिकारियों का रवैया टालमटोल भरा रहता है और वे इस पर कोई ध्यान नहीं देते।

कम राशन और घटिया अनाज: गरीबों को दोहरी मार

अंत्योदय योजना के तहत 35 किलोग्राम राशन मिलने की जगह गरीबों को केवल 20-25 किलोग्राम ही दिया जा रहा है। पार्षदों ने बताया कि डीलर अपने मुनाफे के लिए राशन की कटौती कर रहे हैं। इतना ही नहीं, वितरित किया जा रहा अनाज भी बेहद खराब गुणवत्ता का होता है, जिससे गरीब परिवारों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

पार्षदों की मांग: भ्रष्टाचार पर लगे रोक

बैठक में पार्षद राजीव कुमार पंकू, अभिमन्यु चौहान, संजय केजरीवाल, अजय कुमार ओझा, सनत कुमार और अर्चना पंडित ने प्रशासन को घेरा और मांग की कि राशन कार्ड सुधार की सुविधा नगर निगम कार्यालय में ही दी जाए, ताकि गरीबों को प्रखंड मुख्यालय के चक्कर न लगाने पड़ें।

अधिकारियों की कार्रवाई: भ्रष्ट डीलरों पर होगी सख्ती

बैठक में मौजूद एसडीओ (पूर्वी) अमित कुमार और सहायक जिला आपूर्ति पदाधिकारी कमलेश कुमार ने पार्षदों की शिकायतों को गंभीरता से सुना और तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि 15 दिनों के भीतर सभी पीडीएस दुकानों पर अधिकारियों के मोबाइल नंबर प्रदर्शित किए जाएं ताकि लोग सीधे शिकायत कर सकें।

छह महीने बाद हुई बैठक, अब होगी सख्त कार्रवाई?

इस घोटाले को लेकर पार्षद पिछले छह महीनों से निगम बोर्ड और स्थायी समिति की बैठकों में मुद्दा उठा रहे थे, लेकिन आपूर्ति विभाग के अधिकारी हर बार अनुपस्थित रहते थे। इस बार नगर आयुक्त विक्रम विरकर के प्रयासों से बैठक संभव हो सकी, जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि अब इस भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई होगी और गरीबों को उनका हक मिलेगा।

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