नई दिल्ली: हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी, जो पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले के मुख्य आरोपी हैं, को बेल्जियम के एंटवर्प शहर से गिरफ्तार कर लिया गया है। बेल्जियम की सरकार ने पुष्टि की है कि भारत का प्रत्यर्पण (Extradition) अनुरोध स्वीकार कर लिया गया है। यह भारत की बड़ी कूटनीतिक सफलता है।
मुख्य बातें (Highlights):
- अब चोकसी को भारत लाने की कानूनी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है
- 13,500 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले का मुख्य आरोपी मेहुल चोकसी बेल्जियम में गिरफ्तार
- भारत ने अगस्त 2024 में औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा था
- प्रत्यर्पण की प्रक्रिया भारत-बेल्जियम प्रत्यर्पण संधि के तहत की जा रही है
- बेल्जियम सरकार ने प्रारंभिक प्रमाणों के आधार पर अनुरोध स्वीकार कर लिया है
मेहुल चोकसी और उनके भतीजे नीरव मोदी पर ₹13,578 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी का आरोप है। CBI (सीबीआई) 2018 से चोकसी के प्रत्यर्पण की मांग कर रही है, जब वह भारत छोड़कर भाग गया था।
कौन है मेहुल चोकसी?
- चोकसी ने एंटीगुआ की नागरिकता ले ली थी और हाल ही में इलाज के बहाने बेल्जियम में रहने लगे थे।
- उन्होंने नवंबर 2023 में बेल्जियम का रेजिडेंसी परमिट हासिल किया, क्योंकि उनकी पत्नी बेल्जियम की नागरिक हैं।
- फरवरी 2025 में मुंबई की विशेष अदालत में एक याचिका में उन्होंने बताया था कि उन्हें ब्लड कैंसर है और वे यात्रा करने में असमर्थ हैं।
बेल्जियम की न्याय विभाग ने बयान जारी कर कहा:
“हमें पुष्टि करते हुए खुशी है कि भारत ने मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध भेजा है।”
उनके वकील साइमन बेकार्ट ने बयान दिया कि वे प्रत्यर्पण का विरोध करेंगे और भारत में निष्पक्ष सुनवाई न मिलने का दावा करेंगे।
चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने कहा:
“मेरे मुवक्किल को राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है। वो कैंसर के मरीज हैं, वीडियो कॉल के ज़रिए पूछताछ में सहयोग दे चुके हैं। अगर उन्हें भारत लाया गया तो उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा।”
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे मोदी सरकार की कूटनीतिक जीत बताया:
“यह भारत के लिए गर्व की बात है। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का परिणाम है।”
भारत-बेल्जियम प्रत्यर्पण (Extradition) संधि

मेहुल चोकसी: कानूनन ‘भगोड़ा’ घोषित नहीं
हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी, जिन्हें हाल ही में बेल्जियम पुलिस ने गिरफ्तार किया है, कानूनन ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ घोषित नहीं हुए हैं। भले ही सरकारी दस्तावेज़ों और अदालतों में उन्हें अक्सर “फरार” कहा जाता है, लेकिन अभी तक उन्हें भारत में आधिकारिक रूप से Fugitive Economic Offender घोषित नहीं किया गया है।
उनके वकील विजय अग्रवाल ने दावा किया है कि चोकसी एक कैंसर के मरीज़ हैं और भारत लौटने में असमर्थ रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा, “मेरे मुवक्किल ने हमेशा जांच एजेंसियों के साथ सहयोग किया है और कई बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूछताछ में शामिल होने की पेशकश की है।”
क़ानूनी पेच: क्यों नहीं हुए ‘भगोड़ा’ घोषित?
- ईडी (ED) ने 2018 में विशेष अदालत में अर्जी दी थी कि चोकसी को ‘Fugitive Economic Offender’ घोषित किया जाए।
- लेकिन अदालत में इस याचिका पर सुनवाई लगातार टलती रही है, जिससे औपचारिक घोषणा नहीं हो सकी।
- चोकसी ने इस अर्जी को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे 2023 में खारिज कर दिया गया था।
विशेषज्ञों के अनुसार, ‘भगोड़ा’ घोषित न होने से चोकसी के प्रत्यर्पण प्रयासों पर फिलहाल कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन अगर उन्हें FEO घोषित कर दिया गया, तो भारत और विदेशों में उनकी संपत्तियां ज़ब्त की जा सकेंगी।
Fugitive Economic Offender कानून
एडवोकेट शैलेन्द्र प्रताप सिंह के अनुसार:
“31 जुलाई 2018 से लागू FEO कानून के तहत, कोई भी व्यक्ति जिसकी ₹100 करोड़ या उससे अधिक की धोखाधड़ी हो और जो देश छोड़ चुका हो व वापस लौटने से इनकार करता हो, उसे भगोड़ा घोषित किया जा सकता है।”
मुख्य धाराएं:
- धारा 4: आवेदन दाखिल करने का प्रावधान
- धारा 10: नोटिस जारी करना
- धारा 11(2): वकील के माध्यम से पक्ष रखने की अनुमति
- धारा 12: कोर्ट द्वारा FEO घोषित करना
- धारा 16-17: प्रमाण और अपील की प्रक्रिया
भारत-बेल्जियम के संबंध
- भारत और बेल्जियम के बीच मार्च 2020 में प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर हुए थे।
- हाल ही में बेल्जियम की राजकुमारी एस्ट्रिड भारत दौरे पर आई थीं और प्रधानमंत्री मोदी ने बेल्जियम के राजा फिलिप से फोन पर बात की थी।
यह मामला अब बेल्जियम की अदालत में अगली सुनवाई के लिए तैयार है। भारत की एजेंसियां मामले को मजबूत करने और चोकसी को जल्द से जल्द वापस लाने की दिशा में जुट गई हैं।