रामजीलाल सुमन की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज सुनवाई हो सकती है। उन्होंने अपने घर पर हुए हमले और मिल रही धमकियों के मद्देनज़र केंद्रीय सुरक्षा और उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
रामजीलाल सुमन की याचिका ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी है। समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद ने यह याचिका उस समय दाखिल की जब आगरा स्थित उनके आवास पर हिंसक हमला हुआ और संपत्ति को नुकसान पहुँचाया गया। इस हमले के पीछे करणी सेना जैसे कट्टरपंथी संगठनों की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं।
इस याचिका में सुमन के बेटे और पूर्व विधायक रंजीत सुमन भी सह-याचिकाकर्ता हैं। उन्होंने अदालत से अपील की है कि केंद्र सरकार उन्हें और उनके परिवार को तत्काल सुरक्षा उपलब्ध कराए। साथ ही यह भी मांग की गई है कि आगरा के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिए जाएं कि ऐसी घटना भविष्य में दोबारा न हो।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले रामजीलाल सुमन ने ऐतिहासिक पात्र राणा सांगा को लेकर एक बयान दिया था, जिस पर करणी सेना समेत कई संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। इसके बाद आगरा में विरोध प्रदर्शन हुए और मामला हिंसक हो गया। सुमन पर हमले की यह घटना उसी विरोध की परिणति मानी जा रही है।
याचिका में विशेष रूप से यह कहा गया है कि सांसद को राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं, जिससे उनका और उनके परिवार का जीवन संकट में है। उन्होंने कहा है कि यह न केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा का मामला है, बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी प्रश्न है।
सुनवाई की जिम्मेदारी इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एम.सी. त्रिपाठी की एकल पीठ को सौंपी गई है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इमरान उल्ला और अधिवक्ता विनीत विक्रम अदालत में दलीलें पेश करेंगे। यद्यपि मामला सूचीबद्ध है, परंतु सूत्रों के अनुसार आज सुनवाई हो पाना संदिग्ध माना जा रहा है।
रामजीलाल सुमन ने मीडिया से बातचीत में दो टूक कहा कि वे अपने बयान पर कायम हैं और किसी भी तरह के दबाव के आगे झुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे केवल सच्चाई और संविधान के दायरे में रहकर अपनी बात रखते हैं। अगर इसके लिए उन्हें धमकाया जाता है या हमला किया जाता है, तो यह लोकतंत्र पर हमला माना जाना चाहिए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि हमले की जांच किसी निष्पक्ष और उच्चस्तरीय एजेंसी से कराई जाए ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। साथ ही, उन्होंने यह मांग भी रखी है कि उनके आवास की सुरक्षा पुख्ता की जाए और पुलिस को निर्देशित किया जाए कि हर हाल में कानून-व्यवस्था बनाए रखी जाए।
यह मामला अब केवल व्यक्तिगत सुरक्षा का नहीं रहा, बल्कि यह लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी और राजनीतिक शुचिता से जुड़ा मुद्दा बन चुका है। रामजीलाल सुमन की याचिका का असर राजनीतिक परिदृश्य पर पड़ेगा या नहीं, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन उनकी आवाज़ अब कानूनी गलियारों में गूंजने लगी है।