अपनी मर्ज़ी से शादी करने वालों को अब अदालत से स्वत: पुलिस सुरक्षा नहीं मिलेगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि जब तक किसी जोड़े की जान या आज़ादी को स्पष्ट और वास्तविक खतरा साबित न हो, तब तक उन्हें संरक्षण देने का अधिकार नहीं बनता। यह फैसला न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने एक ऐसे प्रेमी युगल की याचिका पर सुनाया, जिन्होंने शादी कर अपने परिवार वालों से संभावित ख़तरे की आशंका जताते हुए सुरक्षा की मांग की थी।
न्यायमूर्ति श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट के चर्चित लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले का हवाला देते हुए कहा कि अदालतें उन युवाओं को स्वतः सुरक्षा नहीं दे सकतीं जिन्होंने सिर्फ अपनी मर्ज़ी से शादी की हो और अपने घर से भागे हों। याचिकाकर्ता जोड़े ने पुलिस अधीक्षक चितरकूट को आवेदन देकर अपनी जान को खतरा बताया था, लेकिन अदालत ने कहा कि उनके पक्ष में ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि उनके जीवन को तात्कालिक या गंभीर खतरा है।
कोर्ट का यह निर्णय ऐसे समय आया है जब हाल के महीनों में इलाहाबाद हाई कोर्ट की कई टिप्पणियाँ सवालों के घेरे में आई हैं। मार्च में कोर्ट ने कहा था कि ‘स्तन पकड़ना’ और ‘पायजामा की डोरी खींचना’ बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता। अप्रैल में एक और टिप्पणी सामने आई जिसमें कहा गया कि “पीड़िता ने खुद मुसीबत को न्योता दिया।” इन दोनों मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए हाई कोर्ट की टिप्पणियों को असंवेदनशील और अमानवीय बताया।
न्यायालय का कहना है कि सिर्फ सामाजिक या पारिवारिक असहमति के कारण कोई भी जोड़ा सुरक्षा का हकदार नहीं बन जाता। सुरक्षा तभी दी जा सकती है जब खतरे की स्थिति प्रत्यक्ष रूप से प्रमाणित हो। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि पुलिस को भविष्य में कोई वास्तविक खतरा महसूस होता है, तो वह अपने विवेकानुसार आवश्यक सुरक्षा दे सकती है।
इस फैसले से यह भी स्पष्ट होता है कि भारतीय न्यायपालिका अब प्रेम-विवाह करने वाले जोड़ों के मामलों में संतुलन स्थापित करना चाहती है — जहाँ न तो मनमाने संरक्षण का अधिकार मिले, और न ही वास्तविक खतरे को अनदेखा किया जाए।
शादी करना हर बालिग व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, लेकिन राज्य से सुरक्षा पाने का दावा तभी जायज़ माना जा सकता है जब उसमें ठोस तथ्यों और प्रमाणों की नींव हो। वरना हर विवाह कोर्ट के सामने एक नया ‘सुरक्षा मामला’ बन जाएगा, जिससे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग भी हो सकता है।
Aaj kal judge ke girte sttarr ko bahut dekha jaa rha hai. “She was addicted to sex…” Chhattisgarh High Court’s comment for the rape victim