नमस्कार।
आशा करता हूं कि आप स्वस्थ और कुशल होंगे।
मी लॉर्ड, अब “या तो यह” या “या तो वह” का समय नहीं है। यह अंतिम अवसर है न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा का—जिसे हर स्थिति में बहाल करना ही होगा।
अब यह मामला न वक्फ़ कानून का है, न उसके प्रावधानों का—बल्कि यह सीधा-सीधा सर्वोच्च न्यायालय को धमकाने और उसके साथ गुंडागर्दी करने का मामला है। और आज आपके सामने अवसर है कि आप मज़बूती से खड़े हों।
न्याय के साथ खड़े हो जाइए और सर्वोच्च न्यायालय की उस गरिमा को पुनः स्थापित कीजिए जिसे डी. वाई. चंद्रचूड़ और रंजन गोगोई जैसे न्यायाधीशों ने कमजोर कर दिया है।
आपके सामने दो उदाहरण हैं:
- जस्टिस जगमोहन सिन्हा, जिन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कटघरे में खड़ा किया और उनके खिलाफ निर्णय दिया।
- और आपके चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना, जिन्होंने ADM जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला मामले में लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपनी मुख्य न्यायाधीश बनने की संभावना त्याग दी।
आज की स्थिति और भी गंभीर है। तब सर्वोच्च न्यायालय पर हमले नहीं हो रहे थे, लेकिन आज देश के उपराष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री, सांसद और राजनीतिक दल खुलेआम अदालत की गरिमा को चोट पहुँचा रहे हैं।
मुझे उम्मीद है कि आप इन धमकियों के आगे नहीं झुकेंगे—क्योंकि आपकी विरासत झुकने की नहीं रही है। आप उस न्यायिक परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो रीढ़ के साथ खड़ी होती है।
यह सरकार उन न्यायाधीशों की आदी हो चुकी है:
- जो सरकार के समक्ष यौन उत्पीड़न के आरोप लगते ही झुक जाते हैं,
- जो पद की लालसा में निर्णय बदल देते हैं,
- जो सत्ता के आगे सिर झुका कर घर पर मेजबानी करते हैं,
- और जो हर फैसला सरकार के पक्ष में सुनाते हैं।
लेकिन आप उनसे अलग हैं।
आपने RTI को मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय पर लागू किया और यह कहा:
“न्यायिक स्वतंत्रता, सूचना के अधिकार का विरोध नहीं करती है।”
आपने सेंट्रल विस्टा जैसे महत्त्वपूर्ण सरकारी प्रोजेक्ट पर सवाल उठाए और कहा:
“इसमें अपेक्षित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।”
आपने चुनावी बॉन्ड को अवैध घोषित कर देश की जनता को बताया कि सत्ता किस तरह अपारदर्शी ढंग से चंदा बटोर रही थी। आपने केजरीवाल और सिसोदिया जैसे नेताओं को सरकार के दबाव के बावजूद जमानत दी।
इसीलिए अब आप पर और सुप्रीम कोर्ट पर हमले हो रहे हैं। क्योंकि आपने झुकने से इनकार किया है।
अब समय है कि आप जस्टिस गोगोई नहीं, बल्कि जस्टिस जगमोहन सिन्हा बन जाएं।
आप पर हो रहे ये हमले इस बात के गवाह हैं कि आप अब तक नहीं झुके हैं।रीढ़ की हड्डी सीधी रखिए। इतिहास आपको उस मुख्य न्यायाधीश के रूप में याद रखेगा, जो सत्ता के सामने नहीं झुका।
आप अगली पीढ़ी के न्यायाधीशों के लिए एक प्रेरणा बन सकते हैं। आप ही हैं जो देश के न्यायतंत्र, लोकतंत्र और अपनी न्यायिक विरासत को संभाल सकते हैं।
क्योंकि अगर आप झुक गए, तो फिर नीचे की अदालतें सिर्फ रेंगेंगी। और जब न्यायपालिका रेंगती है, तो लोकतंत्र दम तोड़ देता है।
माननीय जस्टिस संजीव खन्ना जी,
पूरे देश की न्यायपालिका की गरिमा और आदर्श अब आपके हाथ में है।
या तो आप इसे न्याय की देवी का ताज बना दीजिए,
या फिर सरकार के चरणों की धूल।
ईश्वर आपको न्याय के साथ खड़े रहने की शक्ति दे।
नमस्कार,
अनिल यादव
भारत का एक नागरिक