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भारत में पहली बार सभी जातियों की गणना का फैसला: मोदी सरकार ने दी जातिगत जनगणना को मंजूरी

​भारत में जातिगत जनगणना को लेकर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि आगामी जनगणना में सभी जातियों की गणना की जाएगी, जो स्वतंत्र भारत में पहली बार होगा।

30 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अगली जनगणना में जातिगत आंकड़ों को भी शामिल किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह निर्णय सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, जनगणना शुरू होने की सटीक तारीख अभी घोषित नहीं की गई है।

जातिगत जनगणना का महत्व

जातिगत जनगणना से देश में विभिन्न जातियों की वास्तविक जनसंख्या का पता चलेगा, जिससे आरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ाई जा सकेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करने में मदद मिलेगी।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

भारत में अंतिम बार 1931 में ब्रिटिश शासन के दौरान सभी जातियों की गणना की गई थी। स्वतंत्रता के बाद से केवल अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) की ही गणना होती रही है। 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC) कराई गई थी, लेकिन उसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

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आगे की राह

सरकार ने संकेत दिया है कि जनगणना प्रक्रिया में लगभग एक वर्ष का समय लगेगा, और अंतिम आंकड़े 2026 के अंत तक या 2027 की शुरुआत में उपलब्ध हो सकते हैं। इस निर्णय को आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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चांदनी कुमारी ओबीसी आवाज़ में एक समर्पित पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। सामाजिक मुद्दों और समुदायों की आवाज़ उठाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।

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