बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, और अब झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने भी यहां सियासी जमीन तैयार करने की कवायद तेज़ कर दी है। पार्टी पहले ही 12 से 15 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह चुकी है, और अब खुद को महागठबंधन से अलग कर अकेले मैदान में उतरने का इशारा दे रही है।
महागठबंधन में उपेक्षा से नाराज़ JMM
JMM अब तक राजद-कांग्रेस-जेडीयू जैसे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन पार्टी के नेताओं का कहना है कि उन्हें लगातार नज़रअंदाज़ किया गया है।
JMM के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे ने कहा:
पटना में महागठबंधन की तीन बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन हमें एक बार भी नहीं बुलाया गया। अब अगर बात नहीं बनी, तो हम अकेले चुनाव लड़ेंगे।
सीट शेयरिंग पर अब भी सस्पेंस
JMM ने साफ कर दिया है कि अगर महागठबंधन उन्हें सम्मानजनक सीटें देने को तैयार होता है, तो वह गठबंधन में शामिल रहेगी। वरना पार्टी अपने दम पर चुनाव लड़ने की योजना बना चुकी है।
राजनीतिक गलियारों में हलचल
- कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि सभी दलों से बातचीत चल रही है और अभी वक्त बाकी है।
- वहीं, भाजपा के पूर्व विधायक बिरंची नारायण ने कहा: JMM को अब समझ जाना चाहिए कि उन्हें महागठबंधन में ध्यान नहीं दी जा रही। कांग्रेस का इतिहास है कि वो छोटे दलों को हाशिए पर डाल देती है।
अब तक बिहार में JMM का क्या रहा प्रदर्शन?
- साल 2010 में JMM ने चकाई सीट से एकमात्र जीत दर्ज की थी।
- सुमित कुमार सिंह ने तब JMM टिकट पर जीत हासिल की थी, जो अब स्वतंत्र विधायक हैं और नीतीश सरकार में मंत्री हैं।
क्या होगा असर?
अगर JMM महागठबंधन से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ती है, तो सीमांचल और दक्षिण बिहार में मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है। यह कदम महागठबंधन के लिए मुश्किलें भी बढ़ा सकता है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या महागठबंधन आखिरी वक्त में JMM को मनाने में कामयाब होता है या JMM अपनी राह अलग करने का फैसला कर लेती है।