यह वैरिएंट ओमिक्रॉन की फैमिली से है और इसे तेजी से फैलने वाला माना जा रहा है। WHO ने इसे “वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट” कहा है यानी उस पर नजर रखी जा रही है। हालांकि अभी तक इससे गंभीर बीमारी या मौतों में इजाफा नहीं देखा गया है।
JN.1 को लेकर डरने की जरूरत नहीं, लेकिन लापरवाही की भी गुंजाइश नहीं है। मास्क, सावधानी और बूस्टर डोज़ अभी भी सबसे जरूरी हथियार हैं।
JN.1 कितना खतरनाक है
JN.1 वैरिएंट तेजी से फैल जरूर रहा है, लेकिन अब तक की रिपोर्ट्स बताती हैं कि इससे गंभीर बीमारी का खतरा कम है। CDC और एक्सपर्ट्स का मानना है कि वैक्सीन और पहले हुए संक्रमण से बनी इम्युनिटी अब भी काफी हद तक असरदार है।
इसके लक्षण क्या हैं?
- गले में खराश
- बुखार
- खांसी
- बदन दर्द
- नाक बहना
- सिरदर्द
- थकान
ये लक्षण आम सर्दी-जुकाम जैसे ही हैं, इसलिए लापरवाही न करें।
बचाव के आसान तरीके
- भीड़ में मास्क पहनें
- हाथों को बार-बार धोएं
- खांसी या छींक आते वक्त मुंह-नाक ढकें
- बुजुर्ग और बीमार लोग बूस्टर डोज़ जरूर लें
- लक्षण होने पर घर में ही रहें और आइसोलेट करें
कहाँ-कहाँ बढ़े केस
दक्षिण-पूर्वी एशिया में एक बार फिर कोरोना वायरस के केस बढ़ने लगे हैं। खासतौर पर हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर, चीन और थाईलैंड जैसे देशों में मामलों में तेज़ उछाल देखा जा रहा है। नए मामलों की वजह JN.1 वैरिएंट को माना जा रहा है। कई देशों में सरकारें बूस्टर डोज़ लेने की अपील कर रही हैं और अलर्ट लेवल बढ़ा दिया गया है।
हॉन्गकॉन्ग:
यहाँ कोरोना की रफ्तार पिछले एक साल में सबसे तेज़ है। 3 मई को खत्म हुए हफ्ते में 31 गंभीर केस सामने आए हैं, जो बीते 12 महीनों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। नालियों के पानी में वायरस का स्तर और अस्पतालों में बढ़ते कोरोना केस साफ बता रहे हैं कि संक्रमण फिर से फैल रहा है।
सिंगापुर:
यहाँ केस 28% उछलकर 14,200 तक पहुंच गए हैं। अस्पताल में भर्ती भी 30% तक बढ़ी है। हेल्थ मिनिस्ट्री का कहना है कि इम्युनिटी घटने की वजह से ये उछाल हो सकता है, लेकिन फिलहाल कोई संकेत नहीं है कि नया वैरिएंट ज़्यादा खतरनाक है।
थाईलैंड:
17 मई को खत्म हुए हफ्ते में यहाँ 33,030 नए केस आए हैं—पिछले हफ्ते से दोगुने। बैंकॉक, चोनबुरी और रायोंग सबसे ज्यादा प्रभावित जिले हैं। 30-39 साल की उम्र वाले लोग सबसे ज़्यादा संक्रमित हैं। सरकार ने हाई-रिस्क ग्रुप्स से बूस्टर लेने की अपील की है। ये बढ़ोतरी अप्रैल के त्योहारों के बाद देखी जा रही है।
चीन:
यहाँ 31 मार्च से 4 मई के बीच कोरोना पॉजिटिविटी 7.5% से बढ़कर 16.2% हो गई है। अस्पताल में भर्ती मरीजों में ये आंकड़ा 3.3% से बढ़कर 6.3% तक पहुंच गया है। एक्सपर्ट्स इसे पिछले साल जैसी लहर का संकेत मान रहे हैं।
भारत की स्थिति कैसी है?
भारत में अभी स्थिति नियंत्रण में है। 19 मई तक सिर्फ 257 एक्टिव केस हैं। किसी बड़े संक्रमण या क्लस्टर की खबर नहीं है, लेकिन सरकार सतर्क है और निगरानी लगातार बढ़ा रही है।