प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे पर आरजेडी ने शुक्रवार को तीखा हमला बोला। पार्टी सांसद मनोज झा ने कहा कि जो योजनाएं पीएम ने लॉन्च कीं, उनका शिलान्यास पहले भी कई बार हो चुका है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ खास बदलाव नहीं दिख रहा।
पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में झा ने कहा,
आज जिन योजनाओं का उद्घाटन हुआ, वो पहले भी कई बार घोषित हो चुकी हैं। मैं चाहूं तो हर एक का उदाहरण दे सकता हूं। ये प्रधानमंत्री के पद की गरिमा के खिलाफ है।”
उन्होंने आगे कहा,
बिहार को सिर्फ मजदूर सप्लाई करने वाला राज्य बना देना ठीक नहीं है। सारी पूंजी और उद्योग गुजरात में केंद्रित हैं, और हमारे मजदूरों का खून-पसीना ट्रेनों से वहां पहुंचाया जा रहा है। ये नाइंसाफी है।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में INDIA गठबंधन के बाकी नेता भी मौजूद थे। सबने मिलकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने, रोजगार के पक्के इंतज़ाम करने और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने की मांग उठाई।
मनोज झा ने पीएम की यात्रा पर तंज कसते हुए कहा,
प्रधानमंत्री आए और चले भी गए। हम जो सवाल पूछ रहे हैं, वो कोई रॉकेट साइंस नहीं हैं, बिहार में रोज़गार, विकास और स्पेशल स्टेटस की मांग बिल्कुल बुनियादी है।”
उन्होंने कहा,
2015 जैसी अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं होगी। सिर्फ दिखावे के प्रोजेक्ट्स और खोखली घोषणाओं से बिहार आगे नहीं बढ़ सकता।
आरक्षण पर बोलते हुए झा ने एक बार फिर 65% आरक्षण की मांग दोहराई। उन्होंने कहा,
जब तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के साथ गठबंधन में थे, तब ये प्रस्ताव आया था। हमें पता है कोर्ट में मामला किसने पहुंचाया, लेकिन हमने पीएम से कहा था कि इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में डाला जाए ताकि ये सुरक्षित रहे।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए विपक्ष की तरफ से भेजे गए पत्रों को केंद्र सरकार ने नज़रअंदाज़ कर दिया।
मनोज झा ने कहा, बिहार के लोग सीधे हैं, लेकिन मूर्ख नहीं। एक ही योजना बार-बार लॉन्च करने से अब फर्क नहीं पड़ेगा।
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने करकट की सभा में करीब 48,520 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करते हुए आरजेडी और कांग्रेस पर पलटवार किया।
पीएम मोदी ने कहा, जिन लोगों ने दशकों तक बिहार को लूटा, जिनके शासन में गरीबों को पलायन करना पड़ा, अब वही लोग सामाजिक न्याय की बातें कर रहे हैं। जब उनके राज में दलितों और पिछड़ों के पास शौचालय तक नहीं था, तब ये चुप थे।



