शुक्रवार, 1 जून 2025 की दोपहर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में एक दर्दनाक दृश्य उभरा। पंजाब के छह युवक आईआईटी-मंडी की ओर जा रहे थे, जब कटौला के निकट एनएच 154 पर उनकी कार तीखे मोड़ पर अनियंत्रित हो गई। वाहन सड़क से फिसलकर 200 फीट गहरी खाई में जा गिरा, जहाँ पेड़ों और चट्टानों से टकराने के बाद यह पूरी तरह विरूपित हो गया। स्थानीय दुकानदार राजेश कुमार ने बताया कि धमाके की आवाज सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुँचे, लेकिन पाँच युवाओं के शवों को निकालने में 45 मिनट लगे। छठा युवक चमत्कारिक रूप से जीवित मिला, जिसके शरीर में गंभीर चोटें थीं। प्रारंभिक जाँच में ड्राइवर की अनुभवहीनता और अत्यधिक गति को कारण बताया गया, हालाँकि सड़क किनारे गार्डर का पूर्ण अभाव भी प्रमुख कारक था।
पीड़ितों की पहचान और परिवारों पर मौत का साया
मृतकों की पहचान पंजाब के अमृतसर, जालंधर और होशियारपुर जिलों के 18-22 वर्षीय युवकों के रूप में हुई है। पुलिस द्वारा कार के मलबे से बरामद कागजातों से पता चला कि सभी मध्यवर्गीय परिवारों से ताल्लुक रखते थे और आईआईटी में प्रवेश या शैक्षणिक चर्चा के उद्देश्य से यात्रा कर रहे थे। एक युवक की पहचान उसकी बाँह पर उकेरी गई आईआईटी-कानपुर की लोगो वाली टैटू से हुई, जो उसके शैक्षणिक सपनों का प्रतीक थी। घायल युवक को मंडी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर लेकिन स्थिर बताई। उसके सिर में गहरी चोट और फेफड़ों में रक्तस्राव की सूचना मिली है। परिवारों से संपर्क करने में पुलिस को कठिनाई हो रही थी, क्योंकि अधिकांश युवकों के पास कोई पहचान दस्तावेज नहीं था।
प्रशासनिक लापरवाही और जाँच के सवाल
मामले की जाँच कर रही मंडी पुलिस ने आईपीसी की धारा 304ए (मृत्यु के लिए लापरवाही) के तहत केस दर्ज किया है। प्रारंभिक निष्कर्षों में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि हादसे वाले मोड़ पर न तो स्पीड ब्रेकर थे, न चेतावनी बोर्ड और न ही सुरक्षा गार्डर। स्थानीय ग्राम प्रधान सुनील शर्मा ने बताया कि पिछले दो वर्षों में यह इस स्थान पर छठी बड़ी दुर्घटना है। उन्होंने कहा, हमने लिखित में तीन बार लोक निर्माण विभाग को गार्डर लगाने का आग्रह किया था, लेकिन बजट की कमी का हवाला दिया गया। पुलिस ने कार के ब्लैक बॉक्स को सुरक्षित कर लिया है, जिससे वास्तविक गति, ब्रेकिंग पैटर्न और वाहन की तकनीकी स्थिति का विश्लेषण किया जाएगा। ट्रैफिक विशेषज्ञ डॉ. अजय मेहता ने इंगित किया कि पहाड़ी मार्गों पर गति सीमा 40 किमी/घंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए, लेकिन इस क्षेत्र में कोई स्पीड लिमिट बोर्ड नहीं हैं।
राज्य सरकारों की प्रतिक्रिया और राहत उपाय
घटना की खबर मिलते ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हिमाचल प्रदेश सरकार से तत्काल संपर्क किया। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से शोक व्यक्त करते हुए घोषणा की कि प्रत्येक मृतक के परिवार को 5 लाख रुपये और घायल को 2 लाख रुपये की त्वरित आर्थिक सहायता दी जाएगी। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक उच्चस्तरीय जाँच समिति गठित की है, जिसे 15 दिनों में रिपोर्ट देनी है। साथ ही, राज्य के सभी खतरनाक मोड़ों पर सुरक्षा उपायों के अध्ययन का आदेश दिया गया। घायल युवक के परिवार को विशेष एम्बुलेंस द्वारा पंजाब ले जाने की व्यवस्था की गई है। उसके पिता हरप्रीत सिंह ने सड़क सुरक्षा उपायों की कमी पर गहरी नाराजगी जताई: मेरा बेटा आईआईटी की तैयारी कर रहा था। सरकारें सिर्फ मुआवजा देकर जिम्मेदारी से बच नहीं सकतीं।
पहाड़ी सड़कों का सुरक्षा संकट और भविष्य के उपाय
यह घटना हिमाचल प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों की भयावह तस्वीर पेश करती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2024 के आँकड़ों के अनुसार, राज्य में पिछले वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में 1,287 मौतें दर्ज हुईं, जिनमें से 60% पर्यटन सीजन के दौरान घटीं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके तीन प्रमुख कारण हैं: पहाड़ी सड़कों पर बुनियादी सुरक्षा ढाँचे का अभाव, पर्यटक वाहनों की खराब तकनीकी स्थिति और स्थानीय ड्राइवरों द्वारा यातायात नियमों की अनदेखी। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने हाल ही में हिम सुरक्षा अभियान शुरू किया है, जिसके तहत पहाड़ी राज्यों में इंटेलिजेंट स्पीड ब्रेकर्स, रिफ्लेक्टिव पेंटिंग और इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम विकसित किए जाने हैं। हालाँकि, स्थानीय निवासियों का कहना है कि योजनाएँ जमीन पर दिखाई नहीं दे रहीं। स्थानीय समुदाय अब प्रशासन के खिलाफ धरने की तैयारी कर रहा है, जिसमें 72 घंटे के भीतर दुर्घटनास्थल पर गार्डर लगाने की माँग शामिल है।



