नोएडा के सेक्टर-35 स्थित सुमित्रा हॉस्पिटल में शुक्रवार सुबह अचानक आग लग गई, जिससे अस्पताल परिसर में अफरातफरी मच गई। आग हॉस्पिटल की चार मंजिला इमारत के भूतल पर बने रिकॉर्ड रूम में करीब साढ़े छह बजे लगी। जैसे ही धुएं का गुबार पूरे अस्पताल में फैला, मरीज और उनके तीमारदार घबराकर बाहर की ओर भागने लगे।
मौके पर पहुंची दमकल विभाग की छह गाड़ियों ने करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। राहत की बात रही कि किसी मरीज या स्टाफ की जान नहीं गई, लेकिन बचाव कार्य के दौरान दो कर्मचारी कांच टूटने से घायल हो गए।
आग लगने की वजह और घटनास्थल का हाल
मुख्य अग्निशमन अधिकारी प्रदीप कुमार चौबे ने बताया कि आग लगने की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की छह गाड़ियां और एक हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म तुरंत मौके पर भेजे गए। जांच में सामने आया कि आग शॉर्ट-सर्किट की वजह से लगी थी। रिकॉर्ड रूम जहां आग लगी, वह घटना के वक्त बंद था, जिससे आग ने दस्तावेजों को अपनी चपेट में ले लिया। जैसे ही धुआं ऊपर की मंजिलों तक पहुंचा, पहली और दूसरी मंजिल पर भर्ती मरीज खुद ही बाहर निकल आए। तीसरी मंजिल पर भर्ती मरीजों को बाहर निकालने की जरूरत नहीं पड़ी क्योंकि वहां धुआं नहीं पहुंचा।
आग बुझाने के बाद फायर टीम ने स्मोक एक्सट्रैक्शन सिस्टम की मदद से इमारत से धुआं बाहर निकाला। बचाव कार्य के दौरान दो केयर टेकर को कांच टूटने से हल्की चोट आई, जिन्हें मौके पर ही प्राथमिक उपचार दिया गया। अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि रिकॉर्ड रूम में रखे पुराने दस्तावेज और फाइलें जल गई हैं, लेकिन मरीजों की सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई।
मरीजों में भगदड़ और अस्पताल प्रबंधन की सतर्कता
आग लगने के बाद अस्पताल के अंदर भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। धुएं के कारण कई मरीजों और उनके परिजनों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। अस्पताल प्रबंधन ने तुरंत सभी वार्डों में अलर्ट जारी किया और स्टाफ को मरीजों को सुरक्षित बाहर निकालने के निर्देश दिए। फायर अलार्म बजते ही नर्सिंग स्टाफ, सुरक्षाकर्मी और डॉक्टरों ने मिलकर मरीजों को बाहर निकाला। अस्पताल के बाहर एंबुलेंस और स्ट्रेचर की व्यवस्था की गई थी, ताकि जरूरत पड़ने पर गंभीर मरीजों को तुरंत दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सके।
अस्पताल के गेट पर पुलिस की टीम भी तैनात रही, जिससे भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। मरीजों के परिजनों को अस्पताल के बाहर ही रोक दिया गया और उन्हें लगातार हालात की जानकारी दी जाती रही। अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि समय रहते आग पर काबू पा लिया गया, जिससे बड़ा हादसा टल गया।
लगातार दूसरे अस्पताल में आग की घटना से चिंता
इस घटना से दो दिन पहले ही नोएडा के सेक्टर-12 स्थित मेट्रो हॉस्पिटल के फिजियोथेरेपी विभाग में भी आग लग गई थी। उस घटना में भी शॉर्ट-सर्किट ही वजह रहा। वहां भी फायर ब्रिगेड की तीन गाड़ियों ने आधे घंटे में आग बुझा दी थी और कोई जनहानि नहीं हुई थी। लगातार दो अस्पतालों में आग की घटनाओं ने नोएडा के अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पतालों में फायर सेफ्टी ऑडिट, इमरजेंसी ड्रिल और इलेक्ट्रिकल वायरिंग की नियमित जांच बेहद जरूरी है। मरीजों की सुरक्षा के लिए अस्पतालों को अपने फायर अलार्म, स्मोक डिटेक्टर और फायर फाइटिंग सिस्टम को हमेशा दुरुस्त रखना चाहिए।
प्रशासन और दमकल विभाग की अपील
मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने सभी अस्पतालों और सार्वजनिक इमारतों को फायर सेफ्टी नियमों का कड़ाई से पालन करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि शॉर्ट-सर्किट से होने वाली आग को रोकने के लिए समय-समय पर इलेक्ट्रिकल सिस्टम की जांच कराना जरूरी है। अस्पताल प्रबंधन को भी स्टाफ की ट्रेनिंग और इमरजेंसी प्लानिंग पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है।
दमकल विभाग ने आम जनता से अपील की है कि किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में घबराएं नहीं, तुरंत 101 नंबर पर सूचना दें और सुरक्षित स्थान पर चले जाएं। अस्पतालों को भी सलाह दी गई है कि वे अपने फायर सेफ्टी उपकरणों की समय-समय पर जांच करते रहें, ताकि किसी भी आपात स्थिति में जान-माल का नुकसान रोका जा सके।
सतर्कता से बच सकती है बड़ी दुर्घटना
नोएडा के सुमित्रा हॉस्पिटल में आग की घटना ने एक बार फिर अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था की अहमियत को उजागर किया है। समय रहते दमकल विभाग और अस्पताल स्टाफ की सतर्कता से बड़ा हादसा टल गया, लेकिन यह घटना एक चेतावनी भी है कि अस्पतालों को अपनी फायर सेफ्टी व्यवस्था और इमरजेंसी रिस्पांस सिस्टम को हर वक्त तैयार रखना चाहिए। मरीजों की सुरक्षा सर्वोपरि है और इसके लिए हर स्तर पर सतर्कता जरूरी है।