मध्य पूर्व में ईरान और इजरायल के बीच जारी संघर्ष के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को बेहद सख्त चेतावनी दी है। ट्रम्प ने साफ कहा कि अमेरिका का ईरान पर हुए हालिया हमले से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन अगर ईरान ने अमेरिका या उसके किसी भी हित पर किसी भी रूप में हमला किया, तो अमेरिकी सेना की पूरी ताकत “ऐसे स्तर पर उतरेगी जैसा पहले कभी नहीं देखा गया”।
ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “अगर हम पर किसी भी तरह से हमला हुआ, तो यूएस आर्म्ड फोर्सेज की पूरी ताकत और शक्ति आप पर ऐसे गिरेगी जैसा पहले कभी नहीं देखा गया।” उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ईरान और इजरायल के बीच समझौता करवा सकता है और इस खूनी संघर्ष को खत्म कर सकता है।
हमलों का सिलसिला और बढ़ता खतरा
बीते तीन दिनों में ईरान और इजरायल के बीच मिसाइल और ड्रोन हमलों का सिलसिला तेज हो गया है। इजरायल ने ऑपरेशन ‘राइजिंग लायन’ के तहत तेहरान समेत ईरान के कई बड़े सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमला बोला। इन हमलों में ईरान के कई शीर्ष सैन्य अधिकारी और नौ परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। ईरान के शाहरान फ्यूल डिपो, शाहर रे ऑयल रिफाइनरी और रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय को निशाना बनाया गया। धमाकों के बाद राजधानी तेहरान में अफरा-तफरी और आगजनी के दृश्य देखे गए। ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई में ऑपरेशन ‘ट्रू प्रॉमिस 3’ के तहत 150 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल और 100 से अधिक ड्रोन इजरायल पर दागे, जिससे इजरायल के कई शहरों में मौत और तबाही का मंजर रहा। दोनों देशों के हमलों में अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
ट्रम्प का दोहरा रुख: कूटनीति या सैन्य दबाव?
ट्रम्प ने एक ओर जहां ईरान को “समझौता करने का आखिरी मौका” बताया, वहीं दूसरी तरफ इजरायल के हमलों को एक्सीलेंट कहकर समर्थन भी जताया। ट्रम्प ने दावा किया कि उन्होंने दो महीने पहले ही ईरान को 60 दिन का अल्टीमेटम दिया था कि वह नया परमाणु समझौता करे, वरना गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। अब ट्रम्प ने दो टूक कहा, “आज 61वां दिन है। मैंने ईरान को बता दिया था क्या करना है, लेकिन वे नहीं माने। अब शायद उनके पास दूसरा मौका है।” ट्रम्प ने यह भी कहा कि अगर ईरान ने अमेरिका या उसके हितों पर हमला किया, तो ईरान को “ऐसा अंजाम भुगतना पड़ेगा जैसा पहले कभी नहीं देखा गया”। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि अमेरिका आसानी से ईरान-इजरायल के बीच डील करवा सकता है और यह युद्ध खत्म हो सकता है।
अमेरिका की भूमिका और वैश्विक प्रतिक्रिया
ट्रम्प ने बार-बार स्पष्ट किया कि अमेरिका ने इजरायल के ईरान पर हमलों में कोई भूमिका नहीं निभाई है और न ही अमेरिकी सेना ने सीधे तौर पर ईरान पर कोई हमला किया है। हालांकि, अमेरिकी सेना इजरायल की मिसाइल डिफेंस में सहायता कर रही है और क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा रही है। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने भी क्षेत्र में तनाव कम करने की अपील की है, जबकि इराक ने ईरान से अनुरोध किया है कि वह उसके क्षेत्र में मौजूद अमेरिकी सैनिकों को निशाना न बनाए। इस बीच, ईरान ने अमेरिका पर इजरायल का समर्थन करने का आरोप लगाया है और चेतावनी दी है कि अगर पश्चिमी देशों ने इजरायल की मदद की तो उनके सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाया जा सकता है।
परमाणु कार्यक्रम और आगे का रास्ता
इजरायल के हमलों में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बड़ा झटका लगा है। कई प्रमुख परमाणु साइट्स, वैज्ञानिक और सैन्य अधिकारी मारे गए हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन हमलों से ईरान के परमाणु हथियार बनाने की क्षमता कम से कम एक साल पीछे चली गई है। ईरान ने दावा किया है कि उसके पास अभी भी पर्याप्त यूरेनियम है, लेकिन इजरायल की रणनीति दिमाग और मशीन दोनों को खत्म करने की रही है। इस बीच, ईरान ने अमेरिका के साथ चल रही परमाणु वार्ता रद्द कर दी है और कहा है कि मौजूदा हालात में कूटनीति संभव नहीं है। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय लगातार संयम बरतने की अपील कर रहे हैं, लेकिन दोनों देशों के तेवर देखते हुए फिलहाल तनाव कम होने के आसार नजर नहीं आ रहे।
क्या बढ़ेगा युद्ध या बनेगी शांति?
ईरान-इजरायल के बीच जारी टकराव ने पूरे मध्य पूर्व को युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है। ट्रम्प की धमकी के बाद ईरान की अगली प्रतिक्रिया पर सबकी नजरें टिकी हैं। अगर ईरान ने अमेरिका या उसके हितों पर हमला किया, तो ट्रम्प के मुताबिक अमेरिका की “पूरी ताकत” ईरान पर टूट पड़ेगी, जिससे हालात और भी भयावह हो सकते हैं। दूसरी ओर, ट्रम्प ने कूटनीतिक समाधान की भी बात कही है, लेकिन फिलहाल दोनों पक्षों के तेवर काफी आक्रामक हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह संघर्ष और बड़ा रूप लेता है या कोई नया समझौता सामने आता है।