राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, जो हाल ही में किडनी ट्रांसप्लांट जैसी गंभीर सर्जरी से गुज़रे हैं और अभी भी डॉक्टरों की निगरानी में हैं, उन्होंने अपनी बिगड़ती तबीयत के बावजूद लोगों के बीच आकर अपना जन्मदिन मनाया।
अब वे पूरी तरह से चल-फिर भी नहीं पाते, फिर भी उन्होंने अपने चाहने वालों को निराश नहीं किया और उनके साथ मिलकर केक काटा। ये सिर्फ एक सेलिब्रेशन नहीं था, बल्कि ये दिखाता है कि लालू आज भी जनता से कितना जुड़ाव महसूस करते हैं, चाहे उनकी हालत जैसी भी हो।
राजनीति के नाम पर आरोप?
जन्मदिन के इस मौके के बाद, बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने लालू यादव को एक नोटिस भेजा है। आरोप ये है कि उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर का अपमान किया। लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग नज़र आती है।
एक वीडियो में साफ दिखता है कि एक समर्थक अंबेडकर जी की तस्वीर लेकर आया और उसे लालू यादव के बगल में रखकर फोटो खिंचवाई। यह स्पष्ट रूप से सम्मान प्रकट करने का तरीका था, न कि कोई अपमान। लेकिन BJP और JDU पार्टियां इसे अपमान बताकर लालू यादव पर निशाना साध रही हैं।
लालू प्रसाद यादव, जो दशकों से खुद को सामाजिक न्याय का पुरोधा बताते हैं, उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर का घोर अपमान किया है।
— Amit Malviya (@amitmalviya) June 14, 2025
उनके जन्मदिन पर, बाबा साहेब की तस्वीर उनके चरणों में रखी गई — और लालू यादव ने न तो उसे उठाया, न सम्मान दिया, और न ही छूना तक ज़रूरी समझा।
खुद को सामाजिक… pic.twitter.com/vYrYmBSuSt
जब दलितों पर अत्याचार होते हैं, आयोग तब चुप क्यों रहता है?
जब बिहार में कहीं दलितों को मंदिर में घुसने से रोका जाता है, कहीं उनकी जमीन छीनी जाती है, या उन्हें पीटा जाता है, तब यही आयोग क्यों चुप रहता है? अब जब बात एक विपक्षी नेता की आई, तो तुरंत एक्शन ले लिया गया। क्या आयोग का रवैया राजनीतिक दबाव में तय होता है?
समर्थकों का कहना
लालू समर्थकों ने कहा, जो इंसान इतनी गंभीर बीमारी के बावजूद जनता के बीच आता है, अंबेडकर जी की तस्वीर के साथ खड़ा होता है, उस पर ऐसे आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
तेजस्वी का पलटवार
तेजस्वी यादव ने भी इस मामले में तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, जब दलितों पर ज़ुल्म होता है, तब आयोग सोया रहता है। लेकिन जब बात लालू जी की आती है, तो तुरंत जाग जाता है। क्या ये सब सिर्फ उन्हें बदनाम करने की साजिश नहीं है?
बीमार हैं, पर बेबस नहीं
लालू यादव की सेहत भले ही कमजोर हो, लेकिन उनका हौसला वैसा ही मजबूत है। उन्होंने ये साफ कर दिया कि न वो थकते हैं, न रुकते हैं, और न किसी दबाव में झुकते हैं।
अंबेडकर जी की तस्वीर के साथ उनका खड़ा होना इस बात का साफ संकेत है कि वो और उनका दल अब भी सामाजिक न्याय और अंबेडकर के विचारों के लिए पूरी तरह समर्पित हैं।