दो देशों के बीच युद्ध में झूठ खूब बोले जाते हैं। दोनों देश एक-दूसरे के हुए नुकसान को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं और अपने नुकसान को छिपाते हैं।
1000–2000 किलोमीटर दूर बैठकर, दुश्मन देश के जान-माल के नुकसान के ऐसे-ऐसे दावे किए जाते हैं जैसे कोई वहीं मौजूद होकर गिनती करके आया हो।
अपने नुकसान को छिपाना और दुश्मन के नुकसान को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना, यह भी युद्ध का एक हिस्सा होता है, जिससे युद्ध जीतने का एक नैरेटिव तैयार किया जाता है।
इतने कैंप तबाह कर दिए गए, वहां के एयरबेस नष्ट कर दिए गए, परमाणु केंद्रों पर हमला कर दिया गया, यूरेनियम का रिसाव शुरू हो गया, इतने लोग मार दिए गए, यह सब उसी प्रचार युद्ध का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य अपने देश की जनता को यह विश्वास दिलाना होता है कि युद्ध में जीत मिल गई है। चाहे खुद का कितना ही नुकसान क्यों न हुआ हो, उसे सेना की गोपनीयता की आड़ में छिपा लिया जाता है।
हर युद्ध में ऐसा ही होता है। ईरान-इज़राइल युद्ध में भी यही हो रहा है। इसी तरह के प्रोपेगेंडा और झूठ को छिपाने के लिए युद्ध अधिकतर रात में होते हैं। दिन के उजाले में मिसाइलें दिखाई देती हैं, इसलिए यह पता चल सकता है कि वह कहां गिरीं और कितना नुकसान हुआ, इसलिए युद्ध अक्सर रात में लड़े जाते हैं।
अब वह समय नहीं रहा जब सूर्योदय के साथ युद्ध शुरू होते थे और सूर्यास्त के साथ ही सेनाएं हथियार रख देती थीं।
रात में आग की रोशनी और मिसाइलों के धमाके ही यह सिद्ध करते हैं कि लक्ष्य पर वार हुआ या नहीं। और इसी रात में, इज़राइल को उसके अस्तित्व के बाद की सबसे बड़ी चोट पहुंची है।
खबर है कि इज़राइल का घमंड आयरन डोम तमाशबीन बनकर रह गया और ईरान ने ताबड़तोड़ तरीके से इज़राइल की आर्थिक राजधानी तेल अवीव पर बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन से हमला कर दिया।
सूचना है कि इन हमलों से तेल अवीव के रिहायशी इलाकों और सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा है। यरुशलम और उत्तरी इज़राइल के तमरा शहर में भी ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलें गिरीं।
इसके साथ ही ईरान ने इज़राइल के सैन्य ठिकानों विशेष रूप से तेल अवीव में इज़रायली सेना के मुख्यालय किर्यात को निशाना बनाया और इज़राइल के प्रमुख एयरपोर्ट, हवाई अड्डों और अन्य सैन्य सुविधाओं पर हमले किए।
खबर है कि इज़राइल का मुख्य एयरपोर्ट बेन गुरियन को भी भारी क्षति पहुंची है। आज रात की मिसाइलों से हाइफा पोर्ट जल रहा है। रिफाइनरी और पावर प्लांट में आग लग गई है। आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इमारतें आग में जलकर राख हो रही हैं।
गाज़ा में मासूम बच्चों और औरतों पर बम बरसाकर शेर बनने वाला इज़राइल अब भीगी बिल्ली बन चुका है, और उसका प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहा है, अमेरिका से गिड़गिड़ा रहा है, बचाओ…
दिन के उजाले में यह सब छिपा लिया जाता है…