रूस ने बुधवार को अमेरिका को खुली चेतावनी दी है कि अगर उसने इजरायल के समर्थन में ईरान पर सीधा सैन्य हमला किया, तो इससे पूरे मध्य पूर्व में हालात गंभीर रूप से अस्थिर हो सकते हैं। रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा कि अमेरिका को ऐसे काल्पनिक विकल्पों से भी बचना चाहिए, क्योंकि इससे पूरे क्षेत्र में युद्ध का खतरा और बढ़ जाएगा। रयाबकोव की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब इजरायल और ईरान के बीच छह दिन से हवाई संघर्ष जारी है और अमेरिका, इजरायल के साथ मिलकर ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के विकल्पों पर विचार कर रहा है।
परमाणु संकट और वैश्विक ऊर्जा बाजार पर असर
रूस ने दावा किया है कि इजरायल के हवाई हमलों में ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया है, जिससे परमाणु आपदा का खतरा बढ़ गया है। रूसी विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी कि दुनिया अब आपदा से सिर्फ मिलीमीटर दूर है, और संयुक्त राष्ट्र के परमाणु निगरानी दल ने भी ईरान के परमाणु संयंत्रों को नुकसान की पुष्टि की है। रूस का मानना है कि अगर हालात बिगड़े तो न केवल क्षेत्रीय, बल्कि वैश्विक स्तर पर तेल आपूर्ति, ऊर्जा बाजार और सैन्य संतुलन पर गहरा असर पड़ेगा। रूस खुद भी इस संकट को बारीकी से देख रहा है, क्योंकि तेल के दाम, वैश्विक सप्लाई चेन और अमेरिकी सैन्य फोकस बदल सकते हैं।
रिश्तों की पृष्ठभूमि और मध्यस्थता की पेशकश
रूस ने जनवरी 2025 में ईरान के साथ 20 साल की रणनीतिक साझेदारी पर दस्तखत किए हैं, जिसमें रक्षा, व्यापार और ऊर्जा सहयोग शामिल है। हालांकि, रूस के इजरायल से भी ऐतिहासिक संबंध हैं और उसने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है, लेकिन यह प्रस्ताव अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि रूस ईरान के परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण बनाए रखने और इजरायल की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए समाधान निकालने को तैयार है। रूस ने साफ किया है कि उसकी ईरान के साथ रणनीतिक साझेदारी में सैन्य सहयोग की अनिवार्यता नहीं है, लेकिन दोनों देश साझा खतरों के खिलाफ मिलकर काम करने और सैन्य-तकनीकी सहयोग बढ़ाने पर सहमत हैं।
परमाणु आपदा की आशंका और वैश्विक प्रतिक्रिया
रूस ने बार-बार चेताया है कि अगर इजरायल या अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, तो इससे परमाणु आपदा का खतरा पैदा हो सकता है। रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इजरायली हमलों ने ईरान के परमाणु संयंत्रों को नुकसान पहुंचाया है और दुनिया अब मिलीमीटर दूर है एक बड़े संकट से। रूस ने वैश्विक पर्यावरण संगठनों की चुप्पी पर भी सवाल उठाया है और फुकुशिमा जैसी आपदा की आशंका जताई है। इस बीच, चीन और कई अन्य देश भी तनाव कम करने की अपील कर रहे हैं।
अमेरिका की भूमिका और संभावित सैन्य हस्तक्षेप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी टीम ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, जिसमें इजरायल के साथ मिलकर ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की योजना भी शामिल है। अमेरिका ने क्षेत्र में अतिरिक्त फाइटर जेट्स, एयरक्राफ्ट कैरियर्स और 40,000 से ज्यादा सैनिकों को हाई अलर्ट पर रखा है। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ईरान से बिना शर्त आत्मसमर्पण की मांग की है, जबकि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका ने युद्ध में हस्तक्षेप किया, तो उसे अपूरणीय नुकसान उठाना पड़ेगा। ईरान ने कहा है कि वह किसी भी अमेरिकी हस्तक्षेप का जवाब देने के लिए सभी विकल्प तैयार रखेगा।
संकट का वैश्विक महत्व और आगे की राह
ईरान-इजरायल संकट अब सिर्फ क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। रूस ने अमेरिका को चेतावनी देकर यह साफ कर दिया है कि किसी भी सैन्य हस्तक्षेप से न केवल मध्य पूर्व, बल्कि पूरी दुनिया अस्थिर हो सकती है। परमाणु आपदा, ऊर्जा संकट और वैश्विक सैन्य संतुलन पर मंडराते खतरे के बीच, रूस ने मध्यस्थता की पेशकश की है, लेकिन फिलहाल दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार नहीं किया है। ऐसे में, आने वाले दिनों में कूटनीतिक प्रयासों और वैश्विक दबाव की भूमिका बेहद अहम होगी, ताकि इस संकट को और बड़ा होने से रोका जा सके।