मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की गई है कि अन्ना यूनिवर्सिटी यौन शोषण केस में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई से पुलिस पूछताछ करे। याचिकाकर्ता एम.एल. रवि ने डीजीपी और कोत्तूरपुरम पुलिस को निर्देश देने की मांग की है कि 31 मई 2025 को दर्ज उनकी शिकायत पर एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की जाए। याचिका में यह तर्क है कि अन्नामलाई लगातार दावा कर रहे हैं कि उनके पास इस केस से जुड़े अहम कॉल रिकॉर्ड्स और अन्य सबूत हैं, जिससे यह पता चल सकता है कि आरोपी बिरयानी विक्रेता ज्ञानसेकरन ने वारदात के समय किस ‘सर’ को फोन किया था और क्या इस अपराध में कोई और बड़ा नाम शामिल है।
पुलिस और अन्नामलाई के आरोप
23 दिसंबर 2024 को चेन्नई के अन्ना यूनिवर्सिटी कैंपस में एक महिला इंजीनियरिंग छात्रा के साथ यौन शोषण हुआ। आरोपी ज्ञानसेकरन ने पीड़िता को धमकाया और कथित तौर पर फोन पर किसी सर से बात कर उसे डराया। पीड़िता का आरोप है कि ज्ञानसेकरन ने उस कॉल का इस्तेमाल उसे ब्लैकमेल करने और दबाव बनाने के लिए किया। पुलिस ने जांच में कहा कि ज्ञानसेकरन ने फोन को फ्लाइट मोड पर रखा था और किसी से असल में बात नहीं की, लेकिन अन्नामलाई का दावा है कि उनके पास कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स हैं, जिससे पता चलता है कि घटना के तुरंत बाद ज्ञानसेकरन ने एक पुलिस अधिकारी और एक स्थानीय डीएमके नेता को कॉल किया था।
अन्नामलाई के आरोप और राजनीतिक विवाद
अन्नामलाई ने आरोप लगाया है कि इस केस की जांच में बड़े स्तर पर कवर-अप हुआ और डीएमके सरकार के एक मंत्री व पुलिस अफसरों की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि ज्ञानसेकरन ने वारदात के तुरंत बाद एक पुलिस इंस्पेक्टर को फोन किया और अगले दिन डीएमके कार्यकर्ता शन्मुगम को छह बार कॉल की। उन्होंने यह भी दावा किया कि शन्मुगम ने बाद में स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमण्यम को कॉल किया। अन्नामलाई ने सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि अगर सरकार जवाब नहीं देती तो वे संबंधित पुलिस अफसर और डीएमके नेता का नाम सार्वजनिक करेंगे। विपक्षी दलों और महिला अधिकार संगठनों ने भी बार-बार सवाल उठाया कि वो सर कौन था? लेकिन पुलिस ने दावा किया कि ज्ञानसेकरन ने अकेले ही अपराध किया और कॉल सिर्फ डराने के लिए किया गया था।
कोर्ट का फैसला और आगे की जांच
इस मामले में 28 मई 2025 को चेन्नई की महिला अदालत ने आरोपी ज्ञानसेकरन को 30 साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने 11 धाराओं में दोषी ठहराते हुए कहा कि यह अपराध पूर्व-नियोजित था और आरोपी ने संस्थान की सुरक्षा व्यवस्था का फायदा उठाया। हालांकि, अन्नामलाई अब भी दावा कर रहे हैं कि उनके पास ऐसे रिकॉर्ड हैं, जो इस अपराध में अन्य लोगों की संलिप्तता साबित कर सकते हैं। इसी वजह से याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से मांग की है कि अन्नामलाई से पूछताछ की जाए और अगर उनके पास कोई सबूत है तो उसकी जांच कराई जाए।
अन्ना यूनिवर्सिटी यौन शोषण केस में सर की गुत्थी अब भी सुलझी नहीं है। अन्नामलाई के दावों और याचिका के बाद, मद्रास हाईकोर्ट में यह सवाल फिर से चर्चा में है कि क्या इस अपराध में कोई बड़ा नाम शामिल था या पुलिस की जांच सही थी। कोर्ट में सुनवाई के बाद ही साफ होगा कि आगे जांच किस दिशा में बढ़ेगी।