प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया। पीएम मोदी ने कहा कि 1975 में लगाए गए आपातकाल को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय माना जाना चाहिए। उन्होंने ट्वीट कर कहा, कोई भी भारतीय कभी नहीं भूल सकता कि किस तरह संसद की आवाज को दबा दिया गया, अदालतों को नियंत्रित करने की कोशिश की गई और लोकतंत्र को जेल में डाल दिया गया।
मौलिक अधिकारों का निलंबन, प्रेस की आज़ादी पर हमला
पीएम मोदी ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान भारतीय संविधान में निहित मूल्यों को ताक पर रख दिया गया, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की आज़ादी को खत्म कर दिया गया और हजारों राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया। यह ऐसा था मानो कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को गिरफ़्तार कर लिया हो! उन्होंने लिखा।
42वां संविधान संशोधन और सत्ता का केंद्रीकरण
प्रधानमंत्री ने 1976 के विवादित 42वें संविधान संशोधन का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय सत्ता को केंद्रीकृत करने और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सीमित करने की कोशिश की गई। 42वां संशोधन उनकी साजिशों का सबसे बड़ा उदाहरण है। गरीब, वंचित और पिछड़े वर्गों को खास तौर पर निशाना बनाया गया, उनकी गरिमा का अपमान हुआ, पीएम मोदी ने कहा।
लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष और जनता की जीत
पीएम मोदी ने उन लोगों को सलाम किया जिन्होंने इमरजेंसी के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि जनता के सामूहिक संघर्ष ने कांग्रेस सरकार को नए चुनाव कराने के लिए मजबूर किया, जिसमें कांग्रेस को करारी हार मिली। हम अपने संविधान के सिद्धांतों को और मजबूत करने और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता दोहराते हैं, पीएम मोदी ने कहा।
इमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर लोकतंत्र की हत्या, संसद की आवाज दबाने और नागरिक अधिकारों को छीनने का आरोप लगाया। उन्होंने देशवासियों से संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सतर्क रहने की अपील की और कहा कि भारत को कभी भी ऐसे काले अध्याय को दोहराने नहीं देना चाहिए।