अनु अग्रवाल ने इंस्टेंट बॉलीवुड से बातचीत में कहा, “कई लोगों को इसके बारे में पता नहीं होता… ये शायद अज्ञानता है या फिर जागरूकता की कमी। लेकिन पेशाब पीना, जिसे आम भाषा में आमरोली कहा जाता है, हठ योग में एक क्रिया मानी जाती है। मैंने खुद इसे अपनाया है। हम सभी ने इसे ट्रायकिया है और इसे एक अहम प्रक्रिया माना जाता है।”
उन्होंने आगे बताया, “इसमें सबसे जरूरी बात ये है कि पूरा मूत्र नहीं पिया जाता, बल्कि उसका बीच का हिस्सा लिया जाता है, जिसे अमृत कहा जाता है। माना जाता है कि ये एजिंग की प्रक्रिया को धीमा करता है, त्वचा को झुर्रियों से बचाता है… ये सिर्फ हेल्थ के लिए नहीं, बल्कि ओवरऑल वेलबीइंग के लिए भी बहुत फायदेमंद है। मैंने खुद इसके असर महसूस किए हैं।”
मानव पेशाब में खतरनाक बैक्टीरिया मौजूद होते हैं जो सबसे खतरनाक बैक्टीरिया होता है वह है एस्चेरिचिया कोली (ई. कोली)।
इसके अतिरिक्त Staphylococcus, साल्मोनेला
शिगेला रोग-कीट, Citrobacter क्लेबसिएला और रूप बदलनेवाला प्राणी स्यूडोमोनास होता है।
पेशाब पीने से आपके शरीर में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया प्रवेश कर सकते हैं, जिससे संक्रमण होने की संभावना हो सकती है।
दर असल पेशाब है क्या? आपके गुर्दे द्वारा आपके शरीर में बहते खून से शरीर को नुक्सान देने वाले ख़राब पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स को हटा दिया जाता है, और इसी से पेशाब बनता है।
इसके बाद पेशाब गुर्दे से मूत्रवाहिनी और फिर मूत्राशय में चला जाता है। पेशाब में पानी के साथ ही यूरिया, क्रिएटिनिन, इलेक्ट्रोलाइट्स , टाक्सिन और अन्य यौगिक भी होते हैं जो वापस आपके शरीर में गये तो गुर्दे और लीवर में संक्रमण हो सकता है।
पेशाब और पखाना दरअसल आपके शरीर का वेस्ट प्रोडक्ट है , लीवर और किडनी आपके लिए पेयजल और भोजन से आपके शरीर के लिए जो भी फायदेमंद होता है वह रख लेता है और बेकार की चीजें बाहर कर देता है।
शरीर के अंदर से जो भी ठोस या द्रव्य निकलता है, वह अपवित्र ही होता है,लोग दैनिक नित्यक्रम के बाद इसीलिए हाथ पैर धुलते हैं, पहले शौचालय इसीलिए घर के कोने में या घर के बाहर होता था। लोग झाड़ा फिरने खेत में जाते थे तो तीन बार रगड़ रगड़ कर लोटा धोते थे, इसमें पवित्रता और पाक नापाक का कांसेप्ट इसीलिए है।
इसलिए मुर्खतापुर्ण बयानों में आकर पेशाब पख़ाना ना खाने लगिए, यह सब लोग बुढ़ापे में चर्चित होने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं।