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आखिर 18 साल की तपस्या रंग लाई  

आरसीबी ने 18 साल बाद आईपीएल खिताब जीतकर निष्ठा, संघर्ष और टीम भावना की मिसाल कायम की, कोहली का सपना साकार हुआ।

अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में 7 जून 2025 की रात को 91,000 दर्शकों की सामूहिक सांसें थम गईं जब भुवनेश्वर कुमार ने अपनी अंतिम गेंद फेंकी। पंजाब किंग्स को जीत के लिए 12 रन चाहिए थे, लेकिन भुवनेश्वर के यॉर्कर ने शशांक सिंह को क्लीन बोल्ड कर दिया। उस पल ने न सिर्फ मैच का नतीजा तय किया बल्कि भारतीय प्रीमियर लीग के इतिहास में सबसे लंबे इंतजार को भी समाप्त कर दिया। विराट कोहली घुटनों के बल बैठकर फूट-फूटकर रो रहे थे, ये वही कोहली थे जिन्होंने 2008 में 18 साल की उम्र में आरसीबी की जर्सी पहनी थी और अब 35 साल के होकर भी उसी टीम के लिए लड़ रहे थे।

उनके आँसू 6,570 दिनों के संघर्ष, तीन हारे हुए फाइनल और असंख्य मजाकों का बोझ ढो रहे थे। स्टेडियम में मौजूद हर नारंगी जर्सी पहने प्रशंसक के चेहरे पर एक ही भाव था, अविश्वास और अथाह खुशी का मिलाजुला एहसास। कोहली के शब्दों ने सब कुछ समेट दिया: ये आंसू मेरी आत्मा से निकले हैं। मैंने अपना पूरा वयस्क जीवन इस पल के लिए जिया है। उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इस भावना को सही पकड़ा जब उन्होंने ट्वीट किया: “ये वफादारी सिर्फ ट्रॉफी नहीं जीतती, यह इतिहास रचती है।

2008-2024: हार के पहाड़ पर चढ़ती उम्मीदों की कहानी  

आरसीबी की यात्रा 2008 में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में शुरू हुई, जब टीम में अनिल कुंबले और जैक कैलिस जैसे दिग्गज शामिल थे। पहले सीजन में सेमीफाइनल तक पहुँचने ने प्रशंसकों में उम्मीद जगाई, पर 2009 का फाइनल एक गहरा जख्म बन गया। जोहान्सबर्ग के वांडरर्स स्टेडियम में डेक्कन चार्जर्स के खिलाफ 144 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम महज 137 रन पर सिमट गई। मात्र 6 रनों की यह हार आरसीबी के डीएनए में हमेशा के लिए दर्ज हो गई।

2011 में चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में और बड़ा झटका लगा जब धोनी की टीम के 205 रनों के जवाब में आरसीबी 58 रनों से पिट गई। पर सबसे कड़वी याद 2016 की है जब कोहली के 973 रनों के ऐतिहासिक सीजन के बावजूद फाइनल में सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ 208 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम 200 पर रुक गई।

उस रात बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में सन्नाटा छा गया था। 2017 से 2023 तक का दौर तो और भी कठिन था, जब टीम प्लेऑफ में जगह बनाने तक के लिए संघर्ष करती रही। हर सीजन के शुरुआती दावों के बावजूद टीम या तो प्लेऑफ से चूक जाती या फिर नॉकआउट में पहले ही राउंड में बाहर हो जाती।  

खामियों का पहाड़: वो कारण जो 18 साल तक बने रोड़ा  

आरसीबी की लगातार विफलताओं के पीछे कई ढांचागत कमियाँ थीं। सबसे बड़ी समस्या थी टीम का असंतुलन; बल्लेबाजी पूरी तरह विराट कोहली (8,618 रन) और एबी डी विलियर्स (4,491 रन) जैसे सितारों पर निर्भर थी। जब ये दोनों विफल होते, तो मध्यक्रम पूरी तरह ढह जाता। 2024 के शुरुआती मैचों में भी यही हुआ जब फिल साल्ट, फाफ डु प्लेसी और ग्लेन मैक्सवेल जैसे खिलाड़ी फॉर्म नहीं ढूंढ पाए।

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गेंदबाजी तो हमेशा से आलबेला रही, 2013 में टीम ने एक सीजन में सबसे ज्यादा रन देने का रिकॉर्ड बनाया था। डेथ ओवर्स में तो स्थिति और भी शर्मनाक थी, जैसे 2022 में जब कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ आरसीबी के गेंदबाजों ने अंतिम तीन ओवरों में 78 रन ढोल दिए।

कप्तानी में स्थिरता का घोर अभाव था, 2008 से 2024 के बीच टीम ने 9 कप्तान बदले, राहुल द्रविड़ से शुरू होकर केविन पीटरसन, डेनियल विटोरी, विराट कोहली, शेन वॉटसन, एबी डी विलियर्स, फाफ डु प्लेसी से होते हुए राजत पटीदार तक। हर नए कप्तान के साथ रणनीति बदल जाती, जिससे खिलाड़ियों को स्थिरता नहीं मिल पाती। फील्डिंग तो अक्सर कॉमेडी ऑफ एरर्स बन जाती, जैसे 2022 में कोलकाता के खिलाफ एक ही मैच में तीन कैच ड्रॉप करना।  

वर्षकप्तानसीजन प्रदर्शनप्रमुख खिलाड़ीविशेष जानकारी
2012विराट कोहली5वें स्थान परगेल, कोहली, मुरलीconsistency की कमी
2013विराट कोहली5वें स्थान परगेल, कोहली, एबीघरेलू मैदान पर जीत, बाहर हार
2014विराट कोहली7वें स्थान परएबी, कोहलीनिराशाजनक प्रदर्शन
2015विराट कोहलीप्लेऑफ (3rd)कोहली, एबी, स्टार्कगेंदबाजी ने कुछ संतुलन दिया
2016विराट कोहलीफाइनल में रनर-अपकोहली (973 रन), एबीअब तक का सबसे शानदार सीजन
2017विराट कोहलीअंतिम स्थान (8th)कोई खास नहींकोहली के कंधे पर चोट
2018विराट कोहली6वें स्थान परकोहली, डी कॉकमध्यक्रम कमजोर
2019विराट कोहलीअंतिम स्थान (8th)कोहली, पार्थिव पटेलशुरुआत में लगातार हार
2020विराट कोहलीप्लेऑफ (4th)पडिक्कल, सिराज, कोहलीयुवा खिलाड़ियों का उदय
2021विराट कोहलीप्लेऑफ (3rd)मैक्सवेल, चहल, सिराजकोहली का कप्तान के रूप में आखिरी साल
2022फाफ डुप्लेसीप्लेऑफ (3rd)फाफ, हसरंगा, पाटीदारनई शुरुआत, उम्मीदें जगी
2023फाफ डुप्लेसी6वें स्थान परकोहली, फाफ, सिराजconsistency की फिर से कमी
2024फाफ डुप्लेसीप्लेऑफ के बाद फाइनलकोहली, दिनेश कार्तिक, सिराज, लमरोरलगातार 6 हार के बाद ऐतिहासिक वापसी

2024 का चमत्कार: वो रणनीतिक क्रांति जिसने बदली किस्मत  

2024 का सीजन एक रणनीतिक क्रांति लेकर आया। टीम प्रबंधन ने विराट-फाफ पर निर्भरता की मानसिकता तोड़ी और तीन मूलभूत बदलाव किए। पहला, गेंदबाजी को प्राथमिकता देते हुए भुवनेश्वर कुमार जैसे अनुभवी गेंदबाज को टीम में शामिल किया गया, जिन्होंने डेथ ओवरों में 13.5 की इकॉनमी से मैच बचाए।

क्रुणाल पांड्या जैसे युवाओं को मौका दिया गया, जिन्होंने फाइनल में 2/17 का शानदार प्रदर्शन किया। दूसरा, मिडिल ऑर्डर के कायाकल्प के लिए दिनेश कार्तिक को फिनिशर बनाया गया, जबकि जितेश शर्मा ने 24 गेंदों में 45 रन जैसी उपयोगी पारियाँ खेलीं।

तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण था कप्तान राजत पटीदार की साहसिक नेतृत्व शैली, जिन्होंने फाइनल में शशांक सिंह को लगातार तीन छक्के मारने के बाद भुवनेश्वर को गेंद दी और उन्होंने शशांक को आउट कर मैच पलट दिया।

फाइनल में कोहली के 43 रनों ने आधार बनाया, तो भुवनेश्वर और क्रुणाल की गेंदबाजी ने पंजाब को 184 तक सीमित कर दिया। जीत सिर्फ स्कोरबोर्ड पर नहीं, बल्कि उन लाखों प्रशंसकों के चेहरे पर थी जिन्होंने 18 साल तक एला कू बेंगलुरु का नारा लगाया था।  

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रीतु कुमारी OBC Awaaz की एक उत्साही लेखिका हैं, जिन्होंने अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई बीजेएमसी (BJMC), JIMS इंजीनियरिंग मैनेजमेंट एंड टेक्निकल कैंपस ग्रेटर नोएडा से पूरी की है। वे समसामयिक समाचारों पर आधारित कहानियाँ और रिपोर्ट लिखने में विशेष रुचि रखती हैं। सामाजिक मुद्दों को आम लोगों की आवाज़ बनाकर प्रस्तुत करना उनका उद्देश्य है। लेखन के अलावा रीतु को फोटोग्राफी का शौक है, और वे एक अच्छी फोटोग्राफर बनने का सपना भी देखती है। रीतु अपने कैमरे के ज़रिए समाज के अनदेखे पहलुओं को उजागर करना चाहती है।

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