ईडी जैसी एजेंसियों को खत्म कर देना चाहिए, यही दो टूक संदेश समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को दिया। नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद देशभर में जहां कांग्रेस के कार्यकर्ता विरोध-प्रदर्शन में लगे हैं, वहीं अखिलेश यादव ने इस मौके पर एक अलग और तीखा रुख अख्तियार किया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस खुद ही ईडी जैसी एजेंसी लेकर आई थी और अब उसी का शिकार हो रही है। अखिलेश यादव ने कहा, “कांग्रेस ने ही ईडी का गठन किया था। उस समय कई दलों ने इसका विरोध किया था और चेताया था कि ऐसा कानून लाकर कांग्रेस भविष्य में खुद ही फंस सकती है। आज वही हो रहा है।”
उनके अनुसार, “आर्थिक अपराधों की जांच के लिए हमारे पास पहले से ही आयकर विभाग, जीएसटी, सीएजी जैसी संस्थाएं मौजूद हैं। फिर ईडी जैसे विभाग की क्या जरूरत है? इससे सिर्फ राजनीतिक प्रतिशोध की भावना को बढ़ावा मिलता है। ऐसी एजेंसियों को खत्म कर देना चाहिए ताकि लोकतंत्र की बुनियाद को और कमजोर न किया जा सके।”
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि जब महाराष्ट्र में बीजेपी के खिलाफ कोई भी नेता आवाज़ उठाता था, तो उसके पीछे ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग लग जाते थे। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “यह संस्थाएं अब राजनीतिक हथियार बन गई हैं। हम कांग्रेस से भी यही कहेंगे कि वे अब जनता के सामने स्वीकार करें कि उन्होंने एक ऐसा कानून बनाया जो आज खुद उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है।”
इसके साथ ही उन्होंने यूपी सरकार पर भी कटाक्ष किया। अखिलेश ने कहा, “डबल इंजन सरकार अब खुद एक-दूसरे से टकरा रही है। पहले इंजन टकरा रहे थे, अब डिब्बे भी भिड़ रहे हैं। ये साथ नहीं चल रहे, बल्कि आमने-सामने की टक्कर दे रहे हैं। इससे साफ है कि ये सरकार अब अपने ही बोझ से चरमरा रही है।”
अखिलेश यादव का यह बयान न केवल ईडी जैसी संस्थाओं की वैधानिकता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि विपक्ष अब इन संस्थाओं की निष्पक्षता को लेकर खुलकर सामने आने लगा है। यह बयान कांग्रेस के लिए भी एक राजनीतिक संकेत है कि जो कानून वो कल लेकर आई थी, वही आज उसके लिए चुनौती बनकर खड़ा है।