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AI 171 विमान हादसा: तकनीकी जाँचों के बावजूद कैसे हुई ये त्रासदी?

AI 171 विमान उड़ान के 50वें सेकंड में क्रैश हुआ। तकनीकी जांच की सात स्तर की प्रणाली के बावजूद हादसा लापरवाही का नतीजा माना जा रहा है। जांच और जवाबदेही अब ज़रूरी है।

अहमदाबाद-लंदन AI 171 विमान अपनी उड़ान के 50वें सेकंड में ही नीचे गिरा और क्रैश हो गया।
वीडियो में जिस प्रकार दिख रहा है, जहाज़ ने टेक ऑफ किया और फिर धीरे-धीरे नीचे आकर गिर गया…

प्रथम दृष्टया यह घनघोर लापरवाही का नतीजा प्रतीत होता है।

उड़ान से पहले हवाई जहाज़ की तकनीकी जांच सामान्यतः कई मानकों पर की जाती है, जिसमें प्री-फ्लाइट जांच (Pre-Flight Check) हर उड़ान से पहले अनिवार्य होती है।

इसमें DGCA और FAA के मानदंडों के अनुसार बाहरी निरीक्षण, सिस्टम टेस्ट और ईंधन की जांच शामिल होती है। इसमें पंख, टेल, इंजन, लैंडिंग गियर और फ्यूज़लाज की जांच; किसी भी रिसाव, दरार या क्षति की जाँच; इंजन और सिस्टम टेस्ट (इंजन, हाइड्रोलिक सिस्टम, ईंधन प्रणाली और विद्युत प्रणाली की कार्यक्षमता); एवियोनिक्स (नेविगेशन, रडार, संचार उपकरण) का परीक्षण; केबिन और कॉकपिट की जांच, जैसे कि ऑक्सीजन मास्क, लाइफ जैकेट, अग्निशामक यंत्र और आपातकालीन निकास की कार्यक्षमता, शामिल होती हैं। कॉकपिट में उपकरणों और कंट्रोल सिस्टम की जांच तथा ईंधन की मात्रा और गुणवत्ता की पुष्टि की जाती है। ईंधन टैंक में दूषित पदार्थ (जैसे पानी) की भी जांच की जाती है। इन सभी के बाद ही विमान को उड़ान की अनुमति मिलती है।

प्रत्येक उड़ान के बाद, जब विमान की लैंडिंग होती है, तो ट्रांजिट जांच (Transit Check) की जाती है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि विमान अगली उड़ान के लिए तैयार है या नहीं।

तीसरी जांच प्रतिदिन उड़ान समाप्त होने के बाद की जाती है, जिसमें विमान का गहन निरीक्षण किया जाता है, विशेष रूप से इंजन, लैंडिंग गियर और एवियोनिक्स की।

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चौथी जांच हर 48 घंटे या कुछ उड़ानों के बाद होती है, जिसमें पुनः इंजन, लैंडिंग गियर और एवियोनिक्स की सघन जांच होती है।

इसके बाद पाँचवीं जांच विमान के 400-600 उड़ान घंटों के बाद होती है जिसे A-Check कहा जाता है। इसमें सिस्टम, लुब्रिकेशन और मामूली मरम्मत शामिल होती है।

छठी जांच C-Check कहलाती है, जो हर 1.5-2 वर्ष अथवा 3,000-6,000 उड़ान घंटों के बाद की जाती है। यह विस्तृत जांच होती है, जिसमें विमान के प्रमुख हिस्सों की मरम्मत और ओवरहॉल शामिल होते हैं।

सातवीं जांच D-Check होती है, जो हर 6-10 वर्ष या 20,000-30,000 उड़ान घंटों के बाद की जाती है। यह सबसे गहन जांच होती है, जिसमें विमान को लगभग पूरी तरह से डिस्मैंटल कर के पुनः असेंबल किया जाता है।

इन सात चरणों की नियमित और गहन जांच के बाद किसी विमान के इस तरह गिरने की संभावना लगभग शून्य होती है। फिर अहमदाबाद में इस हादसे की वजह क्या है?
स्पष्ट रूप से लापरवाही।

मृतकों को श्रद्धांजलि।

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अनिल यादव एक वरिष्ठ पत्रकार हैं जो Anil Yadav Ayodhya के नाम से जाने जाते हैं। अनिल यादव की कलम सच्चाई की गहराई और साहस की ऊंचाई को छूती है। सामाजिक न्याय, राजनीति और ज्वलंत मुद्दों पर पैनी नज़र रखने वाले अनिल की रिपोर्टिंग हर खबर को जीवंत कर देती है। उनके लेख पढ़ने के लिए लगातार OBC Awaaz से जुड़े रहें, और ताज़ा अपडेट के लिए उन्हें एक्स (ट्विटर) पर भी फॉलो करें।

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