12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद, जिसमें 270 लोगों की मौत हुई, ब्रिटेन में रहने वाले कई पीड़ित परिवार अब एअर इंडिया और विमान निर्माता बोइंग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी में हैं। ये परिवार लंदन की मशहूर कानूनी फर्म कीस्टोन लॉ और अमेरिका की विस्नर लॉ फर्म के साथ मिलकर संभावित मुकदमों की रणनीति बना रहे हैं। इन मुकदमों का मकसद मुख्य रूप से मुआवजे की राशि बढ़वाना और अंतरराष्ट्रीय एविएशन कानून के तहत एयरलाइन और निर्माता की जिम्मेदारी तय कराना है।
मुआवजे को लेकर असंतोष, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अधिकार
टाटा ग्रुप, जो एअर इंडिया का मालिक है, ने हादसे के तुरंत बाद मृतकों के परिजनों को 1 करोड़ रुपये और 25 लाख रुपये की अतिरिक्त अंतरिम सहायता देने की घोषणा की थी। लेकिन कई परिवारों को यह राशि अपर्याप्त लग रही है और वे अंतरराष्ट्रीय कानूनों, खासकर मॉन्ट्रियल कन्वेंशन, के तहत अधिक और बिना सीमा के मुआवजे की मांग कर रहे हैं। मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के तहत, पीड़ित परिवार एयरलाइन के ऑपरेशन वाले देश या पीड़ित के संबंध वाले देश में मुकदमा दायर कर सकते हैं और एयरलाइन पर असीमित जिम्मेदारी तय की जा सकती है।
यूके हाई कोर्ट और यूएस फेडरल कोर्ट में केस
कीस्टोन लॉ के जेम्स हीली-प्रैट के मुताबिक, उनकी अंतरराष्ट्रीय कानूनी टीम पिछले एक हफ्ते से यूके में पीड़ित परिवारों के साथ लगातार बातचीत कर रही है। वे सबूतों की समीक्षा कर रहे हैं और संभावना है कि बोइंग के खिलाफ अमेरिका (वर्जीनिया फेडरल कोर्ट) और एअर इंडिया के खिलाफ लंदन हाई कोर्ट में मुकदमे दायर किए जाएंगे। इन मुकदमों का मकसद अधिक मुआवजा और कंपनियों की जिम्मेदारी तय करना है। अमेरिकी अदालतों में ज्यूरी ट्रायल और विशेषज्ञ गवाहों के चलते पीड़ित परिवारों को ज्यादा मुआवजा मिलने की संभावना रहती है।
बीमा और सेटलमेंट ऑफर की समीक्षा
एअर इंडिया और बोइंग के पास ऐसे हादसों के लिए लगभग 4 अरब डॉलर का बीमा कवर है, जिसमें एअर इंडिया का 1.5 अरब डॉलर का पॉलिसी कवर भी शामिल है। कानूनी टीमें एयर इंडिया के बीमा कंपनी टाटा AIG द्वारा दिए गए शुरुआती सेटलमेंट ऑफर्स की भी समीक्षा कर रही हैं और देख रही हैं कि क्या एयरलाइन ने अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अग्रिम भुगतान की जिम्मेदारी निभाई है। ये मुकदमे टाटा ग्रुप द्वारा दी जा रही सहायता से अलग हैं और पूरी तरह कानूनी अधिकारों के तहत दायर किए जाएंगे।
बैठकें, रणनीति और संभावित असर
इस हफ्ते यूके में कई परिवारों के साथ बैठकें हो रही हैं, जिनमें कानूनी रणनीति और आगे की कार्रवाई पर चर्चा होगी। अंतिम फैसला इन बैठकों के बाद लिया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यूएस या यूके में केस दायर करने से परिवारों को ज्यादा मुआवजा और न्याय मिल सकता है, क्योंकि वहां की अदालतें ऐसे मामलों में पीड़ित पक्ष के प्रति ज्यादा सहानुभूति दिखाती हैं। हालांकि, बहुराष्ट्रीय पक्षकारों और जटिल कानूनी प्रक्रियाओं के चलते मुकदमों में समय भी लग सकता है।
अहमदाबाद विमान हादसे के पीड़ित परिवार अब अंतरराष्ट्रीय अदालतों में एअर इंडिया और बोइंग के खिलाफ कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं, ताकि उन्हें न्याय और उचित मुआवजा मिल सके। यह मामला न सिर्फ मुआवजे की राशि, बल्कि विमानन सुरक्षा, कंपनियों की जिम्मेदारी और अंतरराष्ट्रीय कानून के क्रियान्वयन के लिहाज से भी मिसाल बन सकता है।