नई दिल्ली: भारत के सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थान, AIIMS की सेहत खुद ही नाज़ुक पड़ती जा रही है! Edufever.com द्वारा प्रकाशित नयी रिसर्च रिपोर्ट ने चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं, देश के AIIMS संस्थानों में फैकल्टी पदों की भयावह कमी न सिर्फ मेडिकल छात्रों के भविष्य पर असर डाल रही है, बल्कि लाखों मरीज़ों की जान भी जोखिम में डाल रही है।
रिपोर्ट में चौंकाने वाले आँकड़े (स्रोत: Edufever Research Report)
- AIIMS दिल्ली: 1,131 स्वीकृत फैकल्टी पदों में से 227 खाली (20%)
- AIIMS पटना: 305 स्वीकृत पदों में से 130 खाली (42.6%)
- AIIMS भोपाल: 305 स्वीकृत पदों में से 107 खाली (35%)
- AIIMS रायपुर: 305 स्वीकृत पदों में से 121 खाली (39.7%)
- AIIMS ऋषिकेश: 305 स्वीकृत पदों में से 105 खाली (34.4%)
संकट के गहरे होते कारण:
- दूरस्थ लोकेशन में पोस्टिंग: डॉक्टर्स और प्रोफेसर्स की रुचि नहीं
- भर्ती प्रक्रिया जटिल और धीमी: नयी नियुक्तियों में देरी
- बेहतर वेतन व कैरियर ग्रोथ का अभाव
- शोध व इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी
रिपोर्ट के गंभीर प्रभाव:
- मेडिकल शिक्षा पर असर, PG सुपरस्पेशलिटी और क्लिनिकल कोर्सेज प्रभावित।
- रोगी देखभाल कमजोर, सर्जरी में देरी, OPD में भीड़, इलाज के लिए लंबा इंतजार।
- रिसर्च ठप, रिसर्च प्रोजेक्ट्स की संख्या में भारी गिरावट।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को झटका, WHO व NMC के मापदंड पूरे नहीं।
सरकार की कोशिशें (Edufever रिपोर्ट अनुसार):
- प्रदर्शन आधारित भत्ता नीति
- डिजिटल भर्ती प्लेटफॉर्म
- AIIMS में रिव्यू और स्पेशल टास्क फोर्स
- निजी मेडिकल कॉलेजों से फैकल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम
Edufever के मुख्य शोधकर्ता का बयान:
AIIMS में फैकल्टी संकट भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए गंभीर चेतावनी है। जब तक रिक्त पद नहीं भरे जाते, न चिकित्सा शिक्षा सुरक्षित है, न इलाज सुनिश्चित,
Edufever.com के शोध प्रमुख।
यह रिपोर्ट सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भारत की मेडिकल शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के गिरते स्तर की रेड अलर्ट कॉल है। यदि सरकार और नीति निर्माता अब भी न जागे तो आने वाले वर्षों में AIIMS जैसी संस्थाओं की गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लग सकता है।