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अखिलेश यादव ने मंच से कहा- ये भाजपा का आदमी है, बाहर कर दो इसे, वीडियो वायरल

अखिलेश यादव का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वह भाजपा कार्यकर्ता को कार्यक्रम से बाहर निकालने की बात कहते हैं। इस पर डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने तीखा तंज कसा।

अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, एक बार फिर अपने तीखे तेवरों को लेकर सुर्खियों में हैं। हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान का उनका वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वह मंच से गुस्से में कह रहे हैं, “ये आदमी भाजपा का है, बाहर कर दूंगा मैं इसको।”

यह घटना एक हिंदी अख़बार द्वारा आयोजित विशेष कार्यक्रम के दौरान की है, जहां अखिलेश यादव बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित थे। जब मंच से उनसे राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के ‘राणा सांगा’ वाले बयान पर सवाल पूछा गया, तभी ऑडियंस से किसी ने टोका। उसी क्षण अखिलेश भड़क गए और मंच से ही आदेश देते हुए बोले कि इसे कार्यक्रम से बाहर किया जाए क्योंकि वह भाजपा का आदमी है।

इस पूरे वाकये का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा, “विरासत में सियासत मिलने के बावजूद श्री अखिलेश यादव जी, आपके व्यवहार और संस्कार नहीं बदले। यह संघर्ष से सफलता प्राप्त करने वाले की भाषा नहीं हो सकती है। भगवान आपको बुद्धि दे।”

इसके साथ ही उन्होंने एक अन्य पोस्ट में समाजवादी पार्टी की कार्यशैली पर कटाक्ष करते हुए लिखा था, “सार्वजनिक रूप से खुल्लम-खुल्ला किसी को धमकी देना ‘समाजवादी लठैत’ का मूल स्वभाव है। उनका यह स्वभाव कभी नेताजी पर भी भारी पड़ा था। उनकी ही खुराक का चचाजान पर भी एक मर्तबा ऐसा असर पड़ा था कि वह आज भी छाछ फूंक-फूंककर पीते हैं।”

इस विवाद पर समाजवादी पार्टी की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई। पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने दावा किया कि जिस व्यक्ति को अखिलेश यादव ने भाजपा का कार्यकर्ता बताया था, वह विनीत शुक्ला है, जो भाजपा से जुड़ा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें भी साझा कीं जिनमें विनीत शुक्ला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दिखाई दे रहा है।

प्रवक्ता चांद ने आरोप लगाया कि भाजपा जानबूझकर अपने कार्यकर्ताओं को विपक्षी दलों के कार्यक्रमों में भेजती है ताकि वहां अराजकता फैलाई जा सके और फिर उस माहौल को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा सके।

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इस पूरे घटनाक्रम के बाद जनता की प्रतिक्रिया भी दो भागों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। एक ओर जहां भाजपा समर्थक अखिलेश यादव की भाषा और व्यवहार को अस्वीकार्य बता रहे हैं, वहीं सपा समर्थक इसे भाजपा की साजिश और सुनियोजित प्रयास मान रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ एक मंचीय बहस नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का हिस्सा है। दोनों दल एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। इस तरह के वायरल वीडियो और प्रतिक्रियाएं राजनीति के मैदान में नए-नए मोर्चे खोलती जा रही हैं।
अखिलेश यादव द्वारा भाजपा कार्यकर्ता को कार्यक्रम से बाहर निकालने की टिप्पणी केवल एक भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि उससे उपजे राजनीतिक विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया कि उत्तर प्रदेश की राजनीति अब और भी अधिक संवेदनशील, तीखी और आक्रामक होती जा रही है। आगामी चुनावी माहौल में ऐसे घटनाक्रमों की संख्या और प्रभाव दोनों ही बढ़ने वाले हैं।

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