समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध किया। उन्होंने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह विधेयक सरकार की विफलताओं को छुपाने के लिए लाया गया है। उन्होंने इसे बीजेपी की विभाजनकारी राजनीति करार देते हुए आरोप लगाया कि यह बिल देश के करोड़ों लोगों को उनके घरों और दुकानों से बेदखल करने की साजिश है।
लोकसभा में तीखी बहस, अखिलेश और अमित शाह में नोकझोंक
विधेयक पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा, “दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष तक नहीं चुन पा रही है।” इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा, “विपक्षी पार्टियों को अपने परिवार में से ही राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनना होता है, इसलिए उन्हें कोई दिक्कत नहीं होती। मैं आपको (अखिलेश यादव) पहले ही बता देता हूं कि आप अगले 25 साल तक अध्यक्ष रहेंगे। वहीं, बीजेपी को अपना अध्यक्ष जनता में से चुनना होता है।”
‘हर नए बिल के पीछे सरकार की नाकामी छुपाने की साजिश’
वक्फ बिल को खारिज करते हुए अखिलेश यादव ने कहा, “जब भी बीजेपी कोई नया विधेयक लाती है, उसका मकसद अपनी नाकामियों को छुपाना होता है। सरकार मुस्लिम भाइयों की ज़मीन की पहचान की बात कर रही है, लेकिन महाकुंभ में लापता हुए हजारों हिंदुओं की कोई खोज-खबर नहीं ली जा रही। यह सरकार यह भी नहीं बता पा रही कि उन 1,000 से अधिक हिंदुओं की सूची कहां है, जो वर्षों से लापता हैं।”
उन्होंने आगे सवाल उठाया, “केंद्रीय मंत्री (किरण रिजिजू) को यह बताना चाहिए कि चीन द्वारा कब्जाई गई भारतीय भूमि का क्या हुआ? लेकिन सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है। असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह विधेयक लाया गया है।”
‘बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति का नया चेहरा है यह विधेयक’
अखिलेश यादव ने सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा, “जब देश के अधिकतर राजनीतिक दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं, तो इसे पारित करने की ज़िद क्यों? यह बिल बीजेपी का नया ध्रुवीकरण एजेंडा है, जिसका मकसद हिंदू-मुस्लिम में फूट डालना है।”
उन्होंने कहा कि “देश के करोड़ों लोगों को उनके घरों और दुकानों से बेदखल करने की साजिश रची जा रही है। यह विधेयक जनता के खिलाफ है और बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति का नया रूप है।”
क्या है वक्फ संशोधन विधेयक और क्यों हो रहा है विरोध?
इस विधेयक को लेकर विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है और इस कानून के जरिए अल्पसंख्यकों की संपत्तियों को लेकर राजनीतिक ध्रुवीकरण किया जा रहा है। वहीं, बीजेपी का कहना है कि यह विधेयक भूमि विवादों को हल करने और पारदर्शिता लाने के लिए जरूरी है।