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अमृत भारत स्टेशन योजना: भारतीय रेलवे का कायाकल्प

अमृत भारत स्टेशन योजना भारत के रेलवे स्टेशनों को आधुनिक सुविधाओं और सांस्कृतिक पहचान के साथ पुनर्निर्मित कर "नए भारत" की कल्पना को साकार कर रही है।

भारतीय रेलवे, जिसे देश की जीवनरेखा कहा जाता है, अब केवल यात्रा का माध्यम नहीं रहा, बल्कि यह भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिदृश्य का प्रतिबिंब बन चुका है। 22 मई 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत भारत स्टेशन योजना (ABSS) के अंतर्गत 103 स्टेशनों के नवीनीकरण का उद्घाटन किया। यह योजना न केवल सुविधाजनक यात्रा की परिकल्पना करती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि भारत की सांस्कृतिक विविधता इन स्टेशनों के माध्यम से उभर कर आए।

अमृत भारत स्टेशन योजना

अमृत भारत स्टेशन योजना की शुरुआत फरवरी 2022 में हुई थी। यह योजना राष्ट्रीय रेल योजना 2030 का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारतीय रेलवे को भविष्य के लिए तैयार करना है। योजना का मूल विचार यह है कि पुराने स्टेशनों को केवल मरम्मत तक सीमित न रखते हुए उन्हें मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट हब के रूप में विकसित किया जाए।

मुख्य उद्देश्य:
इस योजना के अंतर्गत स्टेशनों को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध, तकनीकी रूप से उन्नत और यात्री सुविधाओं से युक्त बनाना मुख्य लक्ष्य है। स्टेशन डिज़ाइन में स्थानीय कला, वास्तुकला और शिल्प को शामिल करना इस योजना की खास बात है। इसके साथ ही स्मार्ट टेक्नोलॉजी, स्वच्छता, सुरक्षा और आराम पर भी ज़ोर दिया गया है।

चयन प्रक्रिया:
देशभर से 1300 स्टेशनों का चयन किया गया है, जिनमें से पहले चरण में A1 और A श्रेणी के 103 स्टेशनों को प्राथमिकता दी गई। चयन का आधार स्टेशन की यात्री संख्या, ऐतिहासिक महत्व और आर्थिक योगदान रहा है।

वैश्विक प्रेरणा और भारतीय दृष्टिकोण

इस योजना की प्रेरणा जापान के शिंकानसेन, जर्मनी के हॉप्टबानहोफ और सिंगापुर के जुरोंग ईस्ट जैसे विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशनों से ली गई है। लेकिन भारत ने इसे अपनी सांस्कृतिक विविधता के अनुसार ढाला है। हर स्टेशन की डिज़ाइन स्थानीय शैली, परंपराओं और जनभावनाओं के अनुरूप की गई है।

राज्यवार विवरण और बजट

इस योजना में ₹1,100 करोड़ का निवेश हुआ है, यानी हर स्टेशन पर औसतन ₹10.7 करोड़ खर्च किए गए। उत्तर प्रदेश (19 स्टेशन), गुजरात (18), महाराष्ट्र (15), राजस्थान (8), और तमिलनाडु (9) सबसे आगे हैं। लखनऊ, अहमदाबाद, मुंबई सेंट्रल, जयपुर और चेन्नई सेंट्रल जैसे स्टेशन प्रमुख रूप से शामिल हैं।

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सांस्कृतिक डिज़ाइन के अनूठे उदाहरण

देशनोक स्टेशन (राजस्थान):
यह स्टेशन करणी माता मंदिर की स्थापत्य शैली में बनाया गया है। गुंबद, जालीदार खिड़कियाँ और चूहों की मूर्तियाँ इसे अनोखा बनाती हैं।

थावे स्टेशन (बिहार):
यह स्टेशन मधुबनी चित्रकला की थीम पर आधारित है। स्थानीय कलाकारों ने प्लेटफॉर्म पर महाभारत के दृश्य उकेरे हैं, जो यात्रियों के लिए एक दृश्यात्मक सौगात है।

बेगमपेट स्टेशन (तेलंगाना):
यह स्टेशन काकतीय काल की वास्तुकला में बना है, जिसमें रामप्पा मंदिर की झलक मिलती है। नक्काशीदार काले पत्थर के स्तंभ इसकी विशेषता हैं।

तकनीकी उन्नयन और यात्री सुविधाएं

इस योजना में तकनीकी नवाचार को विशेष महत्व दिया गया है। स्टेशनों पर IoT आधारित एयर क्वालिटी मॉनिटर, डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड, सोलर रूफटॉप और बायोमेट्रिक शौचालय व्यवस्था जैसी सुविधाएं जोड़ी गई हैं। यात्रियों के लिए मुद्रा विनिमय, ATM, प्राथमिकता वाली सीटें, और साइकिल रेंटल जैसी सेवाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

आर्थिक प्रभाव और बुनियादी ढांचा विकास

प्रधानमंत्री ने राजस्थान में ₹26,000 करोड़ की लागत से 6 नई रेल परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया। इन परियोजनाओं से व्यापार, पर्यटन और सैन्य आवाजाही को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, 2025 तक रेलवे का पूरा नेटवर्क 100% विद्युतीकृत करने का लक्ष्य रखा गया है।

रोज़गार सृजन:
हर स्टेशन पर निर्माण के दौरान 500-700 श्रमिकों को रोजगार मिला। वहीं, संचालन में सफाई, सुरक्षा और रिटेल स्टॉल जैसे कार्यों के लिए लगभग 200 लोगों को अवसर मिलेगा।

स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा:
वन स्टेशन वन प्रोडक्ट योजना के तहत विभिन्न राज्यों के विशिष्ट उत्पादों को प्लेटफॉर्म पर बेचा जा रहा है, जैसे यूपी की चिकनकारी, केरल के मसाले और राजस्थान की ब्लू पॉटरी। इससे हर महीने ₹50 लाख से ₹1 करोड़ का राजस्व उत्पन्न होने का अनुमान है।

चुनौतियाँ और आलोचनाएँ

निर्माण में देरी:
COVID-19, सामग्री की कमी और पुरानी इमारतों की संरचना संबंधी कठिनाइयों के चलते कई प्रोजेक्ट में देरी हुई। उदाहरण के लिए अयोध्या स्टेशन का निर्माण 18 महीने विलंब से पूरा हुआ।

बजट पर प्रश्न:
विशेषज्ञों का मानना है कि ₹10 करोड़ प्रति स्टेशन की राशि सीमित है, जबकि नई दिल्ली स्टेशन जैसे प्रोजेक्ट पर ₹800 करोड़ खर्च हुए हैं।

सांस्कृतिक बनाम आधुनिकता:
कुछ आलोचक कहते हैं कि कुछ डिज़ाइन स्थानीय संस्कृति से मेल नहीं खाते। इसपर रेलवे ने जवाब दिया है कि अब स्थानीय कलाकारों को सक्रिय रूप से डिज़ाइन प्रक्रिया में शामिल किया जा रहा है।

भविष्य की योजनाएँ

2026 तक 500 और स्टेशनों को अपग्रेड किया जाएगा। आगामी परियोजनाओं में AI आधारित भीड़ नियंत्रण, ड्रोन निगरानी और हाई-स्पीड रेल स्टेशनों के साथ एकीकरण की योजना है। रेलवे 2030 तक सभी स्टेशनों को कार्बन न्यूट्रल बनाने की दिशा में भी कार्यरत है।

जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर #AmritBharatStation ट्रेंड कर रहा है, जिस पर 1.2 मिलियन से अधिक ट्वीट्स आए। अभिनेता अक्षय कुमार ने डाकोर स्टेशन की तस्वीर साझा कर इसकी सराहना की। विशेषज्ञों ने इसे राजस्व और रोजगार के लिए सकारात्मक पहल बताया, लेकिन पर्यावरणीय पहलों पर अधिक कार्य की आवश्यकता जताई।

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रीतु कुमारी OBC Awaaz की एक उत्साही लेखिका हैं, जिन्होंने अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई बीजेएमसी (BJMC), JIMS इंजीनियरिंग मैनेजमेंट एंड टेक्निकल कैंपस ग्रेटर नोएडा से पूरी की है। वे समसामयिक समाचारों पर आधारित कहानियाँ और रिपोर्ट लिखने में विशेष रुचि रखती हैं। सामाजिक मुद्दों को आम लोगों की आवाज़ बनाकर प्रस्तुत करना उनका उद्देश्य है। लेखन के अलावा रीतु को फोटोग्राफी का शौक है, और वे एक अच्छी फोटोग्राफर बनने का सपना भी देखती है। रीतु अपने कैमरे के ज़रिए समाज के अनदेखे पहलुओं को उजागर करना चाहती है।

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