अशोका यूनिवर्सिटी के राजनीतिक विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अंतरिम ज़मानत दी। उनकी गिरफ्तारी 18 मई को ऑपरेशन सिंदूर पर एक विवादित सोशल मीडिया पोस्ट के बाद हुई थी, जिसे सेना और महिला अधिकारियों के प्रति अपमानजनक माना गया।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने प्रोफेसर की भाषा पर कड़ी टिप्पणी करते हुए इसे ‘डॉग व्हिसलिंग’ करार दिया, जिसका अर्थ है परोक्ष रूप से भड़काने की कोशिश। कोर्ट ने कहा कि यह सस्ती लोकप्रियता पाने का प्रयास है। हालांकि, कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को लेकर अंतरिम राहत दी, लेकिन जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
SIT का गठन: हरियाणा और दिल्ली से बाहर के अधिकारी शामिल
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा पुलिस प्रमुख को आदेश दिया कि 24 घंटे के भीतर एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया जाए। इस टीम में वरिष्ठ IPS अधिकारी होंगे, लेकिन वे हरियाणा या दिल्ली से नहीं होंगे। साथ ही, टीम में एक महिला अधिकारी की नियुक्ति अनिवार्य होगी।
प्रोफेसर महमूदाबाद को 18 मई को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें सोनीपत की अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। उनकी पोस्ट को सेना की आलोचना और महिला अधिकारियों ; कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के प्रति असम्मानजनक माना गया।
अशोका यूनिवर्सिटी के छात्रों और शिक्षकों ने प्रोफेसर के समर्थन में एकजुटता दिखाई। उन्होंने रोटेटिंग शिफ्ट्स में लॉक-अप के बाहर मौजूद रहकर अपनी एकजुटता प्रदर्शित की। देशभर के शिक्षाविदों ने इस गिरफ्तारी की आलोचना की और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया।
सोशल मीडिया पोस्ट और विवाद
प्रोफेसर महमूदाबाद की पोस्ट में ऑपरेशन सिंदूर की आलोचना की गई थी, जिसमें उन्होंने युद्ध के प्रभावों और भाजपा पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया था। इस पोस्ट के बाद हरियाणा महिला आयोग की अधिकारी रेनू भाटिया और भाजपा युवा मोर्चा के एक कार्यकर्ता ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट के कारण देश के अन्य हिस्सों में भी गिरफ्तारियां हुई हैं। राजस्थान के चूरू में आसिफ खान को राष्ट्र विरोधी पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया। उत्तर प्रदेश के संभल में भी एक व्यक्ति को आपत्तिजनक पोस्ट के लिए हिरासत में लिया गया।