लेटेस्ट ख़बरे विधानसभा चुनाव ओपिनियन जॉब - शिक्षा विदेश मनोरंजन खेती टेक-ऑटो टेक्नोलॉजी वीडियो वुमन खेल बायोग्राफी लाइफस्टाइल

अतीफेह साहालेह (Atefeh Sahaaleh) की कहानी: वो मासूम, जिसका श्राप आज भी जला रहा है ईरान

ईरान में युद्ध जैसी स्थिति के बीच 16 वर्षीय अतीफेह साहालेह की फांसी की कहानी फिर वायरल हो रही है। लोग मानते हैं कि आज का संकट उसी अन्याय का प्रतीकात्मक श्राप है।

इस समय ईरान गंभीर तनाव और अशांति के दौर से गुजर रहा है। इजरायल के लगातार हवाई हमलों में देश ने अपने कई महत्वपूर्ण परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य अधिकारियों को खो दिया है। राजधानी तेहरान सहित कई शहरों में स्थिति अनियंत्रित हो चुकी है, और हर ओर भय और अराजकता का माहौल है।

युद्ध जैसे हालात के बीच सोशल मीडिया पर एक बार फिर 16 साल की अतीफेह साहालेह की दुखद कहानी वायरल हो रही है। यह मासूम लड़की सालों पहले गलत तरीके से फांसी पर चढ़ा दी गई थी। उसकी मौत ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था, और अब कई लोग मानते हैं कि ईरान की मौजूदा मुश्किलें उसी समय हुए अन्याय का श्राप हैं।

ईरान की 16 वर्षीय मासूम लड़की अतीफेह साहालेह की कहानी दुनिया के सामने एक क्रूर अन्याय के रूप में आई है। उसकी त्रासदीपूर्ण जिंदगी और फांसी ने न केवल मानवाधिकारों पर सवाल उठाए, बल्कि लोगों के बीच यह चर्चा भी शुरू कर दी कि शायद उसके साथ हुए अत्याचार का “श्राप” ईरान को भुगतना पड़ रहा है। आइए, उसकी कहानी को विस्तार से जानते हैं, विश्वसनीय स्रोतों के आधार पर।

अतीफेह साहालेह की शुरुआती जिंदगी और पारिवारिक त्रासदी

बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के अनुसार, अतीफेह साहालेह का जन्म ईरान के नेका शहर में हुआ था। जब वह मात्र पांच साल की थी, एक कार दुर्घटना में उसकी मां की मृत्यु हो गई थी। कुछ समय बाद, उसका छोटा भाई नदी में डूब गया। इन दुखद घटनाओं के बाद, वह अपने वृद्ध दादा-दादी के साथ रहने लगी। उसका पिता, जो कथित तौर पर नशे की लत का शिकार था, उसकी देखभाल करने में असमर्थ था। इस तरह, अतीफेह की जिंदगी शुरू से ही कठिनाइयों से भरी थी।

अली दराबी की हैवानियत

ABC न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, अतीफेह की जिंदगी का सबसे भयावह दौर तब शुरू हुआ, जब उस पर एक 51 वर्षीय रिटायर्ड रिवॉल्यूशनरी गार्ड, अली दराबी की बुरी नजर पड़ी। जब अतीफेह 13-14 साल की थी, तब अली ने उसका बार-बार बलात्कार किया। उसने अतीफेह को धमकी दी कि अगर उसने किसी को कुछ बताया, तो वह उसे और उसके परिवार को मार डालेगा।। डर और शर्मिंदगी के कारण, अतीफेह चुपचाप यह सब सहती रही। यह क्रूरता कई सालों तक चलती रही।

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के अनुसार, अतीफेह ने अपने परिवार को इस बारे में बताने की कोशिश की, लेकिन सामाजिक और आर्थिक दबावों के कारण उसे चुप करा दिया गया। हालांकि, जब अली की हैवानियत असहनीय हो गई, तो अतीफेह के पिता ने परिवार के दबाव में पुलिस को सूचना दी।

whatsapp logoओबीसी आवाज चैनल को फॉलो करें

पुलिस और शरिया कानून का क्रूर चेहरा

एमनेस्टी इंटरनेशनल रिपोर्ट के अनुसार, उम्मीद थी कि पुलिस अली दराबी को गिरफ्तार करेगी, लेकिन इसके उलट, पुलिस ने अतीफेह को ही थाने बुलाकर सख्त पूछताछ की। ईरान के इस्लामिक शरिया कानून के तहत, “क्राइम्स अगेंस्ट चेस्टिटी” (सतीत्व के खिलाफ अपराध) के आरोप में अतीफेह को गिरफ्तार कर लिया गया। इस कानून के अनुसार, अगर कोई महिला गैर-मर्द के साथ संबंध में पाई जाती है, तो उसे सजा दी जाती है, जब तक कि वह यह साबित न करे कि उसने पुरुष को लालच नहीं दिया। इस तरह, पीड़िता होने के बावजूद, अतीफेह को सलाखों के पीछे डाल दिया गया।

हिरासत में भी अतीफेह का दुख कम नहीं हुआ। बीबीसी रिपोर्ट और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उसे शारीरिक और यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया गया। उसकी हालत इतनी खराब थी कि वह कई बार चलने में भी असमर्थ थी। जब उसकी दादी को उससे मिलने की इजाजत मिली, तो अतीफेह ने अपनी पीड़ा बयां की, जिसे सुनकर हर इंसान का दिल दहल जाए।

कोर्ट में अन्याय

बीबीसी डॉक्यूमेंट्री रिपोर्ट के अनुसार, अतीफेह का मुकदमा और भी चौंकाने वाला था। जज हाजी रेजाई ने न केवल अली दराबी को हल्की सजा दी, बल्कि अतीफेह को ही दोषी ठहराने का रास्ता चुना। जब अतीफेह को लगा कि उसे इंसाफ नहीं मिलेगा, तो उसने विरोध में कोर्ट में अपना हिजाब उतार दिया और कहा कि अली को सजा मिलनी चाहिए। लेकिन जज ने इसे कोर्ट की अवमानना माना और उसे उम्रकैद की सजा सुना दी।

गुस्से और हताशा में, अतीफेह ने जज की ओर अपनी जूती फेंक दी। इससे नाराज होकर जज ने तुरंत उसकी सजा को फांसी में बदल दिया। ABC न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, 15 अगस्त 2004 को, नेका के सार्वजनिक चौराहे पर एक मोबाइल क्रेन से अतीफेह को फांसी दे दी गई।

उम्र का विवाद

बीबीसी न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ऑफ अपील में प्रस्तुत दस्तावेज़ों में अतीफेह की उम्र 22 वर्ष बताई गई, लेकिन उसके असली जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्रों से यह साफ़ था कि वह सिर्फ 16 साल की थी। एक गवाह ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि न्यायाधीश ने केवल उसके शरीर को देखकर जो उम्र के हिसाब से थोड़ा विकसित था, उसे 22 साल का मान लिया।
अतीफेह के पिता का आरोप था कि न तो जज और न ही अदालत द्वारा नियुक्त वकील ने उसकी सही उम्र की पुष्टि करने की कोई कोशिश की। यह लापरवाही नहीं, बल्कि एक जानबूझकर की गई अनदेखी थी, जो अंततः उसकी मौत का कारण बनी।

ताज़ा खबरों से अपडेट रहें! हमें फ़ॉलो जरूर करें X (Formerly Twitter), WhatsApp Channel, Telegram, Facebook रियल टाइम अपडेट और हमारे ओरिजिनल कंटेंट पाने के लिए हमें फ़ॉलो करें


शिवम कुमार एक समर्पित और अनुभवी समाचार लेखक हैं, जो वर्तमान में OBCAWAAZ.COM के लिए कार्यरत हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में गहरी रुचि रखने वाले शिवम निष्पक्ष, तथ्यात्मक और शोध-आधारित समाचार प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं। उनका प्रमुख फोकस सामाजिक मुद्दों, राजनीति, शिक्षा, और जनहित से जुड़ी खबरों पर रहता है। अपने विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण और सटीक लेखन शैली के माध्यम से वे पाठकों तक विश्वसनीय और प्रभावशाली समाचार पहुँचाने का कार्य करते हैं। शिवम कुमार का उद्देश्य निष्पक्ष और जिम्मेदार पत्रकारिता के जरिए समाज में जागरूकता फैलाना और लोगों को सटीक जानकारी प्रदान करना है।

Leave a Comment