अशोक कुमार सिन्हा
बिहार संग्रहालय, पटना में अपर निदेशक के पद पर कार्यरत हैं। इससे पूर्व ये उपेंद्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान, पटना के निदेशक और बिहार राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, पटना के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पद की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। बिहार की लोककलाओं एवं हस्तशिल्प के संरक्षण व संवर्द्धन में इनका अमूल्य योगदान रहा है। कला और साहित्य पर अबतक इनकी 38 पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें बटोही, सुन लो हमरी बात (उपन्यास), पिता (खंड-काव्य), बैरी पईसवा हो राम, मवाली की बेटियाँ (कहानी संग्रह), बिहार के पद्मश्री कलाकार (जीवनी), पद्मश्री ब्रह्मदेव राम पंडित-भोरमबाग से भयंदर, (जीवनी) और मन तो पंछी भया (यात्रा संस्मरण) चर्चित हैं। साहित्यिक उपलब्धियों के लिए इन्हें दर्जनों पुरस्कार / सम्मान प्राप्त है, जिनमें विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ, गाँधीनगर से सुदीर्घ हिन्दी सेवा सम्मान, नई धारा सम्मान और बिहार सरकार का राजभाषा सम्मान एवं दिनकर कला लेखन सम्मान प्रमुख है।