जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में चिनाब नदी पर बने बगलिहार पावर प्रोजेक्ट डैम के सभी गेट मंगलवार को बंद कर दिए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि इससे पहले 8 मई को भारी बारिश के कारण डैम के दो गेट खोले गए थे, ताकि बाढ़ का खतरा टाला जा सके।
इस बीच, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी, भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया है। यह कदम पाकिस्तान को सख्त संदेश देने के इरादे से उठाया गया है, क्योंकि भारत का मानना है कि पाकिस्तान सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देता है।
सिंधु जल संधि क्या है?
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से हुई इस संधि के तहत:
- रावी, ब्यास और सतलुज (पूर्वी नदियां) का लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट पानी भारत को मिला है।
- सिंधु, झेलम और चिनाब (पश्चिमी नदियां) का लगभग 135 मिलियन एकड़ फीट पानी पाकिस्तान को दिया गया है। भारत इन नदियों का थोड़ा-बहुत इस्तेमाल घरेलू और खेती के लिए कर सकता है।
- भारत को इन पश्चिमी नदियों पर ‘रन ऑफ द रिवर’ तरीके से जलविद्युत प्रोजेक्ट बनाने की इजाज़त है, बस वो तकनीकी नियमों के मुताबिक हों।
अब तक भारत भाखड़ा (सतलुज), पोंग और पंडोह (ब्यास), और थीन डैम (रावी) के ज़रिए पूर्वी नदियों का ज़्यादातर पानी इस्तेमाल कर चुका है।
पीएम मोदी का बयान: पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते
हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में सेना की सफलता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने देश को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अब भारत का पानी यहीं रहेगा और देश के विकास में इस्तेमाल होगा। उनका कहना था कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है और यही उसकी तबाही की वजह बनेगा।
पीएम मोदी ने पाकिस्तान को सख्त लहजे में चेतावनी दी, अगर उसे अपनी हालत सुधारनी है तो उसे अपने आतंकी नेटवर्क को खत्म करना ही होगा। उन्होंने साफ कहा कि भारत की नीति बिल्कुल स्पष्ट है: न आतंक और बातचीत एक साथ चल सकते हैं, न आतंक और कारोबार, और न ही पानी और खून एक साथ बह सकते हैं।
अपने भाषण के अंत में उन्होंने कहा, ये वक्त युद्ध का नहीं है, लेकिन ये आतंक का दौर भी नहीं होना चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ पूरी सख्ती ही एक बेहतर दुनिया की गारंटी है।