कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक और एशिया के सबसे अमीर बैंकर उदय कोटक ने हाल ही में भारतीय बैंकिंग प्रणाली की स्थिति को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि बैंकों के लिए जमा राशि (Deposits) घटती जा रही है, जबकि उनकी उधारी की लागत बढ़ रही है। ऐसे में आने वाले समय में बैंकों की मुनाफे की स्थिति कमजोर हो सकती है।
बैंकिंग सिस्टम पर मंडरा रहा संकट?
उदय कोटक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट साझा करते हुए बताया कि बैंक डिपॉजिट्स में गिरावट जारी है, जो बैंकिंग सिस्टम के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। उन्होंने कहा कि बड़े बैंक फिलहाल 8% ब्याज दर पर थोक जमा (Bulk Deposits) स्वीकार कर रहे हैं, जिससे उनकी औसत जमा लागत 9% से अधिक हो रही है।
उन्होंने यह भी बताया कि बल्क डिपॉजिट की लागत केवल 8% नहीं होती, बल्कि इसके ऊपर कैश रिजर्व रेशियो (CRR), स्टैचुटरी लिक्विडिटी रेशियो (SLR), डिपॉजिट इंश्योरेंस और प्रायोरिटी सेक्टर लोन जैसे कई अन्य खर्च भी होते हैं।
बैंकों को क्यों हो रहा नुकसान?
बैंकिंग सेक्टर में इस बढ़ती लागत के बावजूद बैंक 8.5% फ्लोटिंग रेट पर होम लोन दे रहे हैं, जबकि उनकी उधार लागत 9% तक पहुंच चुकी है। इसका मतलब है कि बैंकों को हर होम लोन पर लगभग 0.5% का नुकसान हो रहा है।
आने वाले समय में क्या होगा?
उदय कोटक ने कहा कि पूरे बैंकिंग सिस्टम में रिटेल डिपॉजिट धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन रेपो रेट में और गिरावट की संभावना बनी हुई है। इससे बैंकों के लिए लागत को नियंत्रित रखना और उधार दरों को बढ़ाना मुश्किल हो सकता है।
बैंकों को इस स्थिति से उबरने के लिए नई रणनीतियों पर काम करने की जरूरत होगी, ताकि वे अपनी लाभकारी स्थिति बनाए रख सकें और ग्राहकों को संतुलित दरों पर सेवाएं दे सकें।