पश्चिम बंगाल में 2024 की उच्च माध्यमिक परीक्षा देने वाले 4.82 लाख से ज्यादा छात्रों का कॉलेज एडमिशन अटक गया है। राज्य के करीब 460 सरकारी कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज़ में सेंट्रलाइज्ड एडमिशन पोर्टल (CAP) के ज़रिए एडमिशन होना था, लेकिन मई में कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी सर्टिफिकेट को अमान्य करार दे दिया।
कोर्ट ने कहा है कि अब नई ओबीसी लिस्ट 1993 के वेस्ट बंगाल कमिशन फॉर बैकवर्ड क्लासेज़ एक्ट के तहत तैयार की जाए। इसके बाद से राज्य सरकार ने कानूनी सलाह का इंतजार करते हुए CAP पोर्टल पर एडमिशन फिलहाल रोक दिया है।
शिक्षा मंत्री की सफाई
शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने कहा,
“मामला अदालत में है और उच्च स्तर पर विचार हो रहा है। जैसे ही कानूनी मंजूरी मिलेगी, CAP पोर्टल चालू कर दिया जाएगा। हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि छात्रों को परेशानी न हो।”
सूत्रों का कहना है कि अगर ज़रूरत पड़ी, तो ओबीसी कैटेगरी को इस साल एडमिशन प्रक्रिया से अस्थायी तौर पर हटाया जा सकता है ताकि प्रक्रिया में और देरी न हो।
प्राइवेट कॉलेजों ने शुरू की दाखिला प्रक्रिया
CAP के दायरे से बाहर कॉलेज जैसे स्कॉटिश चर्च, सेंट ज़ेवियर्स और रामकृष्ण मिशन ने 12वीं के रिजल्ट के बाद एडमिशन शुरू कर दिए हैं।
स्कॉटिश चर्च कॉलेज के प्रिंसिपल ने बताया,
हम अल्पसंख्यक संस्थान हैं और CAP के तहत नहीं आते। हमारी दाखिला प्रक्रिया पहले की तरह चल रही है।
कॉलेज और यूनिवर्सिटी अफसरों की राय
आशुतोष कॉलेज के प्रिंसिपल मानस काबी ने कहा,
हमें सरकार पर भरोसा है। शिक्षा मंत्री पूरी कोशिश कर रहे हैं कि कानूनी सलाह के आधार पर प्रक्रिया जल्दी शुरू हो।
कलकत्ता यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार देबाशीष दास ने कहा,
हमने पिछड़ा वर्ग विभाग को पत्र भेजा है, लेकिन जवाब नहीं आया। अगर जल्दी कुछ नहीं हुआ तो छात्र प्राइवेट कॉलेज या दूसरे राज्यों की ओर बढ़ सकते हैं।
जादवपुर यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार इंद्रजीत बनर्जी ने भी बताया कि वे विभागीय निर्देशों के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं।
छात्रों और पैरेंट्स की चिंता
हायर सेकेंडरी टॉपर रूपायन पाल ने कहा,
सिर्फ एक वर्ग की वजह से बाकी छात्रों का भविष्य खतरे में नहीं पड़ना चाहिए। मैं मेडिकल रिसर्च करना चाहता हूं और जल्द एडमिशन शुरू होने की उम्मीद है।
उनके पिता रवींद्रनाथ पाल बोले,
हम जैसे आम लोग सिर्फ इंतजार कर सकते हैं। कोर्ट से ही हल निकलेगा।
शीर्ष रैंक लाने वाली सृजिता घोषाल के पिता भगतदान घोषाल ने कहा,
अगर और देर हुई तो हमें बेटी को दूसरे राज्य भेजना पड़ेगा। शिक्षा में ऐसी अड़चन नहीं आनी चाहिए।
कानूनी पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में कहा था कि 2010 के बाद तैयार की गई ओबीसी लिस्ट अवैध है, लेकिन इसका असर पहले से फायदा उठा चुके लोगों पर नहीं पड़ेगा। राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
ये पूरा मामला 2011 से चल रही उन जनहित याचिकाओं से जुड़ा है जिनमें 2010 से 2012 के बीच 77 समुदायों को ओबीसी में शामिल करने के तरीके पर सवाल उठाए गए थे। यह सभी जानकारी IndianExpress.com की एक रिपोर्ट के अनुसार है।