कल, 28 सितंबर, 2025, देश ने शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की जयंती मनाई। हर साल की तरह इस अवसर पर उनके आदर्श, उनके संघर्ष और उनके सपनों का स्मरण होता है। भगत सिंह सिर्फ़ एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, बल्कि वे युवाओं के आदर्श, समाज सुधारक, और देशभक्ति के प्रतीक थे।
आज, जब हम उनके विचारों और भारत के वर्तमान पर नजर डालते हैं, तो सवाल उठता है, क्या वह भारत, जिसकी कल्पना भगत सिंह ने की थी, आज मौजूद है या नहीं?
भगत सिंह का भारत: एक आदर्श दृष्टिकोण
भगत सिंह का सपना सिर्फ़ अंग्रेज़ों से स्वतंत्रता प्राप्त करना नहीं था। उनके लिए स्वतंत्रता का मतलब था समानता, न्याय, और सामाजिक सुधार। उनके विचारों में प्रमुख थे:
समानता और सामाजिक न्याय
भगत सिंह मानते थे कि देश में किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म, या क्षेत्र के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। उनके लिए भारत एक ऐसा समाज होना चाहिए, जहाँ गरीब और अमीर में फ़र्क़ न हो, और सभी को समान अवसर मिले।
शिक्षा और जागरूकता
भगत सिंह युवाओं में राजनीतिक जागरूकता और शिक्षा का महत्व समझते थे। उनका मानना था कि यदि युवा समाज को जागरूक और शिक्षित बनाते हैं, तभी देश में वास्तविक स्वतंत्रता और लोकतंत्र संभव है।
न्यायपूर्ण शासन और भ्रष्टाचार से मुक्ति
भगत सिंह ने लिखा और कहा कि देश का सच्चा विकास तभी संभव है जब शासन निष्पक्ष और भ्रष्टाचार मुक्त हो।
धर्म और सांस्कृतिक सहिष्णुता
उनके विचारों में धार्मिक सहिष्णुता और भाईचारा की अहमियत थी। भगत सिंह चाहते थे कि भारत एक ऐसा देश बने जहाँ अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदाय मिलकर जीवन यापन करें, न कि धार्मिक आधार पर लड़ते रहें।
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आज का भारत: सपनों के विपरीत स्थिति
आज 2025 में भारत कई मायनों में विकास कर चुका है – अर्थव्यवस्था बढ़ी है, तकनीक में प्रगति हुई है, लेकिन वही भारत, जिसकी कल्पना भगत सिंह ने की थी, उससे बहुत दूर है।
भ्रष्टाचार की व्यापकता
वर्तमान भारत में भ्रष्टाचार हर स्तर पर व्याप्त है – शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति, और प्रशासन।
- सरकारी योजनाएं अक्सर लाभार्थियों तक नहीं पहुँचती।
- नौकरशाहों और नेताओं द्वारा रिश्वत और ग़ैरकानूनी लाभ लेना आम बात बन गई है।
भगत सिंह की सोच में एक ऐसा भारत था जहाँ शासन ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ चले। आज यह सपना अधूरा प्रतीत होता है।
बेरोज़गारी और आर्थिक असमानता
देश के युवाओं की उम्मीदें उच्च हैं, लेकिन बेरोज़गारी और आर्थिक विषमता उनके सपनों को तोड़ रही है।
- लाखों युवा उच्च शिक्षा के बावजूद रोजगार की तलाश में हैं।
- केवल कुछ वर्ग या बड़े उद्योगपतियों को ही आर्थिक लाभ मिलता है।
भगत सिंह का सपना था कि सभी नागरिकों को रोजगार, शिक्षा और अवसर समान रूप से मिलें।
भारत में बेरोज़गारी रिपोर्ट 2025
असहिष्णुता और सामाजिक विभाजन
वर्तमान भारत में धार्मिक, जातीय और राजनीतिक असहिष्णुता बढ़ रही है।
- सोशल मीडिया पर कट्टरता और नफ़रत फैल रही है।
- सांप्रदायिक हिंसा और दलित उत्पीड़न के मामले लगातार सामने आते हैं।
भगत सिंह चाहते थे कि भारत में सभी धर्म और जातियों के लोग शांति और सम्मान के साथ रहें।
लोकतंत्र और स्वतंत्रता की चुनौतियाँ
भारत संविधानिक रूप से लोकतांत्रिक है, लेकिन हाल के वर्षों में लोकतांत्रिक संस्थाओं पर राजनीतिक दबाव देखा गया है।
- स्वतंत्र मीडिया और न्यायपालिका पर अप्रत्यक्ष नियंत्रण के आरोप लगते रहे हैं।
- नागरिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
भगत सिंह का सपना एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और लोकतांत्रिक भारत था, जहाँ सत्ता का दुरुपयोग नहीं होता।
क्या हुआ भारत का आदर्श?
अगर हम भगत सिंह के विचारों और वर्तमान स्थिति की तुलना करें, तो साफ़ दिखाई देता है कि:
- समानता और न्याय अभी भी एक दूर का सपना है।
- भ्रष्टाचार और बेईमानी ने उनकी कल्पना के भारत को चुनौती दी है।
- युवाओं को रोजगार और शिक्षा के अवसर अभी भी सीमित हैं।
- सांस्कृतिक सहिष्णुता और भाईचारा कमजोर पड़ रहा है।
इस तुलना से यह सवाल उठता है, क्या हमने वास्तव में उनकी जयंती पर उनके आदर्शों को याद किया है, या सिर्फ़ उनकी मूर्ति और फोटो तक सीमित रह गए हैं?
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भगत सिंह के सपनों को साकार करने के रास्ते
भारत को भगत सिंह के आदर्शों के करीब लाने के लिए कुछ कदम उठाने होंगे:
भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम
- भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ कड़े कानून और पारदर्शी जांच प्रक्रिया।
- सरकारी योजनाओं में सतत निगरानी और डिजिटल ट्रैकिंग।
बेरोज़गारी कम करने के लिए नई नीतियाँ
- कौशल विकास और उद्यमिता पर विशेष ध्यान।
- स्टार्टअप्स और MSME सेक्टर को बढ़ावा देना।
सामाजिक सहिष्णुता और शिक्षा
- स्कूल और कॉलेज में सांप्रदायिक और सामाजिक सहिष्णुता की शिक्षा।
- युवाओं को सकारात्मक विचार और देशभक्ति की भावना से जोड़ना।
लोकतांत्रिक संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण
- मीडिया और न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनाए रखना।
- नागरिक अधिकारों की रक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना।
युवा और भगत सिंह: जिम्मेदारी का संदेश
भगत सिंह ने अपनी ज़िन्दगी का बलिदान किया, ताकि युवा जागृत और सक्रिय हों, और देश को भ्रष्टाचार, असमानता और अन्याय से मुक्त करें।
आज के युवा इस समय उनके सपनों को साकार करने वाली पीढ़ी हो सकते हैं।
- राजनीतिक जागरूकता बढ़ाना।
- सामाजिक सुधार और दायित्व निभाना।
- देश के लिए नई सोच और पहल करना।
भगत सिंह का भारत आज हमारे सामने है, एक ऐसा देश जो अर्ध-सपनों और अधूरी वास्तविकताओं के बीच फंसा हुआ है।
- उन्होंने एक समान, निष्पक्ष और न्यायपूर्ण भारत का सपना देखा था।
- आज का भारत भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी, असहिष्णुता और लोकतंत्र की कमजोरियों से जूझ रहा है।
हमारा दायित्व है कि हम उनके आदर्शों को याद करें और उनके सपनों को साकार करने में अपना योगदान दें। केवल जयंती मनाने से भगत सिंह का संदेश पूरा नहीं होता; उसे अपने कर्म और समाज में बदलाव के माध्यम से जीवित रखना होगा।
भगत सिंह ने कहा था: “क्रांति की कोई उम्र नहीं होती, और न ही किसी समय की पाबंदी होती है।”
आइए, इस जयंती पर हम सब यह संकल्प लें कि हम उनके भारत को हकीकत में बदलने के लिए कार्य करेंगे।