बिहार में बीजेपी नेता की बेटी पर तेज़ाब हमला एक ऐसी दुखद और भयावह घटना बन गई है, जिसने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। यह मामला बेगूसराय ज़िले के बखरी थाना क्षेत्र का है, जहां 24 वर्षीय पल्लवी राठौर पर उस समय तेज़ाब फेंका गया जब वह अपने घर में सो रही थी। पल्लवी भारतीय जनता पार्टी के पूर्व बखरी उपाध्यक्ष संजय कुमार सिंह की बेटी हैं। घटना शनिवार तड़के करीब 2 बजे की है जब कुछ अज्ञात हमलावर घर की दीवार फांदकर अंदर घुसे और खिड़की से तेज़ाब फेंक दिया। तेज़ाब सीधा पीड़िता के चेहरे और शरीर पर गिरा, जिससे वह बुरी तरह झुलस गईं। तेज़ चीख-पुकार सुनकर परिवार के लोग दौड़े और उसे तत्काल स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
परिवार ने पहले यह समझा कि किसी जानवर की वजह से लड़की चिल्ला रही है, लेकिन जब कमरे में जाकर देखा तो सच्चाई सामने आई। परिजनों का कहना है कि तेज़ाब इतनी तेजी से असर कर रहा था कि पल भर में उसकी त्वचा जलने लगी। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और जांच जारी है।
पल्लवी राठौर एक पढ़ी-लिखी छात्रा हैं और दो साल पहले स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुकी थीं। वर्तमान में वह सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही थीं और घर में रह रही थीं। इस दर्दनाक हमले का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, और पुलिस सभी संभावनाओं पर काम कर रही है।
इस घटना के बाद बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है। राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने इसे लेकर नीतीश सरकार पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। लोग अब अपने घरों में भी सुरक्षित महसूस नहीं करते। उन्होंने कहा कि जब बीजेपी नेता की बेटी भी सुरक्षित नहीं है, तो आम जनता की सुरक्षा की कल्पना करना ही मुश्किल है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह जनता से कटी हुई है और अपराधी बेखौफ होकर घूम रहे हैं।
तेजस्वी यादव ने मांग की कि सरकार तुरंत कार्रवाई करे और दोषियों को सख्त सज़ा दिलाए। साथ ही पीड़िता को हर संभव चिकित्सा और आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सिद्धेश आर्य ने भी घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया। उन्होंने कहा कि यह हमला महिला सुरक्षा पर सीधा हमला है और अपराधियों को जल्द से जल्द सलाखों के पीछे भेजना चाहिए।
बिहार में इस तरह की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं, लेकिन इस बार मामला एक राजनीतिक परिवार से जुड़ा होने के कारण और भी संवेदनशील बन गया है। तेज़ाब हमले जैसी क्रूर घटनाएं न सिर्फ पीड़िता के शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि उनकी मानसिक स्थिति और जीवन के पूरे ढांचे को तोड़ देती हैं।
अब सवाल यह उठता है कि क्या बिहार में महिलाएं वाकई सुरक्षित हैं? क्या सत्ता में बैठी सरकारें सिर्फ बयानबाज़ी तक सीमित रह जाएंगी या इस बार कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे? पीड़िता को न्याय कब मिलेगा? यह सवाल अब पूरे बिहार की जनता पूछ रही है।