पटना: देशभर में चुनाव प्रचार के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए, चुनाव आयोग अब इसके दुरुपयोग पर लगाम कसने की तैयारी कर रहा है। आयोग जल्द ही AI के प्रयोग को लेकर व्यापक दिशा-निर्देश जारी करेगा, जिनकी झलक इस साल प्रस्तावित बिहार विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकती है। आयोग के सूत्रों के अनुसार, प्रस्तावित गाइडलाइंस राजनीतिक दलों, मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यह अनिवार्य करेंगी कि वे AI जनरेटेड कंटेंट को स्पष्ट रूप से उजागर करें। खासतौर पर आयोग डीपफेक और फर्जी वीडियो/ऑडियो की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सख्त प्रावधान लागू करेगा।
AI पर चुनाव आयोग की सख्ती: मुख्य बिंदु
मतदाताओं को गुमराह करने पर रोक
- चुनाव आयोग AI के दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी करेगा।
- इन गाइडलाइंस का उद्देश्य AI का उपयोग चुनावी संवाद को बेहतर बनाने तक सीमित रखना है।
- मतदाताओं को भ्रमित करने या उनकी पसंद को प्रभावित करने के लिए AI के इस्तेमाल पर सख्त रोक होगी।
- आयोग का मानना है कि AI लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सहायक हो सकता है, लेकिन इसकी आड़ में न तो निजता से समझौता हो और न निष्पक्षता से।
- केवल उसी सिंथेटिक कंटेंट को अनुमति दी जाएगी, जिसमें यह स्पष्ट हो कि वह AI जनरेटेड है।
- भ्रामक, डीपफेक या विरोधियों का मजाक उड़ाने वाले वीडियो पर सख्त पाबंदी लगाई जाएगी।
- प्रचार रणनीति के लिए चुनावी रैलियों में लोगों की प्रतिक्रिया और हावभाव का विश्लेषण किया जा सकेगा।
- विरोधी दल की रैलियों में मौजूद लोगों की पहचान कर उन्हें टारगेट करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
डेटा एनालिटिक्स और गोपनीयता पर निगरानी
- चुनाव प्रचार में डेटा एनालिटिक्स और व्यक्तिगत डेटा के उपयोग पर स्पष्ट मानक तय किए जाएंगे।
- चुनावी ऐप्स और डिजिटल कैंपेन टूल्स में डेटा की पारदर्शिता और गोपनीयता सुनिश्चित की जाएगी।
AI उपयोग से जुड़ी वैश्विक रिपोर्ट के आंकड़े
- भारत में AI का यह उपयोग अमेरिका से 10% और ब्रिटेन से 30% अधिक रहा।
- फ्यूचर शिफ्ट लैब्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 के लोकसभा चुनाव में भारत में AI का उपयोग सबसे अधिक (80%) हुआ।
- 5 करोड़ से ज्यादा रोबोकॉल्स AI आधारित डीपफेक तकनीक से की गईं।
- ये कॉल्स 22 भाषाओं में थीं और उम्मीदवारों की कृत्रिम आवाज़ों से तैयार की गईं।