बिहार के शहरी विकास मंत्री और बीजेपी विधायक जीवेश मिश्रा को 4 जून 2025 को राजस्थान के राजसमंद कोर्ट ने एक 15 साल पुराने नकली दवा मामले में दोषी ठहराया। यह मामला सितंबर 2010 का है जब कंसारा ड्रग डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा सप्लाई की गई Ciproline‑500 टैबलेट की जांच में मिलावट पाई गई थी। यह दवाइयाँ Alto Healthcare Pvt. Ltd. द्वारा बनाई गई थीं, जिसमें जीवेश मिश्रा निदेशक के रूप में शामिल थे।
कोर्ट ने 1 जुलाई 2025 को सजा सुनाई, जिसमें मिश्रा को ₹7,000 का जुर्माना भरने और अच्छे व्यवहार की शर्त पर Probation of Offenders Act के तहत रिहा कर दिया गया। उन्हें जेल नहीं भेजा गया, लेकिन अदालत ने उन्हें दोषी माना।
कांग्रेस पार्टी ने इस फैसले के बाद जीवेश मिश्रा के तत्काल इस्तीफे की मांग की है, और बीजेपी से उन्हें पार्टी से बाहर करने की मांग की है। कांग्रेस नेता राजेश राठौर ने मांग की है कि नकली दवा नेटवर्क की CBI जांच कराई जाए और यह पता लगाया जाए कि इसमें और कौन-कौन शामिल है।
पूर्व सांसद और जन अधिकारी पार्टी के नेता पप्पू यादव ने कहा कि जीवेश मिश्रा “नकली दवा माफिया” हैं और सवाल उठाया कि ऐसी दवाओं के कारण कितनी जिंदगियाँ खतरे में पड़ी होंगी। उन्होंने जनता से अपील की है कि वे आने वाले चुनाव में मिश्रा को हराएं।
आरजेडी नेता रोहिणी आचार्य ने ट्वीट कर नीतीश सरकार को “नीचतम स्तर की सरकार” बताया और कहा कि ऐसे दोषी मंत्री को मंत्रिमंडल में रखना शर्मनाक है। उन्होंने बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को भ्रष्टाचारियों की शरणस्थली बताया।
विस्तृत जानकारी
- यह केस 2010 में शुरू हुआ था, जब राजसमंद जिले में दवाओं की जांच के दौरान यह सामने आया कि दवाओं में मिलावट थी। केस की सुनवाई में 15 साल लग गए, जो न्याय व्यवस्था की धीमी गति पर भी सवाल उठाता है।
- मिश्रा पहले भी विवादों में रहे हैं। तेज प्रताप यादव ने उन्हें पहले “जोकर्स” और “बकचोनार” कहकर संबोधित किया था। हालांकि वे बयान इस केस से जुड़े नहीं हैं, लेकिन यह उनके विवादास्पद राजनीतिक करियर को उजागर करते हैं।
- यह मामला सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा है, और एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ है जो मंत्री पद पर बैठा है। इससे यह भी सवाल उठता है कि क्या राजनीति में ऐसे लोगों को जगह मिलनी चाहिए जो जनता की जान के साथ खिलवाड़ कर चुके हों?
घटनाक्रम की समयरेखा
तारीख | घटना |
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सितंबर 2010 | राजस्थान के राजसमंद में नकली दवा Ciproline-500 की जब्ती |
4 जून 2025 | कोर्ट ने जीवेश मिश्रा को दोषी ठहराया |
1 जुलाई 2025 | कोर्ट ने ₹7,000 का जुर्माना और प्रोबेशन पर रिहाई का आदेश दिया |
3-4 जुलाई 2025 | विपक्षी दलों ने इस्तीफे और जांच की जोरदार मांग की |
भारत में नकली दवाओं पर कानून
भारत में नकली, मिलावटी या गैर-मानक दवाओं पर नियंत्रण के लिए मुख्य कानून है:
1. Drugs and Cosmetics Act, 1940
- Section 17 & 18: नकली या घटिया दवाओं का उत्पादन, बिक्री या वितरण पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
- Section 27: यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसे उत्पादों को सप्लाई करता है जिससे मरीज की जान को खतरा हो, तो उसे 10 साल तक की जेल या ₹10 लाख जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
2. Drugs and Magic Remedies (Objectionable Advertisements) Act, 1954
- यह कानून भ्रामक या झूठे विज्ञापन के जरिये दवाओं को बेचने से रोकता है।
चुनौती
भारत में ड्रग निरीक्षकों (Drug Inspectors) की संख्या बहुत कम है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग 20% दवाएं ‘Substandard’ या ‘Fake’ श्रेणी में आ सकती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी मार सबसे ज्यादा पड़ती है।