बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और चुनावी माहौल में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। विपक्ष ने बिहार में बढ़ते अपराधों को लेकर एनडीए सरकार को घेरना शुरू कर दिया है, जबकि सत्ता पक्ष हमेशा लालू यादव के शासनकाल के “जंगलराज” को याद दिलाता है। इस बीच, कांग्रेस ने आंकड़ों के साथ ‘सुशासनबाबू’ को घेरा और बिहार सरकार पर कानून व्यवस्था को लेकर कड़ी आलोचना की है।
कांग्रेस के पूर्व सांसद अजय कुमार ने हाल ही में एक बयान में कहा कि 2005 के बाद से बिहार में अपराधों में 323 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की “सुशासनबाबू” की छवि पर हमला करते हुए कहा कि राज्य में अपराधों के बढ़ने के लिए एनडीए सरकार जिम्मेदार है। अजय कुमार का कहना था कि बीजेपी और जेडीयू की गठबंधन सरकार ने बिहार को बर्बाद कर दिया है और नीतीश कुमार के 20 वर्षों के शासन में राज्य की हालत खराब हो गई है। कांग्रेस ने आंकड़ों के साथ ‘सुशासनबाबू’ को घेरा और यह बताया कि अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जो शासन की नाकामी को दर्शाता है।
अजय कुमार ने आरोप लगाते हुए कहा कि अगर एनडीए सरकार के शासन में पुलिसकर्मी खुद सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता का क्या हाल होगा? उन्होंने इस साल मार्च में बिहार के दो स्थानों पर एएसआई की हत्या का उदाहरण देते हुए कहा कि जब पुलिसकर्मी खुद सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों के लिए हालात क्या होंगे? कांग्रेस ने आंकड़ों के साथ ‘सुशासनबाबू’ को घेरा और यह भी कहा कि इस दौरान महिलाओं और बच्चों पर होने वाले अपराधों में भी बढ़ोतरी देखी गई है।
2005 में बिहार में कुल 1,07,664 अपराध दर्ज हुए थे, जो 2022 में बढ़कर 3,47,835 हो गए। उन्होंने यह भी बताया कि बिहार में हर रोज औसतन 953 अपराध होते हैं, जिनमें 8 हत्याएं, 33 अपहरण, 136 जघन्य अपराध, 55 महिला अपराध, 28 महिलाओं के अपहरण, दो से ज्यादा दुष्कर्म और 17 बच्चों के अपहरण शामिल हैं। कांग्रेस ने आंकड़ों के साथ ‘सुशासनबाबू’ को घेरा और यह साबित करने की कोशिश की कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार की कानून व्यवस्था को पूरी तरह से विफल कर दिया है।