तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य के अधिकारों की रक्षा करने और प्रस्तावित परिसीमन (Delimitation) को लेकर उपजे डर को दूर करने की अपील की है। स्टालिन ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात का समय माँगा है और वह जल्द ही एक विस्तृत ज्ञापन सौंपेंगे।
रामेश्वरम में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान स्टालिन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन करने वाले हैं, लेकिन वह उनकी बैठक में शामिल नहीं हो पाए हैं क्योंकि वह पहले से तय सरकारी कार्यक्रम में भाग ले रहे थे। इसलिए उन्होंने अपनी जगह राज्य के मंत्री थंगम थेनारासु और राजा कन्नप्पन को भेजा है।
स्टालिन ने कहा, “हमने प्रधानमंत्री से मुलाक़ात के लिए समय माँगा है ताकि हम परिसीमन को लेकर तमिलनाडु की चिंताओं को उनके सामने रख सकें। चूंकि मैं सरकारी कार्यक्रम में भाग ले रहा था, इसलिए उनकी सभा में शामिल नहीं हो पाया। लेकिन इस मंच के माध्यम से और आपके ज़रिए मैं प्रधानमंत्री से अनुरोध करता हूँ कि वह परिसीमन से जुड़ी आशंकाओं को दूर करें और तमिलनाडु के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करें।”
बीजेपी सरकार हमारे अधिकारों को सीमित करना चाहती है: स्टालिन का आरोप
मुख्यमंत्री स्टालिन ने केंद्र की भाजपा सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि परिसीमन के माध्यम से दक्षिण भारत, विशेषकर तमिलनाडु की आवाज़ को संसद में कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस विषय पर संसद में एक प्रस्ताव पारित किया जाए, जिससे तमिलनाडु के अधिकारों को संरक्षित किया जा सके। यह केवल सीटों की संख्या कम करने का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे भविष्य और अधिकारों से जुड़ा हुआ विषय है।”
स्टालिन ने कहा कि पुदुचेरी समेत तमिलनाडु की कुल 40 लोकसभा सीटें हैं, लेकिन केंद्र सरकार परिसीमन के ज़रिए इनकी संख्या घटाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने इसे एक खतरनाक साजिश बताया।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि 22 मार्च को चेन्नई में “न्यायसंगत परिसीमन” को लेकर एक संयुक्त कार्रवाई समिति की बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और कई राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों के वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे। सभी नेताओं ने मिलकर इस विषय पर एकजुट होकर आवाज़ उठाने का निर्णय लिया था।