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ब्लैक मंडे 2025: 10 सेकेंड में 19 लाख करोड़ स्वाहा, शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट

ब्लैक मंडे 2025 में भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिसमें 10 सेकेंड में 19 लाख करोड़ रुपये स्वाहा हो गए।अमेरिकी टैरिफ नीतियों के चलते सेंसेक्स 3300 और निफ्टी 1000 अंकों से फिसल गए।

ब्लैक मंडे 2025 शेयर बाजार गिरावट का वो दिन साबित हुआ जब निवेशकों की आँखों के सामने कुछ ही सेकंड में उनकी मेहनत की कमाई खत्म हो गई है। जैसे ही बाजार खुला, सेंसेक्स और निफ्टी ने रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की है। 10 सेकेंड के भीतर निवेशकों की ₹19.39 लाख करोड़ की संपत्ति बाजार से मिट चुकी है।

इस तेज़ गिरावट की वजह अमेरिका की नई टैरिफ नीति को माना जा रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक संबंधों में तनाव का कारण बनी है। भारतीय शेयर बाजार इस वैश्विक अस्थिरता से अछूता नहीं रहा है। सेंसेक्स 3379.19 अंकों की गिरावट के साथ 72623 पर बंद हुआ है, जबकि निफ्टी 1056.05 अंक गिरकर 21848.40 पर आ गया है।

एशियाई बाजारों में भी टैरिफ के असर से व्यापक गिरावट देखी गई है। हांगकांग के बाजार में 10% तक की गिरावट दर्ज हुई है, वहीं जापान, चीन और दक्षिण कोरिया में 5 से 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। ऑस्ट्रेलिया का S&P 200 इंडेक्स 6.5% गिरकर 7184.70 पर बंद हुआ है, और कोरिया का KOSPI इंडेक्स 5.5% गिरकर 2328.52 पर बंद हुआ है।

अमेरिका के बाजार भी इस उथल-पुथल से जूझ रहे हैं। डाओ फ्यूचर्स में 900 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि नैस्डैक और एसएंडपी में भी क्रमशः 3% से अधिक की गिरावट देखी गई है। शुक्रवार को ही NASDAQ में 7% की गिरावट हुई थी, जिससे सोमवार के लिए नकारात्मक संकेत पहले से ही मिलने लगे थे।

प्रसिद्ध अमेरिकी मार्केट एक्सपर्ट जिम क्रेमर ने अपने शो ‘Mad Money’ में चेतावनी दी थी कि यदि राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ विवादों को हल नहीं किया, तो 1987 जैसा संकट दोहराया जा सकता है। उनकी यह आशंका अब सच्चाई बनती नजर आ रही है।

गिरावट केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं रही है, बल्कि यह निवेशकों के आत्मविश्वास और बाजार की मनोवृत्ति पर भी असर डाल रही है। अंतरराष्ट्रीय तनाव और व्यापार युद्ध जैसे हालात निवेशकों के निर्णयों को प्रभावित कर रहे हैं।

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ऐसे समय में विशेषज्ञों की सलाह है कि निवेशक जल्दबाज़ी में निर्णय लेने से बचें और लंबी अवधि की रणनीति को अपनाएं। एक संतुलित पोर्टफोलियो ही ऐसी अनिश्चित परिस्थितियों में सहारा बन सकता है।

इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि अब भारतीय शेयर बाजार पूरी तरह वैश्विक संकेतों के प्रभाव में कार्य कर रहा है। टैरिफ, युद्ध, राजनीतिक तनाव या आर्थिक नीति—इन सभी का सीधा असर घरेलू निवेशकों पर पड़ रहा है।

अब ज़रूरत इस बात की है कि निवेशक ज्ञान और धैर्य के साथ बाजार को समझें और अनावश्यक घबराहट से खुद को बचाकर निवेश को दीर्घकालिक नजरिए से आगे बढ़ाएं, क्योंकि यही समझदारी की पहचान है।

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