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ब्राह्मण – मुस्लिम भाईचारा: इतिहास की झलक

ब्राह्मण-मुस्लिम संबंध ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे; मुग़ल दरबारों में ब्राह्मणों ने अहम भूमिका निभाई, जबकि राजपूतों ने मुगलों से तेजी से रिश्तेदारियाँ जोड़ी।

भारत का इतिहास धार्मिक सौहार्द और सांस्कृतिक मेलजोल की मिसालों से भरा पड़ा है। खास तौर पर ब्राह्मण और मुस्लिम समाज के बीच रिश्तों ने कई दौरों में गहरी समझदारी और आपसी सहयोग का चेहरा दिखाया है। मुग़ल साम्राज्य के दरबारों में ब्राह्मणों की मौजूदगी और उनके योगदान को देखकर ये साफ होता है कि धर्म के नाम पर बांटने की राजनीति आज जितनी है, इतिहास में वैसी कभी नहीं थी।

ब्राह्मण – मुस्लिम भाईचारा की मिसाल इतिहास में कई बार देखने को मिलती है। मुग़ल दरबारों में ब्राह्मणों की मौजूदगी और उनकी अहमियत इसका बड़ा सबूत है।

अकबर के नवरत्नों में ब्राह्मण महेश दास भट्ट, जिन्हें हम बीरबल के नाम से जानते हैं, उनके सबसे करीबी मित्र थे। बीरबल ही एकमात्र व्यक्ति थे जिन्हें अकबर से खुलकर बात करने का अधिकार था। वहीं दूसरे ब्राह्मण टोडरमल, अकबर के वित्त मंत्री रहे और मुग़ल सल्तनत का पूरा खजाना उन्हीं के जिम्मे था।

अकबर के बेटे जहांगीर का सबसे करीबी कोई था तो वह जयराम मिश्र थे जो कवि थे। जहांगीर उनसे कविता सुनते रहते थे।

शाहजहां के दौर में भी ब्राह्मणों की अहम भूमिका रही। पंडितराज जगन्नाथ, जो तेलुगु ब्राह्मण थे, उन्हें शाहजहां ने “पंडितराज” की उपाधि से नवाजा था। चंद्रभान ब्राह्मण भी एक प्रमुख दरबारी थे, जो शाहजहां और बाद में औरंगज़ेब के दरबार में मुंशी के रूप में कार्यरत रहे।

शाहजहां के दरबार में तो ब्राह्मण लोग उनके सबसे करीब थे जिनमें पंडितराज जगन्नाथ तेलुगु ब्राह्मण थे, उन्हें शाहजहां ने “पंडितराज” की उपाधि से नवाजा था। चंद्रभान ब्राह्मण एक प्रमुख ब्राह्मण थे, जिन्होंने शाहजहाँ और औरंगज़ेब के दरबार में मुंशी के रूप में कार्य किया।

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पंडित शिरोमणि मिश्र भी शाहजहां के दरबार में एक सम्मानित विद्वान थे। इसके अलावा वेदांगराय, जिनका नाम वेदिक अध्ययन से जुड़ा था, वे भी शाहजहां के सलाहकार और विद्वान के तौर पर कार्यरत थे।

औरंगज़ेब के समय भी ब्राह्मण दरबार में बड़ी संख्या में मौजूद थे—करीब 25% दरबारी ब्राह्मण थे। पंडित चंद्रभान उस समय के खजांची थे और उन्होंने अपनी सूझबूझ से अपने समुदाय को जज़िया कर से छूट दिलवाई थी।

औरंगज़ेब के दरबार में तो लगभग 25% दरबारी ब्राह्मण थे , पंडित चंद्रभान खजांची ही थे और उन्होंने मुग़ल बादशाह औरंगजेब को तेल पानी लगाकर अपने समुदाय को जज़िया कर से मुक्त करा दिया था।

इतिहास बताता है कि ब्राह्मण हमेशा मुसलमानों के सच्चे दोस्त रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, राजपूतों ने तो अक्सर मुग़लों से रिश्तेदारी जोड़ने में देर नहीं लगाई। जहां मौका मिला, बहन-बेटी तुरंत ब्याह दी। बाकी सब तो सिर्फ दिखावा है…

इस पूरे इतिहास से साफ होता है कि ब्राह्मणों और मुसलमानों के बीच रिश्ते सिर्फ सह-अस्तित्व तक सीमित नहीं रहे, बल्कि आपसी सम्मान, भरोसे और साथ मिलकर काम करने की गहरी मिसालें भी बने। चाहे वो शासन की जिम्मेदारियां रही हों या साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान—ब्राह्मणों ने मुग़ल दौर में अहम भूमिकाएं निभाईं और मुस्लिम शासकों ने उन्हें बराबर का सम्मान दिया।

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अनिल यादव एक वरिष्ठ पत्रकार हैं जो Anil Yadav Ayodhya के नाम से जाने जाते हैं। अनिल यादव की कलम सच्चाई की गहराई और साहस की ऊंचाई को छूती है। सामाजिक न्याय, राजनीति और ज्वलंत मुद्दों पर पैनी नज़र रखने वाले अनिल की रिपोर्टिंग हर खबर को जीवंत कर देती है। उनके लेख पढ़ने के लिए लगातार OBC Awaaz से जुड़े रहें, और ताज़ा अपडेट के लिए उन्हें एक्स (ट्विटर) पर भी फॉलो करें।

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