कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (WBUHS) को सख्त निर्देश दिए हैं कि वो अब PG मेडिकल कोर्स में सिर्फ उन्हीं 66 OBC समुदायों को 7% आरक्षण दे, जिन्हें 2010 से पहले अधिसूचित किया गया था।
यह फैसला न्यायमूर्ति कौशिक चंदा की एकल पीठ ने सुनाया। उन्होंने साफ कहा कि मई 2023 में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य की OBC-A और OBC-B वर्गीकरण वाली नीति को रद्द कर दिया था, जिसमें OBC-A को 10% और OBC-B को 7% आरक्षण मिल रहा था।
अब सिर्फ पुरानी सूची मान्य
न्यायमूर्ति चंदा ने कहा कि राज्य सिर्फ उन 66 पिछड़े वर्गों को आरक्षण दे सकता है जिन्हें 2009 से पहले राज्य के पिछड़ा वर्ग आयोग ने अधिसूचित किया था। उन्होंने यह भी कहा कि OBC आरक्षण की सीमा 1997 की अधिसूचना के मुताबिक 7% तक ही रहनी चाहिए।
पुराने जाति प्रमाण पत्र (2010 से पहले जारी) अब भी मान्य रहेंगे और इन्हीं के आधार पर 7% आरक्षण दिया जाएगा।
मुस्लिम समुदायों को झटका
22 मई 2024 को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार के उस फैसले को खारिज कर दिया था जिसमें 2010 के बाद 77 मुस्लिम समुदायों को OBC दर्जा दिया गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने सभी कोटा आधारित भर्ती और दाखिले रोक दिए और फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
पहले, राज्य में OBC आरक्षण इस तरह था:
- OBC-A (10%) – 81 समुदाय (जिनमें 56 मुस्लिम)
- OBC-B (7%) – 99 समुदाय (जिनमें 41 मुस्लिम)
लेकिन कोर्ट ने इस OBC-A और B प्रणाली को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली
PG मेडिकल दाखिले के लिए याचिका दाखिल करने वाले उम्मीदवारों ने कोर्ट में कहा कि मेरिट लिस्ट आने के बावजूद सरकार ने दाखिला प्रक्रिया पूरी नहीं की। सरकार का कहना था कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
लेकिन न्यायमूर्ति चंदा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने खंडपीठ के फैसले पर कोई रोक नहीं लगाई है, और राज्य की ये दलील मानने लायक नहीं है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि राज्य सरकार ने 18 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पिछड़ा वर्ग आयोग नए सिरे से जातियों की समीक्षा कर रहा है, जिसे पूरा होने में लगभग तीन महीने लगेंगे।
सियासी असर और प्रतिक्रिया
राज्य सरकार और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी कुछ भी कहने से इनकार किया है।
विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस मौके पर ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा:
अब ये आम हो गया है कि राज्य सरकार कोर्ट की निगरानी में आ गई है। सुप्रीम कोर्ट में भी इनकी बात नहीं मानी गई। ये दिखावटी धर्मनिरपेक्षता और भ्रष्ट शासन के पतन की शुरुआत है।