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सीज़फायर या सौदेबाज़ी? असली खेल पर्दे के पीछे है

राजनीति और व्यापार के गठजोड़ से युद्ध और शांति के फैसले लिए जाते हैं। आम जनता को भ्रमित किया जाता है जबकि असली सौदे अंदरखाने तय होते हैं। राष्ट्रवाद सिर्फ एक दिखावा है।

सीज़फायर के अंदरखाने की वजहें सामने नहीं आएंगी। आप सरकार से पूछेंगे, तो जवाब नहीं मिलेगा। ज़्यादा सवाल पूछेंगे, तो देशद्रोही करार दे दिए जाएंगे। सेना से तो पूछने का सवाल ही नहीं उठता। पूछेंगे, तो आप पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो जाएगा। इसलिए क्या पूछना? यानी साफ है, जो दिखता है वो होता नहीं, और जो दिखाई नहीं देता, दरअसल वही होता है। अंदरखाने जो राजनीति और डील होती है, वह किसी भी देश को ना दिखाई जाती है, ना बताई जाती है।

मुकेश अंबानी अपनी पत्नी के साथ क़तर की राजधानी दोहा पहुंच चुके हैं, जहां वह लुसैल पैलेस में क़तर के अमीर द्वारा ट्रंप के सम्मान में आयोजित राजकीय रात्रिभोज में शामिल होंगे और अमेरिकी राष्ट्रपति से उनकी चर्चा भी होगी।

रिलायंस इंडस्ट्रीज़ द्वारा वेनेजुएला से तेल आयात पर लगे अमेरिकी टैरिफ को खत्म होते हुए आप जल्दी ही देखेंगे। बताइए, युद्ध रोकने की बात नहीं मानी जाती तो ऐसा होता?

कुल मिलाकर मामला दो नगर सेठों के व्यापार का ही है। दोनों के प्रमुख व्यापारिक संस्थान भी अरब सागर के तट पर हैं, मुंद्रा पोर्ट हो या जामनगर रिफाइनरी, जो पाकिस्तान से महज़ 200 किमी दूर हैं, जहाँ से मिसाइल आने में 2–3 मिनट लगते हैं। शायद एक मिसाइल आकर इनसे कुछ दूर कच्छ में गिरी भी थी, मगर सब सुलट गया…

राजनीति ऐसे ही होती है। देश को मूर्ख बनाया जाता है और अंदरखाने कुछ और खेला जाता है। जब देश पाकिस्तान को ख़त्म कर देने का इंतज़ार कर रहा होता है, तब बताया जाता है कि उनके DGMO ने युद्धविराम की अपील की, तो हमने मान ली।

ऐसे ही यह सब इतनी आसानी से नहीं होता। नगर सेठ की डोनाल्ड ट्रंप से क़तर में मुलाकात यूं ही नहीं है। भारी व्यापारिक डील होगी, आर्थिक लेन-देन होगा, अमेरिका और अंबानी के बीच। और देश? भारत-पाकिस्तान का खेल खेलता रहेगा।

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उधर, सीरिया में ओसामा बिन लादेन वाले आतंकवादी संगठन अल-कायदा का प्रमुख, ISIS का पूर्व कमांडर और बगदादी का खासमखास, 10 मिलियन डॉलर का इनामी और अमेरिका द्वारा घोषित आतंकवादी अहमद अल-शरा से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मुलाकात की। उसे अपने बराबर बिठाया, लगभग 30 मिनट तक बातचीत हुई और सीरिया पर से सभी प्रतिबंध हटा दिए गए।

ख़बर तैर रही है कि व्यापारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, सऊदी अरब से 600 अरब डॉलर का निवेश प्राप्त करके मिडिल ईस्ट में वही कर रहे हैं जो सऊदी अरब चाहता है। पैसा बोलता है…

सीरिया पर से प्रतिबंध हटाए जा चुके हैं। अब जब क़तर, अमेरिकी राष्ट्रपति को दुनिया का सबसे महंगा उपहार, ₹3400 करोड़ का बोइंग 747-8 जंबो जेट देगा, तब इज़राइल और नेतन्याहू पर दबाव बढ़ेगा, और फिलिस्तीन व गाज़ा को अमेरिकी सुरक्षा का आश्वासन मिलेगा। बस, इंतज़ार कीजिए…

आज का दौर सामरिक नहीं, आर्थिक युद्ध का है। इसमें खुद को आर्थिक रूप से मज़बूत करना और दुश्मन देश को आर्थिक रूप से कमज़ोर करना असली लड़ाई है।

मगर आप मज़बूत कैसे होंगे? जब आप 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने, मुफ्त में शौच करवाने, खिलाने और पकाने का ढिंढोरा दुनिया में पीटेंगे, तो दुनिया आपको कंगाल ही समझेगी। क्योंकि देश तब समृद्ध बनता है, जब देशवासी समृद्ध होते हैं। 80 करोड़ भिखारियों वाला देश आर्थिक महाशक्ति कैसे बनेगा?

बेहतर होगा कि इन मुफ्त की योजनाओं को बंद कर, लोगों को रोज़गार दिया जाए, देश में शांति लाई जाए, दंगा मुक्त भारत बनाया जाए। क्योंकि एक अशांत देश और प्रदेश, जहां सिर्फ दंगे होते हों, वहां कोई उद्योगपति निवेश करने नहीं आएगा।

इसलिए राष्ट्रवाद का चूरन चाटना बंद करिए, यह बकवास है। यथार्थ की ज़मीन पर आइए, मिलकर देश को मज़बूत करिए। देश जब आर्थिक महाशक्ति बनेगा, तब अमेरिका भी घुटनों के बल झुकेगा, जैसे सऊदी और क़तर में झुक रहा है।

नहीं तो एक मामूली से पाकिस्तानी DGMO के फोन पर आपको वही फैसला लेना पड़ेगा, जो बाप जी कहेंगे।

बाकी सब जो आप देख रहे हैं, वह स्क्रिप्टेड फिल्म है। आपको दिखाया जा रहा है और आप देख रहे हैं, आपस में भिड़ रहे हैं…

और अपना वाला यही चाहता भी है… उसे देश से नहीं, सिर्फ अपनी सत्ता से मतलब है। देखिएगा, एक दिन डिनर भी खाएगा… वहां खड़ा होकर भाषण भी झाड़ेगा…

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अनिल यादव एक वरिष्ठ पत्रकार हैं जो Anil Yadav Ayodhya के नाम से जाने जाते हैं। अनिल यादव की कलम सच्चाई की गहराई और साहस की ऊंचाई को छूती है। सामाजिक न्याय, राजनीति और ज्वलंत मुद्दों पर पैनी नज़र रखने वाले अनिल की रिपोर्टिंग हर खबर को जीवंत कर देती है। उनके लेख पढ़ने के लिए लगातार OBC Awaaz से जुड़े रहें, और ताज़ा अपडेट के लिए उन्हें एक्स (ट्विटर) पर भी फॉलो करें।

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