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युद्धविराम या दबाव में विराम? सरकार की चुप्पी, सेना की आड़ और जनता के सवाल

भारत-पाक युद्धविराम पर ट्रंप की धमकी और सरकार की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता जानना चाहती है, क्या यह भारत का फैसला था या अंतरराष्ट्रीय दबाव का नतीजा?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल रात 8 बजे देश को संबोधित किया, लेकिन उसमें कुछ नया नहीं था। वही पुरानी बातें, वही दिखावे वाली बातें और लोगों को बहलाने की कोशिश। लेकिन दो अहम सवाल थे, जिनका जवाब देश मांग रहा था, पहला जब हम जीत रहे थे तो अचानक सीज़फायर क्यों कर दिया गया? और दूसरा इस युद्ध में हमने क्या खोया और क्या पाया?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कह रहे हैं कि पिटने के बाद पाकिस्तान के DGMO ने भारत के DGMO से संपर्क किया। DGMO अर्थात DIRECTOR GENERAL MILITARY OPERATION….

लेकिन उधर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप कह रहे हैं कि उन्होंने दोनों देशों को धमकी दी अगर युद्ध नहीं रुका, तो अमेरिका व्यापार बंद कर देगा। और इसके बाद ही युद्ध रुका।

अगर ट्रंप की बात पहले आ जाती है और हमारी सरकार व सेना की घोषणा बाद में होती है, तो मोदी जी की बात पर कैसे भरोसा किया जाए?

अब इसमें और उलझन हो गई है। हो सकता है पाकिस्तान के DGMO ने फोन किया हो, लेकिन क्या वो ट्रंप की धमकी के बाद हुआ? और दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकी के बाद युद्ध विराम के लिए तैयार होने के बाद आया। स्पष्ट है कि DGMO यह तय नहीं करता कि युद्ध होगा या सीस फायर।

महत्वपूर्ण सवाल यह है…

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दरअसल भारतीय दावों को लेकर बहुत सवाल उठ रहे हैं, सरकार भारतीय सेना से जवाब दिलवा रही है जो हर सवालों से परे है। हमारे देश में सेना और न्यायालय को भगवान के बाद का दर्जा प्राप्त है जिसकी आलोचना नहीं की जा सकती। सेना की आलोचना पर देशद्रोह, न्यायालय की आलोचना पर अवमानना का प्रावधान है।

सेना की आलोचना होनी भी नहीं चाहिए, वह देश की शान है, सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, 36 राफेल में से अब कितने बचे हैं? देश को राफेल की खरीद के आंकड़े दिए जाते हैं तो युद्ध में उसके मार गिराए जाने के भी आंकड़े दिए जाने चाहिए। एक राफेल 250 मिलियन डॉलर का है अर्थात ₹20,87,50,00,000 का।

हैरानी की बात ये है कि राफेल बनाने वाली कंपनी डसाल्ट एविएशन के शेयर 10% तक गिर गए। विदेशी मीडिया में ये खबर चल रही है कि चीन ने पाकिस्तान के साथ मिलकर एक राफेल को गिरा दिया। मोदी जी को इस पर भी सफाई देनी चाहिए क्योंकि ये हमारे सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान पर सवाल है।

ध्यान दीजिए कि सेना ने भी इस बात से इन्कार नहीं किया है, और राफेल पर सवाल पूछने पर जवाब मिला कि युद्ध में कुछ ना कुछ नुकसान होता ही है।

तो क्या 8-9 मई की रात चीन ने भी भारत के साथ युद्ध किया? यह 500-500 चीनी ड्रोन एक साथ भारतीय सीमा में जो घुस रहे हैं वह चीन को क्या डेटा उपलब्ध करा रहें हैं? क्योंकि अफ़वाहों का बाजार गर्म है।

युद्ध रुका क्यों? क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जो NCA की मीटिंग बुलाई, उसके बाद अमेरिका हरकत में आया? NCA मतलब नेशनल कमांड अथॉरिटी – ये परमाणु और मिसाइल फैसले लेने वाली सबसे ऊंची संस्था है। इसे तभी बुलाया जाता है जब परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की तैयारी हो।

युद्ध क्यों रूका? क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा बुलाई गई NCA की बैठक के बाद अमेरिका सक्रिय हुआ? ध्यान दीजिए कि पाकिस्तान का राष्ट्रीय कमान प्राधिकरण देश की परमाणु और मिसाइल नीति का सर्वोच्च नियंत्रक है। इसे तब बुलाया जाता है जब परमाणु हथियारों का प्रयोग किया जाने वाला हो, परमाणु हथियारों के‌ लोकेशन‌ को निर्धारित किया जाने वाला हो।

कहा जा रहा है कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति वेंस को कुछ खुफिया जानकारी मिली और उन्होंने आधी रात को ट्रंप को जगा दिया। क्या वो जानकारी ये थी कि पाकिस्तान परमाणु हमला करने वाला है?

क्या थी वह सूचनाएं? यही थीं? कि पाकिस्तान परमाणु हमला करने वाला है ?

भारतीय सेना ने कल स्पष्ट किया कि उन्हें नहीं पता कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार कहां रखे गए हैं। कल प्रेस कॉन्फ्रेंस में एयर मार्शल ए के भारती ने कहा कि “हमें यह बताने के लिए धन्यवाद कि किराना हिल्स में कुछ परमाणु प्रतिष्ठान हैं, हमें इसके बारे में पता नहीं था। हमने किराना हिल्स पर हमला नहीं किया है, चाहे वहां कुछ भी हो”

जबकि ग्रोक और गूगल एक मिनट में बता देता है कि पाकिस्तान का विखंडनीय पदार्थ उत्पादन निलोर, कहुटा और खुशाब परमाणु परिसरचार जगहों पर होता है और परमाणु हथियारों की तैनाती अक्रो (पेटारो), गुजरांवाला, खुजदार, पानो अकील, सरगोधा, बहावलपुर और डेरा गाजी खान में है‌ , नूरखान एयरबेस के पास मौजूद किराना हिल में भी परमाणु हथियारों की तैनाती है।

वैसे भी परमाणु हथियारों पर कोई कितना भी ब्रम्होस से मार करे वह कोई फ़ठाका नहीं है कि आग या चींगारी लगते ही फट जाएगा। कुछ नहीं होगा, उसको प्रयोग में लाने की पूरी एक प्रक्रिया है।

परमाणु हथियार आमतौर पर सुपर-हाई सिक्योरिटी स्टोरेज फैसिलिटी में रखे जाते हैं, जिसे हार्डेंड अंडरग्राउंड बंकर या स्पेशल वेपन स्टोरेज एरिया कहा जाता है।

अगर वहां अत्यधिक विस्फोटक मिसाइल तेजी से आकर गिरे तो भी परमाणु विस्फोट नहीं होगा, क्योंकि साधारण मिसाइल या बम के हमले से परमाणु बम वैसे नहीं फट सकता।

परमाणु बम को फिजिकल धमाके से नहीं, बल्कि सटीक इलेक्ट्रॉनिक सिक्वेंस, डिटोनेशन कोड और ट्रिगर की कोडिंग के ज़रिए ही विस्फोट कराया जाता है। इसके लिए कई स्तर के सेफ्टी इंटरलॉक्स होते हैं।

इसीलिए अगर कोई दुश्मन मिसाइल उस जगह पर गिरती भी है तो अधिक से अधिक फिजिकल डैमेज होगा लेकिन परमाणु विस्फोट नहीं होगा।

भारतीय सेना कहती है कि उसने पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने पर हमला नहीं किया, भारतीय मीडिया कहती है कि ब्रम्होस ने पाकिस्तान के परमाणु ठिकाने पर हमला किया, इससे घबरा कर पाकिस्तान गिड़गिड़ाने लगा और युद्धविराम के लिए हाथ जोड़ने लगा।

तमाम सवाल हैं जिसके जवाब देश के सामने स्पष्ट नहीं होंगे क्योंकि यह सेना और युद्ध संबंधी गोपनीयता का मामला बता दिया जाएगा।

लेकिन हकीकत ये है कि पाकिस्तान हार कर भी जश्न मना रहा है। मीम बना रहे हैं, AI वीडियो से हमारा मज़ाक उड़ा रहे हैं, अपने सैनिकों को फूल-माला पहना रहे हैं। और हम… हम मातम मना रहे हैं।

इधर आतंकवादी जिंदा घूम रहे हैं, वहां जश्न हो रहा है। और हमारे यहां बीजेपी अगले 10 दिन तक तिरंगा यात्रा निकाल रही है, जो शायद न निकाली जाती, तो लोग सवाल पूछते।

सच बस इतना है कि 26 का बदला लेने में हमने 23 जवान खो दिए।

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अनिल यादव एक वरिष्ठ पत्रकार हैं जो Anil Yadav Ayodhya के नाम से जाने जाते हैं। अनिल यादव की कलम सच्चाई की गहराई और साहस की ऊंचाई को छूती है। सामाजिक न्याय, राजनीति और ज्वलंत मुद्दों पर पैनी नज़र रखने वाले अनिल की रिपोर्टिंग हर खबर को जीवंत कर देती है। उनके लेख पढ़ने के लिए लगातार OBC Awaaz से जुड़े रहें, और ताज़ा अपडेट के लिए उन्हें एक्स (ट्विटर) पर भी फॉलो करें।

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