ओपनएआई के चैटजीपीटी के GPT-4o इमेज जेनरेटर की नई क्षमताओं का दुरुपयोग हो रहा है, जिसमें फर्जी आधार और पैन कार्ड बनाए जा रहे हैं। इस घटना ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स के दुरुपयोग की गंभीर चिंता को बढ़ा दिया है, जो पहचान चोरी, धोखाधड़ी और सोशल इंजीनियरिंग जैसी समस्याओं को जन्म दे सकते हैं। जैसे-जैसे इस तकनीक का उपयोग बढ़ा है, वैसे-वैसे इसके दुरुपयोग के खतरे भी बढ़े हैं, जिसके कारण विशेषज्ञ और अधिकारी इसे नियंत्रित करने के लिए कड़े उपायों की आवश्यकता की बात कर रहे हैं।
एआई आधारित इमेज जेनरेशन: एक दोधारी तलवार
चैटजीपीटी की GPT-4o इमेज जेनरेटर तकनीक की शुरुआत के बाद से उपयोगकर्ताओं ने 700 मिलियन से अधिक चित्र बनाए हैं, जिनमें से अधिकांश स्टूडियो घिबली शैली में होते हैं। हालांकि, इस तकनीक के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ इसके दुरुपयोग की घटनाएं भी सामने आ रही हैं। सोशल मीडिया पर फर्जी आधार कार्ड की छवियां साझा की जा रही हैं, जिनमें व्यक्तिगत विवरण, क्यूआर कोड और चेहरे में बदलाव किए गए हैं। कुछ उपयोगकर्ताओं ने इनमें ओपनएआई के CEO सैम अल्टमैन और टेस्ला के CEO एलोन मस्क जैसी प्रमुख हस्तियों के चेहरे डालकर फर्जी आधार कार्ड बनाए हैं।
ये घटनाएं यह दर्शाती हैं कि चैटजीपीटी के दुरुपयोग से महत्वपूर्ण पहचान प्रणालियों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। एक परीक्षण में आधार कार्ड जैसी छवि बनाने की कोशिश की गई, और परिणाम वास्तविक आधार कार्ड के काफी करीब थे, केवल चेहरे की विशेषताएं असंगत थीं।
एआई द्वारा बनाए गए फर्जी आईडी कार्ड्स: एक गंभीर समस्या
चैटजीपीटी के इमेज जेनरेटर के नए संस्करण से अत्यधिक सटीक और जीवन जैसा चित्र बनाना संभव हुआ है, लेकिन इसके दुरुपयोग के खतरे भी बढ़ गए हैं। आधार कार्ड के अलावा, पैन कार्ड और अन्य सरकारी पहचान पत्र भी बड़ी सटीकता के साथ बनाए जा रहे हैं। आधार कार्ड को बैक-एंड सिस्टम से सत्यापित किया जा सकता है, लेकिन पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे आईडी कार्ड्स में चेहरे का डेटा नहीं होता, जिससे इनका सत्यापन करना अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है और ये अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल पहचान चोरी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह धोखाधड़ी और सामाजिक हेरफेर की समस्याओं को भी बढ़ावा दे सकता है।
चैटजीपीटी का इमेज जेनरेशन सिस्टम: एक जोखिमपूर्ण बदलाव
GPT-4o इमेज जेनरेटर की शक्ति इसकी संरचना में निहित है। DALL·E जैसे पिछले इमेज जेनरेटिंग टूल्स के मुकाबले, GPT-4o एक ऑटोरिग्रेसिव मॉडल है, जो चैटजीपीटी में नatively एम्बेडेड है। इस तकनीक का उद्देश्य अधिक सटीक और जटिल चित्र बनाने की क्षमता प्रदान करना है, लेकिन इसके दुरुपयोग का खतरा भी बढ़ जाता है। ओपनएआई ने स्वीकार किया है कि इस नए मॉडल में पिछले टूल्स की तुलना में अधिक जोखिम हैं, क्योंकि यह अधिक सटीक और विस्तृत चित्र उत्पन्न करने की क्षमता रखता है।
हालांकि चैटजीपीटी पर कुछ प्रतिबंध हैं, जैसे बच्चों की फोटोरियलिस्टिक छवियां, अश्लील सामग्री और हिंसक, घृणास्पद सामग्री का निर्माण, इसके बावजूद इसका उपयोग धोखाधड़ी दस्तावेजों के निर्माण के लिए किया जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है
विशेषज्ञों ने AI-आधारित पहचान धोखाधड़ी के खतरे को लेकर चिंता जताई है। IDfy के मुख्य व्यवसाय अधिकारी वृजू राय ने मिंट से कहा कि आधार सत्यापन अभी भी ट्रैक करना आसान है, क्योंकि कार्ड विवरण और चेहरे का डेटा बैक-एंड सिस्टम से सत्यापित किया जा सकता है। हालांकि, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे अन्य पहचान पत्रों में चेहरे का डेटा नहीं होता, जिससे इनका सत्यापन करना और भी मुश्किल हो जाता है।
दूसरी ओर, दिल्ली स्थित पब्लिक पॉलिसी फर्म ‘The Quantum Hub’ के संस्थापक रोहित कुमार ने कहा कि अब यह जरूरी हो गया है कि AI द्वारा उत्पन्न सामग्री की सुरक्षा को मजबूत किया जाए, ताकि इसका दुरुपयोग रोका जा सके। उन्होंने सुझाव दिया, “AI द्वारा उत्पन्न दस्तावेजों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल वॉटरमार्क और प्रॉविनेंस मेटाडेटा जैसी विशेषताओं को जोड़ना आवश्यक है।”
भविष्य के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता
चैटजीपीटी के इमेज जेनरेशन टूल के दुरुपयोग ने यह साबित कर दिया है कि AI तकनीक को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियमों की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जल्दी कदम नहीं उठाए गए तो इससे पहचान सत्यापन प्रणालियों पर विश्वास कम हो सकता है, जिससे व्यापक सामाजिक और आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं।
AI समुदाय और नीति निर्माताओं को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि इन शक्तिशाली उपकरणों का उपयोग जिम्मेदारी से किया जाए। इसके लिए मजबूत सुरक्षा उपायों के साथ तकनीकी विकास को संतुलित करना आवश्यक है, ताकि हम इनकी सकारात्मक संभावनाओं का उपयोग कर सकें और साथ ही साथ लोगों की गोपनीयता और सुरक्षा की रक्षा भी कर सकें।