मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अपने आखिरी दिन एक बेहद भावुक अंदाज़ में विदाई ली। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने अपने अनुभव और विचार खुले दिल से साझा किए।
रिटायरमेंट पर बोले, अब मन में बस शांति और शुक्रिया है
उन्होंने कहा, 65 की उम्र में जब मैं रिटायर हो रहा हूं, तो मन में बस आभार, सोच और संतोष है। मैं अब अपने अंदर के ‘जज’ को भी अलविदा कहने को तैयार हूं। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने आखिरी बार जज की ड्रेस टांगी, तो जैसे कंधों से जिम्मेदारी का बोझ उतर गया और एक शांति महसूस हुई। ये सिर्फ इमोशनल पल नहीं था, ये सुकून देने वाला लम्हा था। मैं पूरी तरह संतुष्ट हूं, कोई पछतावा नहीं है।
किताबी और रूढ़िवादी कहे जाने पर मुस्कराकर दिया जवाब
खुद को किताबी या रूढ़िवादी जज कहे जाने पर उन्होंने मुस्कराते हुए कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में उन्होंने करीब 33-35% मामलों में दोष सिद्धि पलटी है, जो बाकी बेंचों के ट्रेंड से मेल खाता है। उन्होंने बताया कि कोर्ट द्वारा नियुक्त वकीलों के केस में आरोपियों को बरी होने का चांस ज्यादा रहता है, बनिस्बत फेमस वकीलों के मुकाबले।
सच की कमी, न्यायपालिका की बड़ी चिंता
उन्होंने अपने आखिरी भाषण में सबसे गंभीर मुद्दे पर बात की, अदालतों में सच की कमी। उन्होंने महात्मा गांधी को कोट करते हुए कहा, सत्य ही ईश्वर है, और ये बात हमारे प्रोफेशन की भी बुनियाद होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कोर्ट में अक्सर झूठ बोलकर या बातों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है, जिससे सही फैसले तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। जब सच को छिपाया या मसाले लगाकर पेश किया जाता है, तो हमें और गहराई से जांच करनी पड़ती है।
उनका सफर
- सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति: 18 जनवरी 2019
- मुख्य न्यायाधीश बने: 11 नवंबर 2024
- रिटायरमेंट: 13 मई 2025
- दिल्ली हाईकोर्ट में नियुक्ति: सिर्फ 45 साल की उम्र में
उन्होंने बताया कि पहली बार जज की पोशाक पहनते ही उन्हें एहसास हुआ कि संविधान और लोगों की कितनी बड़ी जिम्मेदारी उनके कंधों पर है।
जस्टिस गवई को दी शुभकामनाएं
अंत में उन्होंने अपने साथियों, कोर्ट के स्टाफ और सभी सहयोगियों का दिल से धन्यवाद दिया और सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई को शुभकामनाएं दीं, जो बुधवार को शपथ लेंगे।